अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव क्यों इतना मायने रखता है? जानें- ट्रंप या हैरिस के जीतने का भारत पर क्या हो सकता है असर

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बस कुछ वक्त और... फिर अमेरिका को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा. मुकाबला रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक कमला हैरिस के बीच है. दोनों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है.

अमेरिका में चुनाव ऐसे वक्त हो रहे हैं, जब दुनिया में कई मोर्चों पर जंग लड़ी जा रही है. मध्य पूर्व में एक बड़ी लड़ाई का खतरा बढ़ता जा रहा है, तो वहीं रूस और यूक्रेन की जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.

चार साल में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव सिर्फ अमेरिका के लिए ही मायने नहीं रखते, बल्कि इसके नतीजे दुनिया पर असर डालते हैं. अमेरिकी चुनाव में जीत किसकी होगी, उससे अंतर्राष्ट्रीय संबंध, आर्थिक नीति और स्थिरता तय होगी.

क्यों मायने रखता है अमेरिकी चुनाव?

चुनाव में चाहें ट्रंप जीतें या फिर कमला हैरिस... नतीजों का दूरगामी असर पड़ने की उम्मीद है. गाजा की लड़ाई से लेकर यूक्रेन जंग तक, बहुत कुछ बदल सकता है.

अगर ट्रंप की जीत होती है तो रूस और यूक्रेन की लड़ाई का रुख बदल सकता है. इसकी वजह ये है कि ट्रंप शुरू से ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ खड़े रहे हैं. वो कई बार कह चुके हैं कि अगर वो राष्ट्रपति बनते हैं तो यूक्रेन को दी जाने वाली लाखों डॉलर की आर्थिक और सैन्य मदद बंद कर देंगे. ऐसी स्थिति में वो पुतिन और रूस पर लगे प्रतिबंध भी हटा सकते हैं. ट्रंप रूस के हमले के लिए यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की को ही जिम्मेदार ठहराते हैं. वहीं, अगर कमला हैरिस जीतती हैं तो बाइडेन की नीतियां ही जारी रहेंगी.

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इसी तरह, गाजा में चल रही जंग पर भी फर्क पड़ सकता है. कमला हैरिस इजरायल के साथ खड़ी तो हैं, लेकिन वो गाजा में मासूम फिलिस्तीनियों की मौत को रोकने की बात भी करती हैं. जबकि, ट्रंप खुलेआम कह चुके हैं कि इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू जो करना चाहते हैं, वो करें. हालांकि, ट्रंप दावा करते हैं कि वो राष्ट्रपति बने तो मध्य पूर्व में शांति ला देंगे.

हाल ही में इजरायल में एक सर्वे हुआ था, जिसमें 66 फीसदी लोगों ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए ट्रंप को पहली पसंद बताया था. जबकि, 17 फीसदी ने ही कमला हैरिस को अपनी पसंद बताया था.

NATO पर भी पड़ेगा असर

31 देशों के सैन्य संगठन NATO का दो तिहाई बजट अमेरिका से आता है. ट्रंप कई बार NATO से बाहर निकलने की धमकी दे चुके हैं. NATO के पूर्व महासचिव रोस गोटेमोलर ने स्वर्णिम भारत न्यूज़ से कहा कि डोनाल्ड ट्रंप यूरोप के लिए बुरे सपने की तरह हैं.

ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि बाकी देशों को भी NATO का बजट बढ़ाना चाहिए. वो जोर देते हैं कि हर सदस्य देश को अपनी जीडीपी का 2 फीसदी NATO को देना चाहिए. अभी 31 में से 23 देश ही ऐसा करते हैं. ट्रंप दावा करते हैं कि अगर वो जीते तो बाकी देशों पर खर्च बढ़ाने का दबाव डालेंगे.

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वहीं, ज्यादातर यूरोपीय देश कमला हैरिस की जीत चाहते हैं. वो इसलिए क्योंकि हैरिस के जीतने से NATO पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और न ही अस्थिरता पैदा होगी. हैरिस कह चुकी हैं कि वो यूक्रेन की जीत के लिए NATO और यूरोपियन यूनियन के साथ मिलकर काम करेंगी.

भारत पर क्या असर?

2020 के राष्ट्रपति चुनाव में जब जो बाइडेन की जीत हुई थी, तब उन्हें सबसे पहले बधाई देने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे.

बीते कुछ सालों में भारत और अमेरिका के रिश्ते स्थिर ही रहे हैं. भारत के लिहाज से ट्रंप का चुनाव जीतना ज्यादा फायदेमंद है. वो इसलिए क्योंकि बाइडेन की विदेश नीति की वजह से रूस, चीन के ज्यादा करीब जा रहा है. जबकि, भारत ऐसा नहीं चाहता. ट्रंप सरकार बनने से रूस और अमेरिका के रिश्ते सुधर सकते हैं. इससे वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत होगी.

हालांकि, ट्रंप जीतें या फिर कमला हैरिस, दोनों ही भारत को अपने साथ रखेंगे. क्योंकि इंडो-पैसिफिक रीजन में भारत ही है जो चीन का मुकाबला कर सकता है. चीन का दबदबा कम करने के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत है.

अगर कमला हैरिस जीतती हैं तो भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग और मजबूत करने की कोशिश कर सकती हैं. बाइडेन सरकार में अमेरिका और भारत ने सैन्य अभ्यास, हथियारों की खरीद और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसी चीजें मजबूत हुई हैं. हालांकि, ट्रंप के आने पर भी भारत और अमेरिका के बीच ऐसे ही संबंध बने रहने की संभावना है.

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हालांकि, ट्रंप का आना अमेरिका में काम कर रहे भारतीयों के लिए दिक्कत पैदा कर सकता है. इमिग्रेशन को लेकर ट्रंप का रवैया कठोर भरा रहा है. अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने H-1B वीजा पर रोक लगा दी थी. दूसरी तरफ, कमला हैरिस कुशल अप्रवासियों की वकालत करती हैं.

अगर कमला हैरिस जीतती हैं तो भारत और अमेरिका के संबंध और बेहतर हो सकते हैं. जबकि, ट्रंप के जीतने पर उनका राष्ट्रवाद भारतीयों के लिए चुनौती पैदा कर सकता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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