'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' में वर्ष 2024 की श्रेष्ठ अनूदित पुस्तकों में 'आजतक साहित्य जागृति भारतीय भाषा सम्मान 2024' से सम्मानित कृति 'चरु, चीवर और चर्या' के अलावा शशि थरूर, हरीश भट्ट, अरुंधति सुब्रमण्यम, तसलीमा नसरीन और गाब्रिएल गार्सीया मार्केस की अनूदित पुस्तकें भी शामिल हैं. देखें पूरी सूची...
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शब्द की दुनिया समृद्ध हो, हर दिन साहित्य आपके पास पहुंचे और पुस्तक-संस्कृति बढ़े, इसके लिए इंडिया टुडे समूह ने डिजिटल चैनल 'साहित्य तक' की शुरुआत की थी. साहित्य, कला, संस्कृति और संगीत के प्रति समर्पित इस चैनल ने वर्ष 2021 में पुस्तक-चर्चा पर आधारित कार्यक्रम 'बुक कैफे' की शुरुआत की थी... आरंभ में सप्ताह में एक साथ पांच पुस्तकों की चर्चा से शुरू यह कार्यक्रम आज अपने वृहद स्वरूप में सर्वप्रिय है.
भारतीय मीडिया जगत में जब 'पुस्तक' चर्चाओं के लिए जगह छीजती जा रही थी, तब 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में लेखक और पुस्तकों पर आधारित कई कार्यक्रम प्रसारित होते हैं. इनमें 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन पुस्तक चर्चा, 'शब्द-रथी' कार्यक्रम में किसी लेखक से उनकी सद्य: प्रकाशित कृतियों पर बातचीत और 'बातें-मुलाकातें' कार्यक्रम में किसी वरिष्ठ रचनाकार से उनके जीवनकर्म पर संवाद शामिल है.
'साहित्य तक' पर हर शाम 4 बजे प्रसारित हो रहे 'बुक कैफे' को प्रकाशकों, रचनाकारों और पाठकों की बेपनाह मुहब्बत मिली है. अपने दर्शक, श्रोताओं के अतिशय प्रेम के बीच जब पुस्तकों की आमद लगातार बढ़ने लगी, तो हमने 'बुक कैफे' को प्राप्त पुस्तकों की सूचना भी- हर शनिवार और रविवार को- सुबह 10 बजे 'नई किताबें' कार्यक्रम में देनीं शुरू कर दी है.
'साहित्य तक के 'बुक कैफे' की शुरुआत के समय ही इसके संचालकों ने यह कहा था कि एक ही जगह बाजार में आई नई पुस्तकों की जानकारी मिल जाए, तो पुस्तकों के शौकीनों के लिए इससे लाजवाब बात क्या हो सकती है? अगर आपको भी है किताबें पढ़ने का शौक, और उनके बारे में है जानने की चाहत, तो आपके लिए सबसे अच्छी जगह है साहित्य तक का 'बुक कैफे'.
'साहित्य तक' ने वर्ष 2021 से 'बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला शुरू की तो उद्देश्य यह रहा कि उस वर्ष की विधा विशेष की दस सबसे पठनीय पुस्तकों के बारे में आप अवश्य जानें. 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की यह शृंखला अपने आपमें अनूठी है, और इसे सम्मानित लेखकों, साहित्य जगत, प्रकाशन उद्योग और पाठकों का खूब आदर प्राप्त है. हमें खुशी है कि वर्ष 2021 में 'साहित्य तक- बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला में केवल 5 श्रेणी- अनुवाद, अनुवाद, कहानी, उपन्यास, कविता की टॉप 10 पुस्तकें चुनी गई थीं.
वर्ष 2022 और 2023 में लेखकों, प्रकाशकों और पुस्तक प्रेमियों के अनुरोध पर कुल 17 श्रेणियों में टॉप 10 पुस्तकें चुनी गईं. इस वर्ष 2024 में कुल 12 श्रेणियों में 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की यह सूची आपके सामने आ रही है.
'बुक कैफे' पुस्तकों के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता और श्रमसाध्य समर्पण के साथ ही हम पर आपके विश्वास और भरोसे का द्योतक है. बावजूद इसके हम अपनी सीमाओं से भिज्ञ हैं. संभव है कुछ बेहतरीन पुस्तकें हम तक न पहुंची हों, यह भी हो सकता है कुछ श्रेणियों की बेहतरीन पुस्तकों की बहुलता के चलते या समयावधि के चलते चर्चा न हो सकी हो... फिर भी अध्ययन का क्षेत्र अवरुद्ध नहीं होना चाहिए. पढ़ते रहें, किताबें चुनते रहें, यह सूची आपकी पाठ्य रुचि को बढ़ावा दे, आपके पुस्तक संग्रह को समृद्ध करे, यही कामना.
पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने की 'साहित्य तक' की कोशिशों को समर्थन, सहयोग और प्यार देने के लिए आप सभी का आभार.
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साहित्य तक 'बुक कैफे-टॉप 10' वर्ष 2024 की 'अनुवाद' श्रेणी में विभिन्न भाषाओं से अनूदित श्रेष्ठ पुस्तकें-
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'चरु, चीवर और चर्या' | मूल ओड़िआ - प्रदीप दाश | हिंदी अनुवाद- सुजाता शिवेन
* 'आजतक साहित्य जागृति भारतीय भाषा सम्मान 2024' से सम्मानित यह कृति आठवीं सदी के दौरान ओड़िशा पर लगभग दो सौ वर्षों के कालखंड तक शासन करने वाले भौमकर राजवंश की ऐतिहासिक गाथा है. यह कृति बौद्ध धर्म की आध्यात्मिक ऊंचाई और उसके पतन का कारुणिक आख्यान भी प्रस्तुत करती है. पुस्तक बताती है कि उस कालखंड में साधकों की उच्च साधना और उसे मिले राज्याश्रय ने जहां इस धर्म को जन-जन के बीच लोकप्रिय किया, वहीं तंत्र साधना, राजमहलों के भीतर के षड़यंत्र और शैवधर्म के आगमन ने इसके पराभव का मार्ग भी प्रशस्त किया. उपन्यास में कई अनूठी प्रेम गाथाएं हैं, जो राजा और नर्तकी, रानी और आचार्य के बीच पनपती हैं. ओड़िआ के समर्थ रचनाकार प्रदीप दाश की इस कृति का हिंदी अनुवाद ओड़िआ की चर्चित अनुवादक सुजाता शिवेन ने किया है. मूल कृति ओड़िआ के बहुप्रतिष्ठित सारला पुरस्कार से भी सम्मानित है.
- प्रकाशक: पेंगुइन स्वदेश
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* 'नये भारत की दीमक लगी शहतीरें: संकटग्रस्त गणराज्य पर आलेख' | मूल अंग्रेजी- परकाला प्रभाकर | हिंदी अनुवाद - व्यालोक पाठक
- परकाला प्रभाकर एक बेबाक आलोचनात्मक आवाज़ हैं, जो सत्ता के सामने सच बोलने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं. वर्ष 2020 से 2023 तक लगभग तीन वर्षों के कालखंड में परकाला के लिखे गए निबंधों के संकलन से यह पुस्तक बनी है. देश की तरक्की और आर्थिक समृद्धि के दावों के बीच परकाला तथ्यों और आंकड़ों पर बारीकी से नज़र डालते हैं और घटनाओं और सार्वजनिक बयानों का विश्लेषण करते हुए यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि आखिर उन्हें हमारे लोकतंत्र, सामाजिक सद्भाव और अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए क्यों डर है. यह बेबाक पुस्तक उन बिंदुओं को जोड़ने की कोशिश करती है, जिनके बीच हमारी आंखों के सामने 'नया भारत' बन रहा है. यह पुस्तक अंग्रेजी में 'The Crooked Timber Of India'नाम से प्रकाशित है, जिसका हिंदी अनुवाद व्यालोक पाठक ने किया है.
- प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
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* 'ऑफ़िस सीक्रेट्स' | मूल अंग्रेजी- हरीश भट्ट | हिंदी अनुवाद - डॉ संजीव मिश्र
- हम कॉर्पोरेट जीवन में जिस ढंग से काम करते हैं, उन्हीं में छुपे होते हैं कई राज़. इनमें जो कारगर होते हैं वह गूढ़ आंकड़ों या गोपनीय रणनीतियों से जुड़े दस्तावेज़ नहीं, बल्कि उदारता, हास-परिहास, एक अच्छी फ़िल्टर कॉफ़ी या सिर-खपाऊ मीटिंग के बाद तीस मिनट के मी-टाइम जैसे सरल व मानवीय पहलू से बनते हैं. यह पुस्तक ऑफ़िस में और अधिक सफल होने के लिए 50 आकर्षक और कारगर टिप्स का संकलन है, जिसे लेखक ने टाटा समूह में बिताए अपने 35 वर्षों के अनुभवों के आधार पर लिखा है. पुस्तक में कई मज़ेदार और प्रासंगिक विषय हैं, जिनमें काम के दौरान अपनी मेज़ को व्यवस्थित करने, थकान भगाने के सर्वोत्तम तरीके, सुनने की क्षमता, नेकी-उदारता क्यों की जाए और आपके सहकर्मी जिस तरीके से कुकीज़ खाते हैं, आप उनसे क्या-कुछ सीख सकते हैं, जैसे विषय भी शामिल हैं. अंग्रेजी में Office Secrets नाम से ही प्रकाशित इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद डॉ संजीव मिश्र ने किया है.
- प्रकाशक: पेंगुइन स्वदेश
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* 'सियासत' | मूल अंग्रेजी- शिवानी सिब्बल | हिंदी अनुवाद - प्रभात रंजन
- इस उपन्यास की कहानी 1980 के दशक से शुरू होती है. देश की राजधानी दिल्ली में रह रहे अहान सिकंद और राजेश कुमार बचपन के साथी थे. वे एक ही महिला की देखरेख में एक ही घर में रहते हुए बड़े हुए. लेकिन उनकी स्थितियां अलग थीं. एक बेहद अमीर सिकंद परिवार का इकलौता बेटा और वारिस था, दूसरा उनके ड्राइवर का बेटा...जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उनकी बचपन की दोस्ती एक असहज अंत तक पहुंच जाती है, क्योंकि दोनों को इस दुनिया में अपनी स्थिति का आभास होने लगता है. एक से उम्मीद की जाती है कि वह अगली पीढ़ी के लिए जो कुछ भी विरासत में मिला है उसे बरकरार रखेगा, जबकि दूसरा अपने पिता से बेहतर घरेलू दासता से मुक्त जीवन की उम्मीद करता है. आकांक्षा और सामाजिक बदलाव, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और पारिवारिक बंधनों यह कहानी नई दिल्ली की राजनीति और व्यापार के रहस्यों को भी उजागर करती है. मूल रूप से अंग्रेजी में 'Equations' नाम से प्रकाशित इस उपन्यास का हिंदी अनुवाद प्रभात रंजन ने किया है.
- प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
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*'Wild Women: Seekers, Protagonists and Goddesses in Sacred Indian Poetry' | संकलन-संपादन- अरुंधति सुब्रमण्यम
- मीराबाई, अक्का महादेवी और अंडाल के नाम तो बहुतों को पता हैं, लेकिन असंख्य महिला कवियों के बारे में हम अपेक्षाकृत रूप से अनजान हैं. जब हम उनके बारे में सुनते हैं, तो हमेशा संत या भक्ति कवि या विनम्र अनुयायी के रूप में. कवयित्री अरुंधति सुब्रमण्यम ने भारतीय उपमहाद्वीप में महिलाओं की, उनके द्वारा और उनके लिए दिल दहलाने वाली आवाज़ों को एक साथ पिरोया है. यहां उन साहसी रचनाकारों की स्त्री-केंद्रित आध्यात्मिकता की एक वंशावली है, जो प्राचीन बौद्ध भिक्षुणियों, भक्ति और सूफी रहस्यवादियों, तांत्रिकों और वेदांतियों की कविताओं में व्याप्त है. महिला शक्ति, उत्साह और ज्ञान की विस्फोटक विरासत को पुनः प्राप्त करने के उद्देश्य से संकलित ये कविताएं इस बात से आश्चर्यचकित करती हैं कि इन स्त्री रचनाकारों की भूखी लालसाएं और आनंदमय स्वतंत्रताएं किस तरह लिंग और आस्था के संरक्षकों से बेपरवाह थीं. सुब्रमण्यम द्वारा अनुवाद के माध्यम से संकलित और अंग्रेजी में Wild Women: Seekers, Protagonists and Goddesses in Sacred Indian Poetry नाम से प्रकाशित यह संग्रह भारतीय संत, भक्त, विद्रोही, रहस्यवादी, तांत्रिक और वेदांती विचारधारा की संघर्षशील कवयित्रियों की अनसुनी आवाज़ों को सामने लाती है.
- प्रकाशक: Ebury Pr
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* 'क़ाफ़िर मसीहा' | मूल पंजाबी- इंदर सिंह ख़ामोश | हिंदी अनुवाद - अरविन्दर कौर ढेसी
- अमीर जीवन जीने के अपने सुख हैं और अपने कलेश भी. महान लेखक तोलस्तोय का जीवन ऐसा ही था. पंजाबी के समृद्ध रचनाकार ने इस औपन्यासिक कृति में तोलस्तोय की जीवनी के साथ-साथ रूसी समाज के उन्नीसवीं सदी के पिछले दशकों का एक कल्पित वृतांत खिंचा है. तोलस्तोय एक काउंट थे. उनकी बड़ी जागीर और अमीरी ठाठ-बाट के बीच मेहनतकश किसानों के लिए उनकी हमदर्दी कोई यांत्रिक वर्गीय अवधारणा भर नहीं थी. यह कृति जारशाही और इसके घिनौने राजनीतिक प्रपंच के समक्ष जनविरोधी धार्मिक मठों की घिनौनी भूमिका को भी उजागर करती है. तोलस्तोय के शुरुआती जीवन की उच्छृंखलता और उनका अटूट प्रेम भी यहां दिखता है. लेखक ने दुनिया के महानतम लेखकों में से एक के जीवन-तथ्यों को बड़े ही रुमानी और रुचिकर तरीके से बुनने के साथ-साथ, उनके दर्शन और धर्म संबंधी विचारों को भी सरल और सहज रूप से समझाया है. पंजाबी में इसी नाम से प्रकाशित इस कृति का हिंदी अनुवाद अरविन्दर कौर ढेसी ने किया है.
- प्रकाशक: Rethink Books
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* 'अम्बेडकर: एक जीवन' | मूल अंग्रेजी - शशि थरूर | हिंदी अनुवाद - अमरेश द्विवेदी
- बाबासाहेब भीमराव रामजी अम्बेडकर, एम.ए., एम.एससी., पीएच.डी., डी.एस.सी., डी.लिट्., बार-ऐट-लॉ, आज सबसे ज्यादा सम्मानित भारतीयों में शामिल हैं. भारत भर में लगी उनकी प्रतिमाओं की संख्या महात्मा गांधी के बाद दूसरे स्थान पर है. सभी बड़े राजनीतिक दल उन्हें अपना बताने के लिए एक-दूसरे से होड़ करते हैं. दलितों के लिए वो एक सम्मानित शख्सियत हैं, जिन्होंने अस्पृश्यता को गैर-कानूनी बनाने और समुदाय को प्रतिष्ठा दिलाने में मुख्य भूमिका निभायी. उन्हें संविधान का जनक कहा जाता है. और यही वो प्रधान कारण है कि भारत में उदारवादी, धर्मनिरपेक्ष और बहुलतावादी मूल्यों के साथ लोकतन्त्र बना हुआ है और जिसके तहत व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा और वंचितों के उत्थान का प्रयास किया जाता है. यह पुस्तक 14 अप्रैल, 1891 को बम्बई प्रेसीडेंसी में महारों के परिवार में जन्म से लेकर 6 दिसंबर, 1956 को दिल्ली में उनके निधन तक डॉ अम्बेडकर की महानता की पड़ताल करती है और यह स्थापित करती है कि उनका महत्त्व किसी एक उपलब्धि की वजह से नहीं है, बल्कि उनकी सभी उपलब्धियां असाधारण थीं. अंग्रेजी में 'Ambedkar: A Life' नाम से प्रकाशित इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद अमरेश द्विवेदी ने किया है.
- प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
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* 'स्त्री: समाज और धर्म'/ 'स्त्री : अधिकार और क़ानून' | मूल बांग्ला- तसलीमा नसरीन | हिंदी अनुवाद- उत्पल बैनर्जी
- पृथ्वी पर लड़कियों के ख़िलाफ़ एक यौन-युद्ध चल रहा है; उन स्त्रियों के ख़िलाफ़ जिन्हें इस मानव-प्रजाति को जीवित रखने का श्रेय जाता है. स्त्री अधिकारों को लेकर दुनिया भर में चर्चित लेखिका के ये आलेख समय-समय पर घटी घटनाओं, ख़बरों और अनुभवों की रोशनी में लिखे गए हैं, जिनके केन्द्र में स्त्री और उसके दुख हैं. मुख्यतः बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान की पृष्ठभूमि में की गई ये टिप्पणियां बताती हैं कि सभ्यता चाहे जितना आगे बढ़ी हो, स्त्री को लेकर पुरुष की सोच नाममात्र को ही बदली है. धर्म और समाज के अनेक नियमों, परम्पराओं, आग्रहों और मान्यताओं में उनकी यह सोच झलकती है. पुरुष हिंदू हो या मुस्लिम या फिर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प, सभी के लिए स्त्री एक वस्तु है, उससे अधिक नहीं. आखिर समाज की इस मानसिकता की वजह क्या है? तीन तलाक, घरेलू हिंसा, विवाह, समलैंगिकता, बांग्लादेश में हिंदू स्त्रियों की स्थिति, बहुविवाह, महिला दिवस, स्त्री-देह, परिवार और अन्य कई विषयों पर विचार करते हुए वे धार्मिक, पारम्परिक और शक्तिकामी दुराग्रहों में उलझे लोगों से सवाल करती हैं कि मनुष्य की मनुष्य पर श्रेष्ठता का यह अधिकार उन्हें किसने दिया? इन कृतियों का मूल बांग्ला से हिंदी में अनुवाद उत्पल बैनर्जी ने किया है.
- प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
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* 'निराले मुसाफिर' | मूल स्पेनिश- गाब्रिएल गार्सीया मार्केस | हिंदी अनुवाद- मनीषा तनेजा
- जैसे ही वे अपनी देहरी लांघकर एक अजनबी दुनिया में कदम रखते हैं, घर की दूरस्थ, व्याकुल यादें, विदेशी धरती पर बेचेहरा हो जाने का अहसास और असुरक्षा-बोध के भयावह दौरे उन्हें आ घेरते हैं. मार्केस के हास्यबोध, भावनात्मक ऊष्मा और विशिष्ट रंगों के साथ ये अनोखे मुसाफिर जान पाते हैं कि किसी लैटिन अमेरिकी का यूरोप में भटक जाना या किसी का भी अपने घर से दूर जीवन बिताना क्या होता है; और इन मुसाफिरों में शामिल हैं एक वृद्धा जो अपने कुत्ते को इस बात की ट्रेनिंग दे रही है कि उसके मरने के बाद वह उसकी कब्र पर रोया करे, एक पति जो अपनी घायल पत्नी के जीवन को लेकर बेहद परेशान और भयभीत है, और एक बूढ़ा जो अपने मन को पेरिस से एक लम्बी उड़ान पर भटकने को छोड़ देता है... और वियेना की वह लड़की भी जो सपने देखती भर नहीं, बल्कि 'सपने बेचती है. गाब्रिएल गार्सीया मार्केस के चर्चित कहानी संग्रह Doce Cuentos Peregrinos का सीधे से स्पेनिश से हिंदी अनुवाद मनीषा तनेजा ने किया है.
- प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
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*'Jahanara: A Novel' | मूल तमिल- सुकुमारन | अंग्रेजी अनुवाद- Kalaivani Karunakaran
- शाहजहां की बेटी जहांआरा के बारे में बहुत कम जानकारी है, वह मुगल राजकुमारियों में सबसे अधिक विद्वान थी. किशोरावस्था में ही उसने अपने सम्राट पिता को राज्य के मामलों और कूटनीति पर सलाह देनी शुरू कर दी थी. जहांआरा को शाहजहां, दारा शिकोह और औरंगज़ेब के बीच शांति स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास करने के लिए जाना जाता है. साथ ही उन्होंने फ़ारसी, संस्कृत और कई अन्य भाषाओं में पारंगत रूप से न केवल कुरान बल्कि वेदों और पुराणों का भी अध्ययन किया था. एक समय में, वह बंगाल की खाड़ी में समुद्री व्यापार के लिए सबसे बड़ी संख्या में जहाजों की मालकिन थीं. हालांकि, जहांआरा का जीवन बहुत भावनात्मक उथल-पुथल से भरा भी था. वह लगातार एकांत में जीवन व्यतीत करती थी, अपने पिता की सेवा करती थी. उनके जीवन में कई बार प्रेम आया, पर कभी परवान नहीं चढ़ा. कभी अंग्रेज डॉक्टर तो कभी उनके पिता शाहजहां से ही उनके रिश्तों के आक्षेप उछलते रहे. मुगल परंपराओं के आवरण से घुटती मुगलिया सल्तनत की बेजोड़ शहजादी जहांआरा की डायरी पर आधारित यह उपन्यास मूल रूप से तमिल में Peruvali नाम से प्रकाशित हुआ, जिसका अंग्रेजी अनुवाद Kalaivani Karunakaran ने किया है.
- प्रकाशक: Eka, Westland Books
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वर्ष 2024 के 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' में शामिल सभी पुस्तक लेखकों, प्रकाशकों, अनुवादकों और प्रिय पाठकों को बधाई!
हम स्पष्ट कर दें, यह क्रमानुसार रैंकिंग नहीं है. टॉप 10 सूची में स्थान बनाने वाली सभी पुस्तकें आपकी 'हर हाल में पठनीय' पुस्तकों में शामिल होनी चाहिए. वर्ष 2024 में कुल 12 श्रेणियों की टॉप 10 पुस्तकों की यह शृंखला 31 दिसंबर तक जारी रहेगी.
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