इंजीनियर बहनों ने लगाया दिमाग, 6 लाख से शुरू किया काम, अब 50 करोड़ की कमाई!

नई दिल्‍ली: सुजाता बिस्‍वास और तान्या बिस्‍वास नाम की दो बहनों ने कुछ साल नौकरी करने के बाद अपना बिजनेस शुरू करने का फैसला किया। दोनों पेशे से इंजीनियर थीं। बिजनेस चलाने का उन्हें कोई तजुर्बा नहीं था। बहनों ने मिलकर सिर्फ 6 लाख रुपये से बिजनेस श

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नई दिल्‍ली: सुजाता बिस्‍वास और तान्या बिस्‍वास नाम की दो बहनों ने कुछ साल नौकरी करने के बाद अपना बिजनेस शुरू करने का फैसला किया। दोनों पेशे से इंजीनियर थीं। बिजनेस चलाने का उन्हें कोई तजुर्बा नहीं था। बहनों ने मिलकर सिर्फ 6 लाख रुपये से बिजनेस शुरू किया। आज उन्‍हें अपने कारोबार से सालाना 50 करोड़ रुपये से ज्‍यादा की कमाई होती है। उनके वेंचर का नाम है- सुता साड़ीज। यह ब्रांड पिछले कुछ सालों से इंस्टाग्राम पर छाया हुआ है। घर से शुरू हुआ यह सफर आज कई स्‍टोर तक पहुंच गया है। आइए, यहां सुजाता और तान्‍या की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

ऐसे पड़ा वेंचर का नाम

ऐसे पड़ा वेंचर का नाम

सुजाता और तान्‍या ने इंजीनियरिंग छोड़कर बिजनेस की दुनिया में कदम रखा। देखते ही देखते उन्‍होंने कामयाबी की बुलंदियों को छू लिया। सुजाता और तान्‍या बिस्‍वास पश्‍चिम बंगाल से ताल्‍लुक रखती हैं। वे साड़ियों के क्षेत्र में कुछ अलग करना चाहती थीं। इस तरह 'सुता' की शुरुआत हुई। इसका नाम उन्होंने अपने नाम के पहले दो अक्षरों 'सु' और 'ता' को मिलाकर रखा। दोनों ने 3-3 लाख रुपये लगाकर 6 लाख रुपये की पूंजी से इसकी शुरुआत की। वेंचर शुरू करने से पहले उन्‍होंने अलग-अलग जगहों पर जाकर बुनाई को जाना और समझा। उनका मकसद पारंपरिक परिधानों को आकर्षक बनाकर युवा महिलाओं के बीच लोकप्रिय बनाना था।

बारीकियों को जानने का किया फैसला

बारीकियों को जानने का किया फैसला

सुजाता और तान्‍या ने सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहने वाली पीढ़ी के बीच साड़‍ियों को प्रासंगिक बनाने का बीड़ा उठाया। उन्‍होंने इस काम की बारीकियों को जानने का फैसला किया। शुरू में वे बंगाल और ओडिशा के गांवों में गईं। फिर अपनी साड़ियों को बनाने के लिए देशभर में घूमती रहीं। उनके पास घर पर एक अलमारी के अलावा कुछ नहीं था जहां वे साड़ियां रखती थीं। फिर उन्‍होंने एक जर्जर गोदाम किराए पर ले लिया। शुरुआत में सुजाता और उनकी बहन जिन गांवों में बुनकरों से मिलने गईं, उनमें से कुछ थे फुलिया, बिष्णुपुर, राजपुर और बंगाल का धनियाखली।

2016 में रखी कंपनी की नींव

2016 में रखी कंपनी की नींव

दोनों बहनों ने 2016 में सुता साड़ीज की नींव रखी थी। उस साधारण शुरुआत से वे बहुत आगे निकल चुकी हैं। उनका सालाना रेवेन्‍यू 50 करोड़ रुपये से ऊपर निकल गया है। अब तक दोनों बहनें बिना किसी बाहरी फंडिंग के ही काम चलाती आई हैं। कोरोना महामारी के दौरान जहां बहुत से खुदरा विक्रेताओं को ऑनलाइन स्टोर खोलने पड़े। वहीं 'सुता' के साथ कहानी बिलकुल उल्टी रही। कोविड लॉकडाउन खत्म होने के तुरंत बाद उन्होंने फिजिकल स्टोर खोलने का फैसला किया।

दादी से आया आइडिया

दादी से आया आइडिया

सुजाता और तान्‍या ने अनुभव किया कपड़ों, खासकर साड़ियों की खरीदारी, सिर्फ ऑनलाइन नहीं हो सकती। लोग साड़ियों को देखकर ही खरीदने का फैसला लेना पसंद करते हैं। इसी को देखते हुए बहनों ने कोलकाता में एक स्टोर शुरू किया। फिर अन्‍य कई शहरों में भी इनका एक्‍सपैंशन किया। उनकी साड़ियों की कीमत आम तौर पर 2,500 रुपये से लेकर 3,500 रुपये तक होती है। सुजाता और तान्‍या को अपनी मां और दादी को सिल्क की साड़ियां पहने देखकर आइडिया आया था। उन्होंने सोचा कि क्यों न ऐसी साड़ियां बनाई जाएं जो घर और ऑफिस दोनों जगह आरामदायक हों।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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