गिरिराज सिंह की हिन्दू स्वाभिमान यात्रा तो संघ के एजेंडे पर ही थी, BJP ने पल्ला क्यों झाड़ लिया? | Opinion

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बिहार में कई नेता, काफी दिनों से यात्राएं निकाल रहे हैं. हर यात्रा का खास राजनीतिक मकसद है. तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर से लेकर गिरिराज सिंह तक, ऐसी यात्राओं को देखें, तो गिरिराज सिंह की 'हिंदू स्वाभिमान यात्रा' बाकियों जैसी ही है, सिर्फ एक चीज गिरिराज सिंह की यात्रा को अलग करती है.

गिरिराज सिंह भी उसी दौर में यात्रा पर निकले थे, जब तेजस्वी यादव संवाद यात्रा कर रहे हैं, अपना राजनीतिक फोरम लॉन्च करे के लिे प्रशांत किशोर जन सुराज यात्रा हो, वीआईपी चीफ मुकेश सहनी की निषाद संकल्प यात्रा और सीपीआई-एमएल की न्याय यात्रा चल ही रही है.

गिरिराज सिंह को छोड़ कर बाकी सभी नेताओं की यात्रा उनकी राजनीतिक पार्टियों के बैनर तले हो रही है, लेकिन गिरिराज सिंह की यात्रा से तो बीजेपी ने पहले ही पल्ला झाड़ लिया है, और एनडीए में बीजेपी की सहयोगी जेडीयू को भी गिरिराज सिंह की यात्रा रास नहीं आई है.

कहने को तो गिरिराज सिंह ने भी अपनी तरफ से भी हिंदू स्वाभिमान यात्रा को निजी बताया था, लेकिन जिस यात्रा का एजेंडा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी जैसा ही हिंदुत्व का एजेंडा लिये हुए हैं, उससे बिहार बीजेपी का खुद को अलग कर लेना सुनने में ही अजीब लगता है.

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गिरिराज सिंह की यात्रा जेडीयू को पसंद न आये, ये तो ठीक है लेकिन बीजेपी को भी नापसंद हो ये बात हजम नहीं हो पा रही है. गिरिराज सिंह तो बिहार में मोदी और हिंदुत्व के शुरू से ही लंबरदार थे. बिहार से अकेले गिरिराज सिंह जब 'पाकिस्तान चले जाओ...' जैसे सलाह देते थे तो उसकी गूंज दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में सुनाई देती थी.

गिरिराज को बीजेपी का सपोर्ट क्यों नहीं मिला

पहले ये बात बिहार बीजेपी के बयान से समझने की कोशिश करते हैं. बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पहले तो ये बोल कर पल्ला झाड़ लिया कि गिरिराज सिंह की यात्रा बीजेपी के बैनर तले नहीं हो रही है, इसलिए उनकी टिप्पणी का कोई मतलब भी नहीं है.

फिर बोले, न नफरत के नाम पर, न सियासत के नाम पर... एनडीए चुनाव लड़ेगा मोहब्बत के नाम पर.

तो क्या दिलीप जायसवाल ये समझाने की कोशिश कर रहे थे कि गिरिराज सिंह की यात्रा नफरत के नाम पर चल रही थी. मोहब्बत की दुकान खोलने का दावा तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी करते आ रहे हैं, बीजेपी क्यों उधार के नारे को अपना बताने की कोशिश कर रही है.

क्या दिलीप जायसवाल को हिंदू स्वाभिमान यात्रा में मोहब्बत की कोई जगह नहीं दिखी? ऐसी बातें संघ और बीजेपी के लिए कांग्रेस नेताओं के मुंह से तो अच्छी लगती हैं, लेकिन कोई बीजेपी नेता ये सब बोले तो अजीब तो लगेगा ही.

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गिरिराज सिंह के यात्रा के रूट को देखें तो वो पूरी तरह हिंदुत्व के एजेंडे में फिट हो जाता है. 'हिंदू स्वाभिमान यात्रा' बिहार के सीमांचल क्षेत्र में निकाली गई थी. 18 अक्टूबर को भागलपुर से शुरू होकर ये यात्रा कटिहार, पूर्णिया, अररिया होते हुए किशनगंज पहुंच कर समाप्त हुई - और पूरी यात्रा में गिरिराज सिंह लोगों से एकजुट होने की अपील कर रहे थे.

गिरिराज सिंह की यात्रा जिन इलाकों से गुजरी है, वे मुस्लिम आबादी के लिहाज से काफी अहम हैं. जहां से यात्रा शुरू हुई, वहां भागलपुर में 18 फीसदी मुस्लिम आबादी है, जहां 1989 में सांप्रदायिक दंगा भी हुआ था.

और उसी तरह किशनगंज में मुस्लिम आबादी 68 फीसदी, कटिहार में 45 फीसदी, अररिया में 43 फीसदी और पूर्णिया में 38 फीसदी बताई जाती है - बिहार बीजेपी को गिरिराज सिंह से कोई निजी अदावत हो तो उसकी बात अलग है, नहीं तो उनकी हिंदू स्वाभिमान यात्रा की राजनीतिक अहमियत किसी भी मामले में कम नहीं है.

बात तो वही है, 'बंटेंगे तो कटेंगे'

हाल फिलहाल यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक बयान काफी चर्चित रहा है, 'बंटेंगे तो कटेंगे' - बिलकुल ऐसा ही तो नहीं, लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान भी मिलते-जुलते ही लगते हैं.

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मोहन भागवत का कहना है, 'हिंदू समाज को भाषा, जाति... और प्रांत के मतभेद, और विवाद मिटाकर अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा.'

प्रधानमंत्री मोदी वैसे तो कांग्रेस को टारगेट कर रहे हैं, लेकिन बात कोई अलग नहीं है, 'कांग्रेस जानती है कि उनका वोट बैंक तो एक रहेगा, लेकिन बाकी लोग आसानी से बंट जाएंगे... कांग्रेस और उनके साथियों का एक ही मिशन है, समाज को बांटो और सत्ता पर कब्जा करो... इसलिए हमारी एकता को ही देश की ढाल बनाना है... हमें याद रखना है कि अगर हम बंटेंगे तो बांटने वाले महफिल सजाएंगे.'

ध्यान दें तो गिरिराज सिंह भी वैसी ही बातें कर रहे हैं, और साथ में यात्रा भी. अपने लोकसभा क्षेत्र बेगूसराय से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर यात्रा का रूट प्लान करने वाले गिरिराज सिंह रास्ते में जो मुद्दे उठा रहे थे, वे भी संघ और बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे के दायरे में ही आते हैं.

कटिहार में 'लव, थूक और लैंड जिहाद' की बात करते हुए गिरिराज सिंह ने 'रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठ' का मुद्दा भी उठाते हैं - किशनगंज चौक पर पहुंच कर हनुमान चालीसा का पाठ भी पढ़ने लगते हैं.

हिंदू स्वाभिमान यात्रा के दौरान गिरिराज सिंह कहते हैां, 'सभी लोग अपने-अपने घरों में पूजा जरूर करें' और लगे हाथ योगी-मोदी-भागवत की तरह आगाह भी करते हैं, 'संगठित रहोगे, तभी सुरक्षित रहोगे.'

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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