बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और दो महीने पहले ही वजूद में आने वाली जनसुराज पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं. मोनाजिर हसन और देवेंद्र प्रसाद यादव ने जनसुराज छोड़ने का ऐलान कर दिया है. दोनों ने कोर कमेटी से इस्तीफा दे दिया है और अब तक कोई वजह भी नहीं बताई है. दोनों ही नेता कुछ महीने पहले जनसुराज से जुड़े थे और उन्हें 'M-Y' फैक्टर के तौर पर देखा रहा था. बिहार की राजनीति में दोनों नेताओं को खांटी माना जाता है. देवेंद्र और मोनाजिर लंबे समय तक जेडीयू और आरजेडी का हिस्सा रहे और सांसद भी चुने गए. जानिए, दोनों नेताओं की जमीनी पकड़ कितनी है?
जनसुराज पार्टी के संस्थापक पूर्व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर हैं. उन्होंने महात्मा गांधी की जयंती (2 अक्टूबर) पर अपने राजनीतिक दल का ऐलान किया था. प्रशांत I-PAC के भी संस्थापक हैं. उन्होंने कुछ साल पहले चुनावी रणनीतिकार के काम से खुद को दूर कर लिया था. वे कुछ समय के लिए नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का हिस्सा भी रहे हैं.
बाद में प्रशांत किशोर ने अपनी राहें अलग कीं और बिहार की राजनीति में सक्रिय हो गए. प्रशांत की पार्टी हाल ही में बिहार विधानसभा के उपचुनाव में पहली बार मैदान में उतरी. हालांकि, हार का सामना करना पड़ा.
मोनाजिर हसन
मोनाजिर हसन बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं. एक समय उन्हें नीतीश कुमार का भरोसेमंद सिपहसालार माना जाता था. वे लोकसभा में जाने से पहले नीतीश कैबिनेट में मंत्री भी रह चुके हैं. हसन जेडीयू के साथ-साथ राजद से भी जुड़े रहे. हसन, लालू यादव कैबिनेट में भी मंत्री रह चुके हैं. नीतीश से राजनीतिक मतभेद के बाद हसन ने 28 मई 2023 को जेडीयू के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद 18 सितंबर 2023 को वे उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल में शामिल हो गए.
इसी साल 22 जुलाई को उन्होंने जनसुराज जॉइन कर लिया था. लेकिन यहां भी ज्यादा समय तक नहीं टिक पाए और अब प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज से भी मोहभंग हो गया. हसन लोकसभा सांसद भी रहे हैं और राज्य विधानमंडल का भी हिस्सा रहे हैं. उनका लंबा राजनीतिक कार्यकाल रहा है. हसन को राजनीति में मंझे हुए खिलाड़ी माना जाता है और मुस्लिम वर्ग में उनकी अच्छी पकड़ है.
हसन 1995 से 2009 तक चार बार मुंगेर सीट से बिहार विधानसभा के सदस्य रहे. 1997 से 2004 तक राष्ट्रीय जनता दल की यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष रहे. 2000 से 2004 तक बिहार सरकार में युवा एवं खेल राज्य मंत्री रहे. 2005 से 2008 तक बिहार सरकार में भवन निर्माण विभाग में कैबिनेट मंत्री रहे.
हसन तब चर्चा में आए, जब 2009 में वे बेगूसराय लोकसभा से चुनाव लड़े और पहले मुस्लिम नेता के तौर पर जीत हासिल की. उन्होंने बेगूसराय से भूमिहार जाति के वर्चस्व को समाप्त किया. वे 2014 तक बेगुसराय लोकसभा सीट से सांसद रहे.
देवेंद्र यादव
देवेंद्र प्रसाद यादव को बड़ा समाजवादी नेता माना जाता है. मिथिलांचल इलाके में उनका अच्छा खासा जनाधार है. वे 1977 में पहली बार फुलपरास सीट से विधायक बने. लेकिन कर्पूरी ठाकुर के लिए उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और अपनी सीट खाली कर दी थी. बाद में वे बिहार विधान परिषद के लिए चुने गए और मई 1978 से नवंबर 1989 तक सदस्य रहे. वे युवा लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे.
वे 1989 से 1998 तक और 1999 से 2009 तक झंझारपुर से सांसद रहे. जून 1996 में यादव केंद्रीय मंत्री बने. वे देवेगौड़ा सरकार और गुजराल सरकार में खाद्य, नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्री थे. उनके पास वाणिज्य मंत्रालय का भी अतिरिक्त प्रभार रहा.
वे लोकसभा में जेडीयू के उपनेता रहे, लेकिन बाद में पार्टी छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए. देवेंद्र को एक समय आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव का बेहद करीबी नेता माना जाता था. वे झंझारपुर से 5 बार सांसद रह चुके हैं.
उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल छोड़ने के बाद समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक का गठन किया. बाद में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय किया. इस साल आम चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर यादव ने RJD छोड़ दी थी.
यादव अगस्त 2024 में जनसुराज पार्टी में शामिल हुए थे. देवेंद्र 1989, 1991 और 1996 में एकीकृत जनता दल, 1999 में जदयू और 2004 में आरजेडी के टिकट पर झंझारपुर से चुनाव जीते और सांसद रहे. देवेंद्र कहते हैं कि मैंने 1996 में प्रधानमंत्री पद के लिए मुलायम सिंह यादव का समर्थन किया तो लालू प्रसाद भड़क गए थे. इसके ठीक एक साल बाद मुझे केंद्रीय मंत्री पद से हटा दिया गया. यादव ने 2015 में जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा से इस्तीफा दे दिया था.
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