आपने यह बात हर किसी से सुनी होगी कि स्मोकिंग और अन्य तंबाकू प्रोडक्ट्स से लंग्स को काफी नुकसान होता है. 2021 में भारत में तंबाकू के कारण लगभग 10 लाख मौतें हुईं जो कुल मौतों का लगभग 17.8 प्रतिशत था. इनमें से 79.8 प्रतिशत मौतें धूम्रपान के कारण और 21.0 प्रतिशत मौतें सेकेंड हैंड धुएं (दूसरे के तंबाकू का धुआं फेफड़ों में जाना) के कारण हुईं. अमेरिकी कैंसर सोसायटी के अनुसार, धूम्रपान से हर साल वहां 5 में से 1 की मौत होती है.
हाल में हुई रिसर्च में सामने आया है कि 2006 और 2010 के बीच जन्मे लोगों को सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर, दुनिया भर में 12 लाख लोगों को फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतों को 70 सालों में रोका जा सकता है.
क्या कहती है रिसर्च
स्पेन के सैंटियागो डे कंपोस्टेला यूनिवर्सिटी की रिसर्च की राइटर जूलिया रे ब्रांडारिज ने कहा, 'फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में काफी लोगों की जान लेता है. इनमें से दो तिहाई मौतें तंबाकू और धूम्रपान से जुड़ी हुई हैं. हमारी रिसर्च इस बार पर प्रकाश डालती है कि तंबाकू को अगर बंद किया जाए तो कितना फायदा हो सकता है.'
'इससे न केवल बड़ी संख्या में लोगों की जान बच सकती है, बल्कि धूम्रपान के कारण बीमार लोगों के इलाज और देखभाल के लिए हेल्थ सिस्टम पर पड़ने वाले प्रेशर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है.'
द लैंसेट पब्लिक हेल्थ में पब्लिश हुई स्टडी बताती है कि तंबाकू को अगर बंद किया जाए तो 2095 तक इस एज ग्रुप के लोगों में फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतों को 40 प्रतिशत तक रोका जा सकता है.
द लैंसेट पब्लिक हेल्थ में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, 2050 तक दुनिया भर में धूम्रपान की बिक्री को अभी के स्तर से 5 प्रतिशत भी कम करने से पुरुषों की लाइफ में 1 साल और महिलाओं की लाइफ में 0.2 साल की वृद्धि होगी.
रिसर्चर्स की टीम का अनुमान है कि वहीं ऐसा करने से लोगों की ग्लोबली उम्र जो 2022 में 73.6 साल है, वह बढ़कर 2050 में 78.3 साल हो जाएगी.
यह अनुमान लगाया गया है कि उम्र के आधार पर 2050 में 21 प्रतिशत पुरुष और 4 प्रतिशत महिलाएं धूम्रपान करेंगी जो जगह के मुताबिक बदल सकती है. रिसर्च के राइटर्स का कहना है कि यदि पिछले साल धूम्रपान पूरी तरह समाप्त कर दिया गया होता, तो 2050 में पुरुषों की उम्र 1.5 साल और महिलाओं की 0.4 साल बढ़ सकती थी.
13 से 18 साल है बच्चों की उम्र
रिसर्चर्स का कहना है कि उन्होंने 2006 और 2010 के बीच जन्मे लोगों पर स्टडी इसलिए की है क्योंकि वे लोग अभी 13 से 18 वर्ष के बीच हैं और अधिकांश देशों में तम्बाकू प्रोडक्ट खरीदने की कानूनी उम्र भी 18 साल है.
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की रिसर्च राइटर इसाबेल सोर्जोमाटरम ने कहा, 'हालांकि पिछले कुछ वर्षों में अधिक कमाई वाले देशों में धूम्रपान की दर में गिरावट आई है, लेकिन अभी भी फेफड़े का कैंसर से मौत और बीमारी का प्रमुख कारण बना हुआ है. वहीं कम और मध्यम आय वाले देशों में, जहां युवाओं की आबादी तेजी से बढ़ रही है, तम्बाकू की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रभाव और भी अधिक हो सकता है.'
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