दिल्ली के रिज एरिया में पेड़ों की कटाई को लेकर उठे विवाद पर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में सूचित नहीं किया गया था कि पेड़ों की कटाई के लिए हाईकोर्ट से अनुमति लेने की आवश्यकता है.
22 अक्टूबर को जमा किए गए इस हलफनामे में एलजी सक्सेना ने कहा कि उनके निर्देश किसी भी तरह से कानून को दरकिनार करने के लिए नहीं थे. उपराज्यपाल ने स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी भी मामले में आवश्यक अनुमतियों के बिना कार्य करने का निर्देश नहीं दिया है.
निर्माणाधीन केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आयुर्विज्ञान संस्थान तक सड़क को चौड़ा करने की परियोजना के तहत पेड़ों की कटाई के लिए अदालत की अनुमति आवश्यक थी, लेकिन इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं दी गई थी. उन्होंने यह भी बताया कि तीन फरवरी को साइट विजिट के दौरान वहां मौजूद अधिकारियों से उन्हें इस पर स्पष्टता नहीं दी गई थी.
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कानून को दरकिनार करने का इरादा नहीं था
एलजी ने कहा कि किसी भी मामले में उनका निर्देश देना किसी भी तरह से कानून के आदेश को दरकिनार करने का नहीं था. इनके अलावा उन्होंने कानून के तहत जहां भी आवश्यक हो,वहां कोई अनुमति न लेने का कोई निर्देश भी जारी नहीं किया था.
2200 करोड़ का था प्रोजेक्ट!
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि 2200 करोड़ रुपये के निवेश से संबंधित इस परियोजना का कार्य तेजी से पूरा करने की आवश्यकता थी. हलफनामे में कहा गया है कि तीन फरवरी को निरीक्षण के बाद उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों/कर्मचारियों से परियोजना को पूरा करने की दिशा में काम में तेजी लाने को कहा, क्योंकि यह अर्धसैनिक बलों के लिए महत्वपूर्ण चिकित्सा सुविधाओं से जुड़ा है.
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कोर्ट ने एलजी से मांगा था हलफनामा
एलजी ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से इस परियोजना की दिशा में तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए थे. इस मामले की पिछली सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के अध्यक्ष के रूप में उपराज्यपाल से पेड़ों की कथित अवैध कटाई से जुड़े विवाद पर हलफनामा देने के लिए कहा था. यह विवाद निर्माणाधीन सड़क के चौड़ीकरण के दौरान उठा था और फिर तब से विवाद चल रहा है.
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