स्वर्णिम भारत न्यूज़ ब्यूरो, जयपुर। रेगिस्तान के जहाज के नाम से प्रसिद्ध ऊंट की संख्या लगाातर कम हो रही है। ऊंटों की कम होती संख्या को देखते हुए राजस्थान सरकार ने साल 2014 में इन्हें राज्य पशु का दर्जा भी दिया था। साथ ही राजस्थान पर्यटन विकास निगम के Logo में ऊंट को शामिल किया। लेकिन इनकी लगातार कम होती संख्या में कोई कमी नहीं आई।
ऊंट राजस्थान की लोक संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ दशकों से रेगिस्तान का यह जहाज खत्म होता जा रहा है। ऊंट की उपयोगिता कम होने लगी है। कम होती उपयोगिता के कारण पशुपालकों ने ऊंट से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है। पिछले दो दशक में ऊंटों की संख्या में करीब 40 फीसदी की कमी आई है। एक साथ 150 लीटर पानी पीने की क्षमता रखने वाला ऊंट एक सप्ताह तक बिना पानी के रह सकता है। यह 65 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम है। राजस्थान से सटी भारत-पाकिस्तान सीमा पर बीएसएफ के जवान ऊंट पर बैठकर सीमा की चौकसी करते हैं।
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