मसल्स में कमजोरी, सेंसेशन में बदलाव... जानिए कितना खतरनाक है गुलेन बैरी सिंड्रोम, जिसके 35 मरीज पुणे में मिले

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महाराष्ट्र के पुणे में 'गुलेन बैरी सिंड्रोम' के 35 नए केस सामने आए हैं. इन मरीजों के मिलने के बाद अब इस बीमारी के कुल संक्रमितों की संख्या 59 हो गई है. गुलेन बैरी सिंड्रोम (GBS) के मामले तेजी से सामने आने के बाद महाराष्ट्र का स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है. बता दें कि यह एक ऐसी बीमारी है, जो प्रतिरक्षा तंत्रिका से संबंधित है.

एक दिन पहले ही इस बीमारी के 24 संदिग्ध मामले आए थे और अब 35 केस और सामने आए हैं. महाराष्ट्र का स्वास्थ्य विभाग बीमारी में अचानक हो रही बढ़ोतरी की जांच के लिए एक टीम गठित कर चुका है. डॉक्टरों के मुताबिक कि GBS एक दुर्लभ स्थिति है, जो अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी का कारण बनती है. इस सिंड्रोम के कारण अंगों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी नजर आते हैं.

मरीजों में 21 महिलाएं, 38 पुरुष

जानकारी के मुताबिक जीबीएस के कुल मामलों की संख्या इस समय 59 है, जिनमें 38 पुरुष और 21 महिलाएं शामिल हैं. 12 मरीज फिलहाल वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं. राज्य स्वास्थ्य विभाग इसकी निगरानी के लिए रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) का गठन कर चुका है.

ये हैं गठित की गई RRT के सदस्य

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राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) के वैज्ञानिक डॉ. बाबासाहेब तंडाले, स्वास्थ्य सेवाओं के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रेमचंद कांबले, बी जे मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. राजेश कार्येकार्टे, राज्य महामारी विज्ञानी डॉ. भालचंद्र प्रधान आरआरटी ​​का हिस्सा हैं.

क्या हैं गुलेन बैरी सिंड्रोम के लक्षण

वैसे तो गुलेन बैरी सिंड्रोम के कई लक्षण हैं, लेकिन कुछ प्रमुख लक्षण खास हैं. जैसे इसमें मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है, संवेदनशीलता कम हो जाती है. आंखों की मांसपेशियों और दिखाई दने में भी परेशानी होने लगती है.

प्रभावित क्षेत्रों का किया दौरा

बताया जा रहा है कि इस बीमारी से पीड़ित ज्यादातर संदिग्ध मरीज 30 साल की उम्र के हैं. RRT के सदस्यों ने हाल ही में ऐसे प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था, जहां ज्यादातर मामले सामने आए थे. उन्होंने मरीजों के मल और रक्त के नमूने इकट्ठे करके एनआईवी को भेजे हैं. प्रभावित क्षेत्रों से पानी के नमूनों की जाँच की जा रही है.

नहीं बनेगा महामारी का कारण

डॉक्टरों ने बताया कि जीवाणु और वायरल संक्रमण आम तौर पर जीबीएस का कारण बनते हैं, क्योंकि वे रोगियों की प्रतिरक्षा को कमजोर करते हैं. यह बाल और युवा आयु वर्ग दोनों में प्रचलित है. हालांकि, जीबीएस महामारी या सर्वव्यापी महामारी का कारण नहीं बनेगा. ज्यादातर मरीज इस स्थिति से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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