Pakistan News: पाकिस्तान में सरकारी नौकरी करने वालों की हालत ऐसी हो गई है कि इसे नौकरी नहीं बल्कि सजा कहा जा सकता है. दिन-रात मेहनत करने के बाद भी उन्हें ऐसा वेतन मिलता है जो उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए नाकाफी है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि सरकारी कर्मचारी अब सड़कों पर उतर आए हैं. और अपने हक की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं. बेहतर वेतन, भत्तों में बढ़ोतरी और पेंशन सुधारों की वापसी की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों ने इस्लामाबाद समेत पूरे देश में जोरदार प्रदर्शन किया.
वेतन और भत्तों में 200 प्रतिशत बढ़ोतरी की मांग
AGEGA के सदस्य 2020 में पेंशन और वेतन समिति द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार हाउस रेंट, मेडिकल और कन्वेयेंस भत्तों में 200 प्रतिशत बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में अंतर है. खासकर जजों, सांसदों और अन्य सरकारी अधिकारियों के मुकाबले. इन कर्मचारियों का कहना है कि जब उच्च अधिकारी वेतन में भारी वृद्धि पा रहे हैं तो साधारण सरकारी कर्मचारियों को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है.
गहराता जा रहा विरोध
AGEGA के मुख्य समन्वयक रहमान अली बजवा ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन में असमानताएं बढ़ती जा रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने राज्य-स्वामित्व वाली संस्थाओं का निजीकरण करने का जो कदम उठाया है.. वह गलत है. बजवा का कहना था कि इसके बजाय इन संस्थाओं का बेहतर प्रबंधन और पुनर्गठन किया जाना चाहिए.
स्थायी नौकरी की मांग
प्रदर्शनकारियों ने संविदा और दैनिक वेतन कर्मचारियों की नियमितीकरण की भी मांग की. इसके साथ ही, उन कर्मचारियों को पुनः बहाल करने की मांग की गई है जिन्हें सरकार के "राइटसाइजिंग" पहल के तहत नौकरी से निकाला गया था. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस कदम से कई कर्मचारियों की जिंदगी में अनिश्चितता और परेशानी आई है.
पेंशन और छुट्टी भत्ते में बदलाव के खिलाफ विरोध
पूर्व में फेडरल गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष रहिमा रहमान ने भी इस प्रदर्शन में भाग लिया. उन्होंने हाल ही में किए गए पेंशन और छुट्टी भत्ते के सुधारों को गलत ठहराया और कहा कि इन सुधारों से शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
सरकारी कर्मचारियों की सरकार को चेतावनी
AGEGA ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें 10 फरवरी तक पूरी नहीं की जातीं तो वे संसद भवन के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे. उनका कहना है कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, वे शांत नहीं बैठेंगे.
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