विक्रांत मैसी भाजपा विरोधी से क्यों बन गए मोदी फैन, असल में इनसाइड स्टोरी तो बॉलीवुड की है । Opinion

4 1 26
Read Time5 Minute, 17 Second

जिन लोगों ने मिर्जापुर वेब सीरीज या बारहवीं फेल मूवी देखी होगी उन्हें विक्रांत मैसी जरूर याद होंगे. विक्रांत ने कई अच्छी फिल्में की हैं पर मिर्जापुर और बारहवीं फेल से उन्हें घर-घर में पहचान मिल गई. आज वो उस हैसियत को पा चुके हैं कि उनकी हर बात पर गौर किया जाए. यही कारण है कि मैसी गोधरा कांड पर बनी अपनी नई फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' की पब्लिसिटी को लेकर एक यूट्यूबर के शो में धर्मनिरपेक्षता के बारे में कुछ ऐसा कह गए कि देश में बहस ही नहीं, बवाल खड़ा हो गया. हाल ही में इस एक्टर ने देश में मुस्लिम समुदाय को लेकर बयान दिया, जिसके चलते वो विवादों में आ गए हैं. एक इंटरव्यू के दौरान विक्रांत ने कहा कि हमारे देश में मुसलमान खतरे में नहीं है, सब ठीक है. एक्टर के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया है. बातचीत कुछ इस तरह हुई 'विक्रांत, यार तुम तो धर्म निरपेक्ष थे, अब तुम भी वो कट्टर हिंदू वाली जमात में जा रहे हो? आरोप लग रहा है कि आप बीजेपी क्रिटीक से बीजेपी फ्रेंड बन गए हो.' इसके जवाब में एक्टर ने कहा, 'जो चीजें मुझे बुरी लगती थीं वो असल में बुरी है नहीं. लोग कहते हैं मुसलमान खतरे में है. कोई खतरे में नहीं है, सब सही चल रहा है. तो इसीलिए मैं आज कह रहा हूं कि मैं पिछले 10 सालों में बदल गया हूं.'

हालांकि इसी बहाने विक्रांत को अपनी फिल्म का जबरदस्त प्रमोशन मिल गया है. उनकी फिल्म द साबरमती रिपोर्ट 2002 में गुजरात के गोधरा में ट्रेन जलाए जाने की घटना पर आधारित है. जाहिर है कि इस फिल्म को लेकर हिंदू-मुसलमान तो होना ही था. पर जिस तरह से फिल्म की प्रोड्यूसर एकता कपूर और फिल्म के हीरो विक्रांत मैसी के विचारों में बदलाव आया है, वो फिल्म प्रेमियों के लिए आश्चर्यजनक ही है. आम तौर पर विक्रांत मैसी की विचारधारा एंटी बीजेपी वाली रही है और अब वो पीएम मोदी के लिए बैटिंग कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए उनके विचार कभी सकारात्मक नहीं थे पर वे अचानक कैसे बदल गए, असल मुद्दा यही है. मैसी को लगता है कि देश में चीजें गलत तरीके से प्रोजेक्ट की गईं हैं. विक्रांत मैसी की स्वीकारोक्ति के बाद कई पत्रकारों ने भी अपनी आपबीती सुनाई कि उन्हें किस तरह से एंटी हिंदू एजेंडा चलाने के लिए कहा गया.

Advertisement

10 सालों में बॉलीवुड में क्या बदला

10 साल पहले तक बॉलीवुड में छद्म धर्मनिरपेक्षता का एक एजेंडा चलता था जिसके आगे बड़े बड़े कलाकार नतमस्तक होते थे. सही शब्दों में कहें तो इस तरह का एक इको सिस्टम तैयार कर दिया गया था कि आप उससे बाहर नहीं निकल सकते थे. पर अब ऐसा नहीं है. पहले तेलगु फिल्म इंडस्ट्री ने खुलकर छद्म निरपेक्षता की पोल खोली, अब बॉलीवुड भी ऐसा करने लगा है. बॉलीवुड के बड़े नाम अमिताभ बच्चन, करण जौहर, अजय देवगन, अक्षय कुमार , कंगना रनौत, शाहरूख खान, सलमान खान, आमिर खान आदि सभी ने इस बात को समझा है. धीरे-धीरे छद्म धर्मनिरपेक्षता वाले एजेंडे के खिलाफ लोग बोल रहे हैं. जैसे अनु कपूर ने अभी हाल ही कहा था कि चक दे इंडिया में शाहरुख खान ने जिस मीर रंजन नेगी की भूमिका को अंजाम दिया थी, वे हिंदू थे. पर फिल्‍म में जबरन धर्मनिरपेक्ष घुसाने और मुसलमान को पीडि़त दिखाने के लिए नेगी वाले कैरेक्टर को मुस्लिम बना दिया गया. जाहिर है कि इस तरह की हरकत अभी भी हो रही है, पर कम हुई है. हिंदी फिल्मों में हिंदू देवी देवताओं पर तो सवाल उठाए जाते रहे हैं पर निर्माता निर्देशकों में इस्लाम धर्म में मौजूद कुरीतियों के खिलाफ कभी आवाज उठाने की हिम्मत नहीं हुई. यहां तक कि आमिर खान की चर्चित मूवी पीके में सभी धर्मों का मजाक बनाया गया पर इस्लाम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई. जैसे जैसे ये बातें समझ में आ रही हैं बॉलीवुड वालों का लगता है कि जो हो रहा था वो गलत था.

Advertisement

10 वर्षों में देश में क्या बदला

विक्रांत मेसी कहते हैं कि मैं पिछले 10 सालों में बदल गया हूं. दरअसल कोई भी शख्स अगर किसी एजेंडे के तहत काम नहीं कर रहा है तो उसे समझ में आएगा कि पिछले 10 सालों में देश में क्या बदल गया. विशेषकर मुंबई में रहने वालों ने देखा है कि उनका शहर कभी ट्रेन ब्लास्ट, कभी सीरियल ब्लास्ट, कभी आतंकी हमले, कभी दंगों की आग में जलता रहा है. पर पिछले 10 सालों से ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. यह शांति केवल मुंबई में ही नहीं है बल्कि पूरे देश में है. उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में हिंदू-मुस्लिम दंगे कभी आम बात होते थे, पर अब नहीं है. विक्रांत मैसी कहते हैं कि पूरी दुनिया में रहने लायक केवल भारत ही है. मैसी फिल्म कलाकार हैं जाहिर है कि वो देश के बाहर भी जाते रहते हैं. दूसरे देशों में जिस तरह का नस्लवाद है उसे वो महसूस करते होंगे.

फिल्में चलानी हैं तो आम दर्शकों को नाराज नहीं कर सकते

दरअसल पिछले कुछ सालों में हिंदुत्व के समर्थक एक ऐसे तबके को ताकत मिली है जो अपने दम पर किसी भी फिल्म को फ्लॉप कराने की हैसियत रखता है. आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा हो या प्रभाष और सैफ अली वाली आदिपुरुष को इसलिए ही फ्लॉप होना पड़ा कि कट्टर हिदुत्ववादी ट्रोल्स इन फिल्मों के पीछे पड़ गए. उसके बाद से आमिर खान ने भी बेवजह की बयानबाजी पर लगभग लगाम लगा ली. दीपिका पादुकोण की फिल्म का केवल इसलिए विरोध हुआ क्योंकि उन्होंने जेएनयू में जाकर वामपंथी छात्रों का सपोर्ट कर दिया था और फिल्म बुरी तरह पिट गई थी. शायद यही कारण है कि विक्रांत मैसी के पीछे लिबरल्स हाथ धोकर पीछे पड़ गए हैं कि वो अपनी फिल्म को हिट कराने के लिए मोदी भक्त बन गए हैं. दरअसल मोदी के उभार के बाद देश में एक बहुत बड़ा तबका अपने धर्म और संस्कृति को लेकर जागरूक हुआ है. उसे अगर लगता है कि फिल्म का कंटेंट यदि उसकी मान्‍यताओं, परंपराओं और मूल्यों के खिलाफ है तो वह फिल्म के बहिष्कार के मोड में आ जाते हैं.

Advertisement

सोशल मीडिया के दौर में अब संवाद सीधा हो रहा है. मैसी इसे समझते हैं. इसीलिए हालात को जस का तस बयां कर रहे हैं. भले किसी को अच्‍छा लगे या बुरा.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

शराब घोटाला: अरविंद केजरीवाल ने उठाई कार्यवाही पर रोक की मांग, हाईकोर्ट का ED को नोटिस

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now