दिल्ली हाईकोर्ट को बुधवार को जानकारी दी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही एक जनहित याचिका पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता की सीबीआई जांच शुरू की गई है.
याचिकाकर्ता कर्नाटक के बीजेपी कार्यकर्ता ने कहा कि उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है तो मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि वह नहीं चाहता कि कोई विरोधाभासी आदेश पारित किया जाए.
पीठ ने एस विग्नेश शिशिर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनकी जनहित याचिका के बाद प्रासंगिक घटनाक्रम पर एक हलफनामा दायर करने की अनुमति देते हुए कहा, कार्रवाई के एक ही कारण पर दो समानांतर याचिकाएं नहीं हो सकतीं.
दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष मामला भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर था, जिन्होंने राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग करने वाले उनके प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) को निर्देश देने की मांग की थी.
बीजेपी नेता ने अपनी याचिका में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल के खिलाफ उनके द्वारा दायर अभ्यावेदन पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिए गृह मंत्रालय को निर्देश देने की भी मांग की. जबकि स्वामी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष मामले का उनके मामले से कोई लेना-देना नहीं है और दोनों अदालतों में दाखिल अर्जियां पूरी तरह से अलग हैं. एस. विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि स्वामी की याचिका के कारण बहुलता और समानांतर कार्यवाही हुई.
6 दिसंबर को होगी सुनवाई
अदालत ने शिशिर को उसके समक्ष याचिका में पक्षकार बनने के लिए आवेदन दायर करने को कहा और मामले को 6 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
सुनवाई के दौरान, शिशिर ने कहा कि उनकी याचिका पर आखिरी बार 24 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई की थी और मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है. चूंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष मामला "बहुत उन्नत चरण" पर था.
उन्होंने कहा, "मैं इस मामले में सीबीआई के सामने भी पेश हुआ और इस मामले के संबंध में अपने बेहद गोपनीय सबूत पेश किए. फिलहाल मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है."
HC को मेल पर भेजे डॉक्टूमेंट्स
शिशिर ने कहा, "देश की विभिन्न जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं. मैंने अपनी आपत्तियां दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को एक ईमेल के जरिए भेज दी हैं."
पीठ ने बाद में टिप्पणी की कि डॉक्यूमेंट्स को अदालत की रजिस्ट्री के जरिए से दाखिल किया जाना आवश्यक है, न कि ईमेल के जरिए से.
स्वामी ने दोनों याचिकाओं के बीच अंतर करते हुए कहा कि शिशिर की याचिका में आपराधिक मुकदमा शुरू करने की मांग की गई थी, जबकि उनकी याचिका में केवल यह कहा गया था कि राहुल गांधी भारत के नागरिक नहीं बल्कि "ब्रिटेन के नागरिक" थे.
बीजेपी नेता ने तर्क किया कि पक्षपाती मत बनो और कहो कि प्रार्थनाएं समान हैं और हम पर टिके रहें. यह स्पष्ट है कि वह दो देशों का नागरिक नहीं हो सकता है. हमने इसे दस्तावेजों के माध्यम से साबित कर दिया है जहां वह ब्रिटेन के साथ-साथ भारत का भी नागरिक होने का दावा करता है. हालांकि, पीठ ने कहा कि उस याचिका में प्रार्थनाएं बहुत व्यापक हैं. इसलिए उन्हें (शिशिर को) वे दस्तावेज़ दाखिल करने दें जो वह चाहते हैं."
दिल्ली हाईकोर्ट के पिछले आदेश के बाद स्वामी ने राहुल गांधी की नागरिकता के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष लंबित याचिका की एक प्रति दायर की थी.
6 अगस्त 2019 को भेजा मंत्रालय को पत्र
अधिवक्ता सत्य सभरवाल द्वारा दायर स्वामी की याचिका में कहा गया है कि 6 अगस्त, 2019 को मंत्रालय को एक पत्र भेजा गया था. जिसमें आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी ने ब्रिटिश सरकार को "स्वेच्छा से खुलासा" किया था कि वह ब्रिटिश राष्ट्रीयता के नागरिक थे जो ब्रिटिश पासपोर्ट रखने के बराबर था.
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्र से पूछा था कि क्या उसने नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत दायर शिशिर के अभ्यावेदन पर कोई निर्णय लिया है. जिसमें आरोपों की जांच करने के लिए कहा गया था.
शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने राहुल गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने के बारे में "विस्तृत पूछताछ" की थी और कई नए इनपुट प्राप्त किए थे. दूसरी ओर स्वामी ने दावा किया कि कांग्रेस नेता ने एक भारतीय नागरिक होने के नाते, भारतीय नागरिकता अधिनियम के साथ पढ़े जाने वाले संविधान के अनुच्छेद 9 का उल्लंघन किया है और वह भारतीय नागरिक नहीं रहेंगे.
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी शिकायत की स्थिति के बारे में जानने के लिए मंत्रालय को कई अभ्यावेदन भेजे थे, लेकिन न तो कोई कार्रवाई की गई और न ही उन्हें कोई सूचना मिली.
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