इनसाइड स्टोरी- मेरी जरूरत नहीं तो... रिटायरमेंट पर अश्विन की रोहित से हुई थी खरी-खरी बात

नई दिल्ली: रविचंद्र अश्विन ने अपने अंतरराष्ट्रीय संन्यास से पहले भारतीय कप्तान रोहित शर्मा से कहा कि अगर इस समय सीरीज में मेरी जरूरत

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नई दिल्ली: रविचंद्र अश्विन ने अपने अंतरराष्ट्रीय संन्यास से पहले भारतीय कप्तान रोहित शर्मा से कहा कि अगर इस समय सीरीज में मेरी जरूरत नहीं है तो मेरे लिए खेल को अलविदा कहना ही बेहतर होगा। उन्होंने 14 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के बाद संन्यास का फैसला भी अपने समय पर लिया। ऐसा माना जा रहा है कि न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के बाद से ही उनके दिमाग में संन्यास का विचार था। इस सीरीज में भारत को 0-3 से हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने टीम प्रबंधन को यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर ऑस्ट्रेलिया सीरीज के दौरान उन्हें एकादश में जगह नहीं मिलती है तो वह ऑस्ट्रेलिया नहीं जाएंगे। भारत ने पर्थ में अश्विन पर वाशिंगटन सुंदर को तरजीह दी जिसके बाद इस अनुभवी ऑफ स्पिनर ने रोहित के आग्रह पर गुलाबी गेंद के टेस्ट के लिए एकादश में वापसी की।
रविंद्र जडेजा ब्रिस्बेन टेस्ट में खेले और जैसा कि रोहित ने गाबा में ड्रॉ हुए तीसरे टेस्ट के बाद कहा, कोई नहीं जानता कि मेलबर्न और सिडनी में होने वाले बाकी दो मैचों के लिए टीम कैसी होगी। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के एक वरिष्ठ सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘चयन समिति की ओर से कोई संकेत नहीं मिला। अश्विन भारतीय क्रिकेट में एक दिग्गज हैं और उन्हें अपना फैसला खुद लेने का अधिकार है।’ अगली टेस्ट सीरीज इंग्लैंड में (जून से अगस्त) है जहां शायद भारत दो से अधिक विशेषज्ञ स्पिनरों को साथ नहीं ले जाए जो बल्लेबाज भी हों।


भारत की अगली घरेलू टेस्ट सीरीज अक्टूबर-नवंबर में है। दस महीने लंबा समय है और एक बार जब यह विश्व टेस्ट चैंपियनशिप चक्र समाप्त हो जाएगा तो नजरें 2027 पर होंगी। अश्विन तब तक 40 वर्ष के हो चुके होंगे और उम्मीद है कि भारतीय क्रिकेट में बदलाव का दौर पूरा हो चुका होगा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज समाप्त होने तक इंतजार नहीं करने के अश्विन के फैसले से यह भी संकेत मिला कि पर्थ में शुरुआती मैच उन पर सुंदर को तरजीह दिए जाने की उनके फैसले में अहम भूमिका रही। मैदान पर और मैदान के बाहर खेल को पढ़ने में सक्षम अश्विन ने शायद यह अनुमान लगा लिया होगा कि आगे क्या होने वाला है और शायद इससे उनके लिए फैसला लेना आसान हो गया। अश्विन ने भारतीय टीम की जर्सी को बहुत गर्व के साथ पहना।

लिया संन्यास या दिया संन्यास? रविचंद्रन अश्विन के अचानक रिटायरमेंट पर उठते 3 बड़े सवाल
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    रविचंद्रन अश्विन पिछले एक दशक से टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया के फ्रंटलाइन स्पिनर रहे हैं। यही कारण है कि वे टीम इंडिया की तरफ से लाल गेंद फॉर्मेट में दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले टीम इंडिया में अश्विन के लिए सब कुछ ठीक चल रहा था। न्यूजीलैंड के खिलाफ अश्विन ने दमदार गेंदबाजी भी की, लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिर्फ एक मैच खेलने का बाद ही संन्यास की घोषणा कर दी। अश्विन एडिलेड में पिंक बॉल टेस्ट मैच में मैदान पर उतरे थे, जिसमें उनके नाम सिर्फ 1 ही विकेट रहा। इससे पहले पर्थ में उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला था। रोहित शर्मा के मुताबिक अश्विन पर्थ में ही संन्यास की घोषणा की करना चाहते थे, लेकिन कप्तान के कहने पर रुक गए। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या विदेशी धरती पर अश्विन का असरदार नहीं होने के कारण उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा गया, जिसके बाद उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया। क्योंकि एडिलेड के बाद ब्रिस्बेन में उनकी जगह रवींद्र जडेजा को मैदान पर उतारा गया। क्योंकि सीनियर खिलाड़ी के तौर पर लगातार अनदेखी करना एक तरह का यह संदेश ही था कि अब अश्विन की टीम में जगह नहीं बन रही है।

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    इसमें कोई शक नहीं है कि रविचंद्रन अश्विन अब अपने करियर के आखिरी पड़ाव में थे। टीम इंडिया के लिए 16 साल के लंबे करियर में अश्विन ने कई यादगार पल जिए, लेकिन जब उनके रिटायरमेंट का समय आया तो आखिर क्या वजह थी कि उन्हें विदाई मैच भी नहीं मिला। ऐसे में यह एक सवाल है। इसके साथ ही यह समझा जा सकता है कि करियर के अंतिम पड़ाव में कही ना कही अश्विन की अनदेखी की गई। अश्विन को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर स्क्वाड में शामिल तो किया गया, लेकिन प्लेइंग इलेवन उन्हें जगह नहीं मिल रही थी। पर्थ में टेस्ट में अश्विन को बाहर बैठाया गया। एडिलेड में पिंक बॉल टेस्ट मैच में उन्हें मौका मिला था तो वह कुछ खास कमाल नहीं कर सके और सिर्फ 1 विकेट ही ले पाए। इसके बाद ब्रिस्बेन के गाबा में फिर से उन्हें बाहर रखा गया। ऐसे में लगातार टीम से बाहर किए जाने के कारण भी अश्विन को यह समझ में आ गया था कि अब टीम इंडिया में उनके दिन पूरे हो गए हैं और टीम मैनेजमेंट चाहती है कि वह संन्यास लेने का फैसला करे।

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    टीम इंडिया में अनदेखी के साथ ही अश्विन पर बढ़ती उम्र भी उनके संन्यास का एक कारण रहा। भारत के लिए 100 ज्यादा टेस्ट मैच में 537 विकेट लेने वाले अश्विन कुछ दिनों में 39 साल के हो जाएंगे। टीम इंडिया में अश्विन अपनी गेंदबाजी के साथ-साथ बल्लेबाजी भी करते हैं। इसके अलावा अश्विन इंडियन प्रीमियर लीग और टीएनपीएल में भी लगातार खेलते हुए आ रहे हैं। ऐसे में 39 साल के होने वाले अश्विन के लिए इस उम्र में अपनी फिटनेस को कारगर रखना भी एक चुनौती रहा होगा, जिसके कारण उन्होंने संन्यास की घोषणा की है।



उन्होंने 537 टेस्ट विकेट लिए और 38 साल की उम्र में अश्विन रिजर्व खिलाड़ी की तरह सिर्फ ड्रेसिंग रूम में नहीं बैठना चाहते। न्यूजीलैंड सीरीज में स्पष्ट रूप से इसके संकेत मिले थे जब उन्होंने तीन मैच में 9 विकेट लिए जिसमें से दो मुकाबले पुणे और मुंबई में स्पिन की अनुकूल पिच पर खेले गए। इसकी तुलना में सुंदर ने पुणे में 12 विकेट लिए जबकि अश्विन को पांच विकेट मिले। पर्थ में जब अंतिम एकादश को अंतिम रूप दिया गया था तब रोहित मौजूद नहीं थे और यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह कोच गौतम गंभीर थे जिन्होंने यह तय किया था कि आगे चलकर भारत का नंबर एक ऑफ स्पिनर कौन होगा और वह अश्विन नहीं थे। टीम से जुड़ने के बाद रोहित को अश्विन को एडीलेड में खेलने के लिए मनाना पड़ा।



भारतीय कप्तान ने खुलासा किया, ‘जब मैं पर्थ पहुंचा तो हमने इस बारे में बात की और मैंने किसी तरह उसे गुलाबी गेंद के टेस्ट मैच के लिए रुकने के लिए मना लिया और उसके बाद, यह बस हो गया...उसे लगा कि अगर अभी सीरीज में मेरी जरूरत नहीं है तो मेरे लिए खेल को अलविदा कह देना ही बेहतर होगा।’ रोहित ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि जब उसके जैसा खिलाड़ी, जिसने भारतीय टीम के साथ इतने सारे पल देखे हों और वह हमारे लिए एक बड़ा मैच विजेता रहा हो, तो उसे अपने दम पर ये फैसले लेने की अनुमति दी जाए और अगर यह अभी है, तो ऐसा ही हो।’ पूर्व ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह को लगता है कि चेन्नई के इस खिलाड़ी को सीरीज के बाद तक इस घोषणा को टालना चाहिए था।

क्रिकेट के मैदान पर रविचंद्रन अश्विन से जुड़े ये 5 विवाद, एक में तो दिनेश कार्तिक ने किया बीच-बचाव
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    इंडियन प्रीमियर लीग 2019 में रविचंद्रन अश्विन जब पंजाब किंग्स के लिए खेलते थे तो राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मुकाबले में उन्होंने जोस बटलर को मांकड़िंग किया था। मांकड़िंग के तहत कोई बल्लेबाज तब आउट होता है जब वह गेंदबाज के गेंद फेंकने से पहले नॉन स्ट्राइक एंड पर रन के लिए अपना क्रीज छोड़ दें। ऐसे गेंदबाज के पास मौका होता है तो वह उसे रन आउट कर सके। ऐसा ही अश्विन ने भी किया था। आईपीएल में यह घटना नई थी। इस तरह से आउट होने के बाद बटलर काफी निराश थे और क्रिकेट एक्सपर्ट भी दो भागों में बंट गए। कुछ का मानना था कि अश्विन को कम से कम एक बार चेतावनी देनी चाहिए। दूसरी बार में भी बल्लेबाज ऐसा करता है तो वे मांकड़िंग कर सकते हैं। वहीं कुछ का मानना है था कि जब नियम में मांकड़िंग के तहत आउट दिया जाता है तो फिर अश्विन कोई गलती नहीं की। इस तरह इस मामले में पर खूब विवाद हुआ था।

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    अश्विन से ही जुड़ा एक और मामला आईपीएल का है। इस बार अश्विन दिल्ली कैपिटल्स की जर्सी में थे। बल्लेबाजी के दौरान केकेआर के खिलाफ जब बाय के रूप में एक रन के लिए दौड़े तो उस समय में कप्तान इयोन मोर्गन ने इसे खेल भावना के विपरीत बताया। इस पर अश्विन और मोर्गन के बीच भिड़ंत हो गई। हालांकि, केकेआर के लिए खेलने वाले दिनेश कार्तिक ने बीच बचाव मामले को शांत किया था। नहीं तो यह विवाद काफी आगे बढ़ सकती थी।

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    साल 2018 में रविचंद्रन अश्विन ने सोशल मीडिया पर एक शू ब्रांड के लिए पोस्ट शेयर किया था। पर साउथ अफ्रीका के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर हर्षल गिब्स ने भी प्रतिक्रिया दी। हर्शल गिब्स ने ट्वीट करते हुए लिखा की मुझे उम्मीद है कि अब आप और तेज दौड़ पाएंगे। गिब्स ने ये बात सिर्फ मजाक में की थी, लेकिन अश्विन शायद इसे नहीं समझ पाए और उन्होंने मजाक-मजाक में गिब्स को फिक्सर कह दिया था। गिब्स को यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी थी और उन्होंने कहा कि अश्विन मजाक को भी ठीक तरह से नहीं ले सके। हालांकि, इसके बाद अश्विन ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि उन्होंने भी गिब्स को मजाक में ही फिक्सर कहा।

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    तमिलनाडु प्रीमियर लीग में त्रिचि और डिंडिगुल ड्रैगन्स के मैच में एक ही गेंद पर दो DRS का मामला भी खूब उछला था। दरअसल विकेट के पीछे लिए गए कैच को फील्ड अंपायर ने सही करार देते हुए आउट दिया। इसके बाद आउट दिए गए त्रिचि के बल्लेबाज ने थर्ड अंपायर का सहारा लिया। थर्ड अंपायर ने मैदानी अपंयार के फैसले को पलट कर उसे नॉटआउट करार दिया गया। इस फैसले से डिंडिगुल ड्रैगन्स टीम के कप्तान अश्विन खुश नहीं थे। उन्होंने फैसले को चुनौती दे दी और फिर रिव्यू ले लिया। हालांकि, थर्ड अंपायर अपने फैसले पर कायम रहे और बल्लेबाज नॉटआउट रहा। इस मामले में अश्विन की अंपायर के साथ जबरदस्त बहस देखने को मिली थी।

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    भारत के लिए 765 इंटरनेशनल विकेट लेने वाले अश्विन पर पूर्व दिग्गज लक्ष्मण शिवरामाकृष्णन ने गंभीर आरोप लगाए थे। यह घटना अश्विन के 100वें टेस्ट मैच की है। पूर्व भारतीय स्पिनर लक्ष्मण शिवरामकृष्णन अश्विन के व्यवहार से निराशा जताई। सिवारामाकृष्णन ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि अश्विन ने उनके फोन कॉल काट दिए और उन्हें 100वें टेस्ट की बधाई के संदेश का भी कोई जवाब नहीं दिया। पूर्व भारतीय स्पिनर ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि उन्हें उनके 100वें टेस्ट के लिए शुभकामनाएं देने के लिए कई बार फोन करने की कोशिश की। उन्होंने मेरा फोन काट दिया। उन्हें एक संदेश भेजा, जिसका कोई जवाब नहीं मिला। यही सम्मान हमें पूर्व क्रिकेटरों को मिलता है। हालांकि, इस पूरे मामले में अश्विन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।



उन्होंने कहा, ‘आंकड़े झूठ नहीं बोलते और उसका रिकॉर्ड बहुत शानदार है। मैं चाहता था कि वह अंतिम दो टेस्ट के लिए रुक जाए क्योंकि वह सिडनी में भूमिका निभा सकता था। लेकिन यह एक व्यक्तिगत निर्णय है।’ हरभजन ने कहा, ‘जब नाम अश्विन जितना बड़ा हो तो फैसला खिलाड़ी का होता है।’ एक विचारधारा यह भी है कि यदि परिस्थितियां अनुमति देती और भारत सिडनी में दो स्पिनरों के साथ उतरता तो जडेजा को वाशिंगटन के साथ मौका मिलता क्योंकि ये दोनों एसईएनए (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया) देशों में अधिक सक्षम बल्लेबाज माने जाते हैं।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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