राहुल गांधी का स्टैंड तो नहीं बदला, अंबानी की शादी में शामिल गठबंधन साथियों का क्या ख्याल है?

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अंबानी परिवार की शादी को लेकर राहुल गांधी का रुख अयोध्या के राम मंदिर उद्घाटन समारोह जैसा ही रहा. फर्क बस ये रहा कि अयोध्या समारोह को लेकर राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी की तरफ से पहले से ही घोषणा कर दी गई थी कि वो नहीं जाने वाले हैं, लेकिन अंबानी परिवार की शादी को लेकर ऐसी कोई बात नहीं हुई.

कॉमन बात ये रही कि जैसे अयोध्या समारोह में कांग्रेस के कुछ नेता पहुंचे थे, अंबानी परिवार की शादी में भी ऐसा ही देखने को मिला. मुंबई में आयोजित अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी से जुड़े समारोह में कमलनाथ, डीके शिवकुमार, सुशील कुमार शिंदे और सचिन पायलट जैसे कांग्रेस नेता पहुंचे थे.

INDIA गठबंधन की बात करें तो अंबानी परिवार की शादी में सबसे पहले ममता बनर्जी के पहुंचने की खबर आई थी. बाद में अखिलेश यादव और लालू यादव भी पूरे परिवार के साथ पहुंचे हुए थे. उद्धव ठाकरे और शरद पवार तो मुंबई में ही रहते हैं, वे भी पहुंचे थे.

शादी में शामिल विपक्ष के कई नेता ऐसे रहे जो लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की ही तरह अंबानी को टारगेट करते रहे. लालू यादव तो मुकेश अंबानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दोस्त बता चुके हैं - असल में, राहुल गांधी सहित विपक्ष के सभी नेता अंबानी को मोदी का नाम लेकर ही निशाना बनाते रहे हैं, लेकिन शादी का न्योता मिलते ही एक एक करके सभी पहुंच गये.

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मुकेश अंबानी का न्योता तो हर बार की तरह इस बार भी राहुल गांधी को भी मिला था. बल्कि, इस बार तो न्योता भी खास तरीके से दिया गया था. खुद मुकेश अंबानी राहुल गांधी और सोनिया गांधी के घर जाकर न्योता दिया था.

गांधी परिवार को घर जाकर मुकेश अंबानी के न्योता देने के पीछे देश की राजनीति में बदलाव के असर के रूप में देखा गया था. 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अंबानी परिवार में ये तीसरी शादी रही, लेकिन मुकेश अंबानी पहली बार खुद न्योता देने गये थे.

सत्ता की राजनीति के हिसाब से देश में कुछ नहीं बदला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार सत्ता की कमान संभाल चुके हैं. छिटपुट राजनीतिक वाकयों को छोड़ दें तो कामकाज भी सब पहले की ही तरह चल रहा है - जो कुछ बदला है, वो विपक्षी खेमे में बदला है. पहली बार चुनाव में विपक्ष थोड़ा एकजुट नजर आया है, और बीते दस साल में कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद मिला है, जो राहुल गांधी खुद संभाल रहे हैं.

क्या राहुल गांधी के रुख में कोई बदलाव आ सकता है?

2014 में बीजेपी के केंद्र की सत्ता में आने के बाद से राहुल गांधी ने एक स्लोगन पेश किया था, 'सूट-बूट की सरकार'. बाद में 'हम दो हमारे दो' जैसे नारे लाकर राहुल गांधी और उनके साथी नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेता अमित शाह को निशाना बनाया करते थे.

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2019 और 2024 के दोनो ही लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने मुकेश अंबानी के साथ साथ कारोबारी गौतम अडानी का नाम लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट किया था - और ये सिलसिला चुनावों के दौरान भी, और चुनावों के आगे पीछे भी लगातार चलता रहा.

अडानी को लेकर तो एक बार राहुल गांधी ने लोकसभा में भी जोरदार भाषण दिया था, और उस पर काफी दिनों तक बवाल मचा रहा. शुरू में कांग्रेस को करीब करीब पूरे विपक्ष का साथ भी मिला लेकिन बाद में राहुल गांधी की एक जिद के चलते फूट पड़ गई.

विपक्षी नेता इस बात पर तो तैयार थे कि अडानी के कारोबार की जांच हो, लेकिन कांग्रेस की मांग थी कि जांच के लिए जेपीसी बिठाई जाये. तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ राजनीतिक दलों को कांग्रेस की डिमांड ठीक नहीं लगी, और वे पीछे हट गये. नतीजा ये हुआ कि मामला धीरे धीरे शांत हो गया.

फिर भी राहुल गांधी हर मौके पर किसी न किसी बहाने अंबानी-अडानी का नाम लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलने का बहाना खोज ही लेते. कभी गरीबों के नाम पर तो कभी किसानों के नाम पर.

इंडिया गठबंधन की एक बैठक से तो अडानी के मुद्दे पर राहुल गांधी और ममता बनर्जी के बीच तकरार की भी खबर आई थी. मालूम हुआ कि जैसे ही राहुल गांधी ने अडानी का मुद्दा उठाया, ममता बनर्जी ये कहते हुए भड़क गईं कि पहले जो एजेंडा तय हुआ था, उसमें तो अडानी की बात थी ही नहीं. सुनने में तो यहां तक आया था कि गुस्से में ममता बनर्जी मीटिंग छोड़कर जल्दी ही चली गई थीं. बाद में ये भी देखने को मिला कि पश्चिम बंगाल सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ एक करार भी रद्द कर दिया था.

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अंबानी के मुद्दे पर राहुल गांधी के आगे का रुख भी अडानी के प्रति उनके स्टैंड समझने की कोशिश की जा सकती है. गौतम अडानी के मामले में राहुल गांधी का डबल स्टैंडर्ड भी देखने को मिला है - केंद्र सरकार के साथ अडानी के किसी भी करार पर राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर धावा बोल देते हैं, लेकिन अगर वैसा ही काम मुख्यमंत्री रहते अशोक गहलोत करते हैं, तो कांग्रेस नेता अलग लाइन ले लेते हैं - ये समझ पाना काफी मुश्किल होता है.

कांग्रेस नेताओं के अंबानी परिवार की शादी में शामिल होने से ये संकेत तो मिल रहे हैं कि राहुल गांधी के रुख में भी थोड़ा बहुत बदलाव आ सकता है, लेकिन ये भी लगता है कि मुकेश अंबानी का घर जाकर गांधी परिवार को न्योता देना अपना प्रभाव छोड़ने लगा है.

क्या अंबानी के खिलाफ अब विपक्ष राहुल गांधी के साथ खड़ा होगा?

राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, और लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से तो यही देखने को मिल रहा है कि कांग्रेस के साथ पूरा विपक्ष खड़ा है. बल्कि कुछ मुद्दों पर तो नवीन पटनायक के बीजू जनता दल का भी अघोषित लेकिन सैद्धांतिक सपोर्ट मिलने लगा है.

जिस तरीके से लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव अंबानी परिवार की शादी में गये थे, जिस तरह अखिलेश यादव और डिंपल यादव शादी में शामिल हुए, और जिस तरह ममता बनर्जी शादी समारोह में शामिल होने के लिए रवाना होने से पहले बार बार मुकेश अंबानी और नीता अंबानी का नाम ले लेकर संबंधों की दुहाई दे रही थीं - क्या ये समझ पाना बाकी रह जाता है कि अंबानी के मुद्दे पर विरोध को लेकर विपक्ष में एक राय बन पाएगी?

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कोलकाता से मुंबई रवाना होते वक्त एक तरह तो ममता बनर्जी अंबानी परिवार से रिश्ते का हवाला दे रही थीं, दूसरी तरफ ये भी जता रही थीं कि वो मुंबई में इंडिया गठबंधन की आगे की रणनीति पर भी चर्चा करने वाली हैं. और ऐसी चर्चाओं के लिए ममता बनर्जी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे के साथ साथ अखिलेश यादव के भी मुंबई पहुंचने की बात बता रही थीं.

शादी समारोह में शामिल होने को लेकर अभी तक किसी ने कुछ भी नहीं बोला है, न ममता बनर्जी ने, न ही अखिलेश यादव ने. अखिलेश यादव ने इतना जरूर कहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव समाजवादी पार्टी लड़ेगी. वो भी इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर लड़ना प्राथमिकता होगी, लेकिन अगर 12 सीटों की उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वो अकेले भी चुनाव में उतर सकते हैं.

ममता बनर्जी का कहना है, 'मौजूदा केंद्र सरकार स्थिर नहीं है... और ये ज्यादा दिन नहीं टिकेगी... लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बता रहे हैं कि INDIA गठबंधन ने उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन किया है... खेला शुरू हो गया है - और अब ये जारी रहेगा.'

ममता बनर्जी के 'खेला' शुरू होने की बात पर प्रधानमंत्री मोदी का भी जवाब आ गया है, 'लोग जानते हैं कि एनडीए सरकार ही स्थिरता और स्थायित्व दे सकती है... तीसरी बार शपथ लेने के बाद मैंने कहा था कि तीसरे टर्म में हमारी सरकार तीन गुना तेजी से काम करेगी... और आज ये होते हुए हम देख रहे हैं.'

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फर्ज कीजिये राहुल गांधी आने वाले दिनों में मुकेश अंबानी का मामला भी गौतम अडानी की तरह ही उठाते हैं. प्रधानमंत्री मोदी को घेरने के लिए ही सही जोर शोर से अंबानी के कारोबार पर हमला बोल देते हैं - ऐसे में विपक्षी खेमे के नेताओं की क्या प्रतिक्रिया होगी, ये देखना होगा.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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