डायबिटीज भारत समेतदुनिया भर में तेजी से फैल रही एक सामान्य लेकिन बेहद खतरनाक बीमारी है. इसकी भयावह होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये हार्ट डिसीस, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों को पैदा करती है.2008-2020 के एक सरकारी सर्वेमें पाया गया कि भारत में करीब 11% आबादी डायबिटीज से पीड़ितहै. यानी भारत की कुल जनसंख्या का इतना बड़ा हिस्सा डायबिटीज की चपेट में है औरअगले 20 सालों में डायबिटीज पीड़ितों की यह संख्या करीब दोगुनी होने की उम्मीद है.
इस बीच डायबिटीज के पुरुषों पर पड़े वाले गंभीरप्रभावों को लेकर हुए एकवैश्विक अध्ययन में यह पाया गया है किडायबिटीज पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (ED) का रिस्क पैदा करती है औरउनकी सेक्शुअल हेल्थ को बर्बाद कर सकती है यानी एक तरह से उन्हें नपुंसक बना सकती है.
रिसर्च में किया गयाये दावा
इंग्लैंड स्थित बायोमेड सेंट्रल(बीएमसी) पब्लिक हेल्थ जर्नलमें प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में मधुमेह रोगियों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) के मौजूदा खतरे और इससे जुड़े जोखिम कारकों की जानकारीदी गई है. साथ ही बताया गया है कि दुनिया भर में डायबिटीज से पीड़ित 65.8 प्रतिशत पुरुषED से जूझ रहे हैं.
इरेक्टाइल डिसफंक्शन की स्थिति में पुरुषों के लिए यौन संबंध बनाना और यौन संतुष्टि पाना मुश्किल हो जाता है.
रिसर्च में बताया गया कि यह बीमारी बेहद खतरनाक और शरीर के अलग-अलग अंगों पर अलग तरह से असर करती है.
डायबिटीज कैसे ईडी का रिस्क बढ़ाती है
इससे पहले हुई कई रिसर्च में भी यह बताया जा चुकाहै कि ईडी एक आदमी की शारीरिक, मानसिक और इमोशनल हेल्थ को प्रभावित करता है. इस प्रकार दुनिया भर में ईडी के बढ़ते मामलों को देखते हुए उन विभिन्न कारकों की जांच करना जरूरी है जो किसी व्यक्ति में इस जोखिम को बढ़ाते हैं. उदाहरण के लिए ईडी के बढ़ते मामले कई पुरानी बीमारियों से जुड़ेहुए हैं जिनमें हृदय रोग (सीवीडी), डायबिटीज मेलिटस (डीएम) और अवसाद शामिल हैं.
ऐसे बढ़ता हैईडी का रिस्क
डायबिटीज में हाई ब्लड शुगर का लेवल एंडोथेलियल डिसफंक्शन का कारण बन सकता है जो रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है. इसके अलावा क्रॉनिक डायबिटीज के कारण ऑक्सिडेटिव तनाव से शरीर को हुए नुकसान और न्यूरोपैथी भी ईडी को उत्पन्न करती है. ये सभीकंडीशन एकसाथ मिलकर इरेक्शन की प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभावडालती हैं.
डायबिटीज से बढ़ता है रिस्क
डायबिटीज दो प्रकार की तंत्रिका क्षति (peripheral और autonomic nerve damage/नर्व डैमेज) का भी कारण बनती है और ये भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या को बढ़ाता है. peripheral नर्व डैमेज में लिंग और मस्तिष्क के बीच काम करने वाले सिग्नलडिस्टर्ब हो जाते हैं जिससे शरीर को उत्तेजित होने में कठिनाई होती है. यह स्थिति लिंग में रक्त के प्रवाह को बाधितकरती है जिससे इरेक्शन में दिक्कत पैदा होने लगती है.
रिसर्च में मिले चौंकाने वाले नतीजे
इस मौजूदा स्टडी में यह भी पता लगाने की कोशिश की गई कि ये बीमारी दुनिया भर में कितनी फैली हुई है, इसके लिए डायबिटीज से पीड़ित 1 लाख 8 हजार 30 पुरुषों को शामिल किया गया था. इस रिसर्च के लिए AMSTAR 2 क्वालिटी एसेसमेंट टूल का उपयोग किया गया था और इस दौरान 65.8% डायबिटिक पुरुष इरेक्टाइल डिस्फंक्शनसे पीड़ित पाए गए.
स्टडी में पाया गया कि डायबिटीज से पीड़ित पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन होने का खतरा बहुत अधिक है. मौजूदा अनुमानों के अनुसार, मधुमेह से पीड़ित 66% पुरुष इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से प्रभावित हैं. इसलिए इस बीमारी के बारे में जागरुकता बढ़ाना और इस पर चर्चा करने के बड़े पैमाने पर हेल्थ स्कीम्स बनाने और मौजूदा नीतियों मेंसुधार करना जरूरी है जिससे समय रहते इसका पता लगाने, इलाज करने और इससे बचने की दिशा में काम किया जा सके.
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