China News in Hindi: पिछले महीने ताइवान का आसमान चीन के लड़ाकू विमानों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा. हवा में नए हमलावर विमान, समुद्र में नए-नए युद्धपोत और मिसाइलें उतारकर चीन ने सीधे अमेरिका को चुनौती दे डाली. उन खतरनाक हथियारों मे से एक ऐसा है जो पहली बार तब उड़ा था, जब दुनिया शीतयुद्ध के शुरुआती दौर में थी. चीन ने हाल ही में अपने H-6 लड़ाकू जेट को आधुनिक रूप देकर ताइवान में उतारा. अमेरिका भी कोल्ड वॉर के समय के B-52 बमवर्षकों के अपग्रेडेड वर्जन का इस्तेमाल करता है.
चीन का H-6 बॉम्बर: कोल्ड वॉर का योद्धा
चीनी सेना पर पेंटागन की रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन ने H-6 बमवर्षकों में कई आधुनिक क्षमताएं जोड़ी हैं. अपग्रेडेड H-6 बॉम्बर में से कुछ अब परमाणु वॉरहेड्स से लैस बैलिस्टिक मिसाइलें भी लॉन्च कर सकते हैं. चीन ने कई H-6 बॉम्बर्स में लंबी दूरी की एंटी-शिप और लैंड अटैक मिसाइलें ले जाने की क्षमता भी जोड़ी है.
डिफेंस एनालिस्ट्स के अनुसार, कुछ H-6 बॉम्बर्स को हवा में ही रिफ्यूल किया जा सकता है. इससे वे चीन के भीतरी इलाकों में मौजूद एयरबेस से उड़ान भर के पश्चिमी प्रशांत में बेहद भीतर तक मार कर सकते हैं. वहां पर गुयाम समेत अमेरिका के कई प्रमुख सैन्य ठिकाने स्थित हैं.
यह भी पढ़ें: भारत के तीन, चीन के पास एक, किस देश के हैं दुनिया में सबसे ज्यादा मिलिट्री बेस
जंग छिड़ी तो कहर बरपा सकते हैं H-6 बॉम्बर
अमेरिका ने 1962 में B-52 बॉम्बर बनाने बंद कर दिए थे. उसके बाद से उन्हें अपग्रेड करके ही इस्तेमाल में लाया जाता रहा. दूसरी तरफ, चीन लगातार दो इंजन वाले H-6 विमान बनाता रहा. एक अनुमान के मुताबिक, चीन के पास ऐसे करीब 230 बॉम्बर्स हैं. चीन के H-6 फाइटर सोवियत यूनियन के टूपोलेव Tu-16 बॉम्बर पर आधारित थे. ड्रैगन ने ये विमान 1950s में बनाने शुरू किया था.
अमेरिकी और ताइवानी मिलिट्री एक्सपर्ट्स के हवाले से रॉयटर्स ने कहा कि H-6 बॉम्बर्स बेहद गंभीर खतरा बन सकते हैं. चीन की मिलिट्री डॉक्ट्रिन में, ताइवान पर आक्रमण जैसे द्वीपीय लैंडिंग अभियानों के लिए मुख्यालयों, संचार सुविधाओं, रसद केंद्रों और अन्य प्रमुख लक्ष्यों पर हमले के साथ-साथ समुद्र में हवाई अड्डों, बंदरगाहों और जहाजों पर हमले करने की बात है.
यह भी देखें: समंदर में दुश्मनों का बन जाता है कब्रिस्तान, ये हैं दुनिया की सबसे खतरनाक पनडुब्बियां, लिस्ट में भारत भी
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चीन इन सभी के लिए H-6 बॉम्बर्स का इस्तेमाल करेगा. उन्होंने रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि अमेरिका को एच-6 बॉम्बर्स को तब तक बेअसर करने की कोशिश करते रहनी चाहिए जब तक वे जमीन पर ही हैं.
चीन अब इन विमानों को तट से दूर मिशनों पर नियमित रूप से भेजने लगा है. बीजिंग अब इन विमानों को उसी तरह तैनात कर रहा है जिस तरह से अमेरिकी वायु सेना दूर के लक्ष्यों पर हमला करने की क्षमता का संकेत देने के लिए बी-52 और अन्य बॉम्बर्स के साथ लंबी दूरी की गश्त करती है.
यह भी पढ़ें: दिखता है आग का गुबार, छा जाता है अंधेरा...दुश्मनों के चीथड़े उड़ा देते हैं ये ड्रोन
ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में ठनी
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने रॉयटर्स को बताया कि चीन की मिलिट्री एक्सरसाइज के दौरान 'तीन H-6 एयरक्राफ्ट के तीन समूह' उसके एयरस्पेस में उड़ान भरते देखे गए थे. दो समूहों ने तो हमला करने का अभ्यास भी किया.
पेंटागन के प्रवक्ता मेजर पीट गुयेन ने कहा कि अमेरिका 'किसी भी खतरे का जवाब देने और मातृभूमि की रक्षा करने के लिए तैयार है.' बीजिंग का कहना है कि ताइवान चीन का हिस्सा है और उसने द्वीप को अपने नियंत्रण में लाने के लिए बल प्रयोग से इनकार नहीं किया है. ताइवान की लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार चीन के दावों को सिरे से खारिज करती है.
धरती के किसी भी कोने में हो जंग, पिसती है पूरी दुनिया, 21वीं सदी के पांच सबसे खतरनाक युद्ध
अमेरिका में राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की वापस से चीन के साथ तनाव बढ़ने का खतरा है. ड्रैगन ने इसी हफ्ते, एक एयर शो के दौरान J-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान का प्रदर्शन किया है.
+91 120 4319808|9470846577
स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.