आखिर पाकिस्तान में VPN के इस्तेमाल को गैर-इस्लामी क्यों बताया गया? अब इस पर दी सफाई

Pakistan VPN issue: पाकिस्तान में प्रतिबंधित ऑनलाइन सामग्री देखने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) के उपयोग को 'गैर-इस्लामी' करार देने के फैसले के बाद विवाद खड़ा हो गया. इस फैसले की भारी आलोचना के बीच, मौलवियों के शीर्ष संगठन के प्रमुख ने

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Pakistan VPN issue: पाकिस्तान में प्रतिबंधित ऑनलाइन सामग्री देखने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) के उपयोग को 'गैर-इस्लामी' करार देने के फैसले के बाद विवाद खड़ा हो गया. इस फैसले की भारी आलोचना के बीच, मौलवियों के शीर्ष संगठन के प्रमुख ने इस पर सफाई दी है. उन्होंने सोमवार को कहा कि अगर वीपीएन का इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने, ईशनिंदा करने या किसी के चरित्र को हानि पहुंचाने के लिए किया जाता है, तो इसे इस्लाम के खिलाफ माना जाएगा.

शुक्रवार को फरमान जारी किया था इस्लामिक विचारधारा परिषद (सीआईआई) के अध्यक्ष अल्लामा रागिब नईमी ने शुक्रवार को यह फरमान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि वीपीएन का इस्तेमाल गैर-इस्लामी है. उनके इस बयान से विवाद उत्पन्न हो गया और कई धार्मिक नेताओं व डिजिटल मीडिया विशेषज्ञों ने इसे चुनौती दी. इसके बाद नईमी ने अपने बयान में संशोधन करते हुए कहा कि यह निर्णय वीपीएन के दुरुपयोग पर आधारित है.

गैर-इस्लामी करार दिया गया ‘जियो न्यूज’ के कार्यक्रम ‘जियो पाकिस्तान’ में बातचीत के दौरान नईमी ने स्पष्ट किया कि चाहे पंजीकृत वीपीएन हो या गैर-पंजीकृत, यदि इसे अभद्र या अनैतिक सामग्री देखने, चरित्र हनन करने, राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ बयान देने या ईशनिंदा फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, तो इसका उपयोग इस्लाम के खिलाफ माना जाएगा. उन्होंने इस पर जोर दिया कि गलत कार्यों के लिए वीपीएन का उपयोग करने पर ही इसे गैर-इस्लामी करार दिया गया है.

तो इसमें कोई बुराई नहीं.. हालांकि, नईमी ने यह भी कहा कि यदि वीपीएन का उपयोग शिक्षा, संवाद, या सकारात्मक संदेश देने के लिए किया जाता है, तो इसमें कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप वीपीएन पंजीकृत करते हैं और इसका उपयोग सकारात्मक गतिविधियों या आलोचना के लिए करते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है.’’ इस प्रकार, उन्होंने वीपीएन के उपयोग के लिए एक स्पष्ट रेखा खींची है जो इसके दुरुपयोग और सकारात्मक उपयोग के बीच भेद करती है.

नईमी ने इस पर भी प्रकाश डाला कि चूंकि वीपीएन उपयोगकर्ताओं का स्थान गोपनीय रहता है, यह पता लगाना मुश्किल होता है कि कौन कहां से काम कर रहा है. इसलिए, वीपीएन का उपयोग इस्लामी या गैर-इस्लामी गतिविधियों पर आधारित होता है. उनका बयान इस दिशा में था कि तकनीकी मामलों में उपयोगकर्ता की गतिविधि ही उसकी नैतिकता को निर्धारित करती है. agency input

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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