मोतिहारी नगर वासियों ने भी इसे दुर्भाग्य पूर्ण बताया।
मोतिहारी, नरेंद्र झा
मोतिहारी समाहरणालय परिसर स्थित राधाकृष्णन भवन में मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आयोजित जिला स्तरीय समीक्षा बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष ममता राय को बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं मिली। जहां सीएम के आगमन पूर्व अधिकारियों की बेरुखे व्यवहार से जिप अध्यक्ष आहत हो गई। साथ ही उन्हें बैठक में नहीं जाने देने का कोई ठोस कारण नहीं बताया गया। जिसके बाद जिप अध्यक्ष ममता राय नाराज हो राधाकृष्णन सभागार से बाहर निकल गई।इस बात की जानकारी होते ही मोतिहारी नगर में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। लोगों का कहना है कि जिला परिषद अध्यक्ष को विकास की जरूरी मांगें मुख्यमंत्री तक पहुंचानी थी जिसे नजर अंदाज किया गया।यह कहीं से उचित नहीं है।
जिप अध्यक्ष ने बताया कि मैं कार्यक्रम में दिए गए समय 2 बजे से पहले एक बजे ही सभागार में पहुंची थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में यह बैठक चल रही थी, जिसमें विभिन्न सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों की समीक्षा हो रही थी। बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष की उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है, मुझे प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। बताया जाता है कि ममता राय बैठक में हिस्सा लेने के लिए राधाकृष्णन भवन पहुंची थीं, लेकिन उन्हें सुरक्षा कारणों या प्रशासनिक प्रक्रिया का हवाला देकर अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। यह देखकर ममता राय अत्यधिक आहत हुईं और उन्होंने अधिकारियों से इस संबंध में स्पष्ट कारण पूछा। लेकिन, उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। जिला परिषद अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के पिछले साल किए गए शिलान्यास अब तक धरातल पर फेल नजर आ रही है। मुख्यमंत्री को इस पर ध्यान देना चाहिए और समीक्षा होनी चाहिए। ममता राय ने इस घटनाक्रम पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, "जिला परिषद अध्यक्ष के तौर पर मेरा यह कर्तव्य है कि मैं जिला स्तरीय समीक्षा बैठक में भाग लूं और जिले से जुड़ी समस्याओं को उठाऊं। लेकिन मुझे बिना किसी स्पष्ट कारण के अंदर नहीं जाने दिया गया। यह मेरे सम्मान पर आघात है। साथ ही इस तरह का व्यवहार जनप्रतिनिधियों के साथ असम्मानजनक व्यवहार है। कहा कि प्रशासनिक प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है। जिप अध्यक्ष ममता राय के साथ इस अपमान जनक कृत्य से राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन ने इस मामले पर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है। बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य उच्च अधिकारी उपस्थित थे, लेकिन ममता राय के लौटने के बाद कोई बयान नहीं दिया गया। बताया कि यह घटना बिहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि में एक नया मोड़ ले सकती है। क्योंकि ममता राय एक प्रमुख जनप्रतिनिधि हैं और उनका आरोप राज्य सरकार के प्रशासन पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब यह देखना होगा कि बिहार सरकार इस मुद्दे पर किस प्रकार की प्रतिक्रिया देती है और क्या भविष्य में ऐसी घटनाएं घटित नहीं होंगी।