दिल्ली महिला आयोग के संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया

<

4 1 5
Read Time5 Minute, 17 Second

दिल्ली महिला आयोग (DCW) के संविदा कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है. DCW के सहायक सचिव गौतम मजूमदार ने सभी संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त करने का आदेश जारी किया है. दिल्ली एलजी की मंजूरी से DCW मंत्रालय के अप्रैल 2024 के आदेश के अनुपालन में आदेश पारित किया गया.

अप्रैल में भी निकाला गया था
इसी साल दिल्ली महिला आयोग में 29 अप्रैल को संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने से विवाद खड़ा हो गया था. आयोग की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर निशाना साधा था. एक आदेश में कहा गया था कि डीसीडब्ल्यू में 223 पदों का सृजन अवैध है और सभी संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जाना चाहिए. इस पर मालीवाल ने कहा कि इस कदम से डीसीडब्ल्यू मुश्किल में पड़ जाएगा. उन्होंने दावा किया तह कि अगर ये संविदा कर्मचारी नहीं होते तो डीसीडब्ल्यू की शाखाएं, जैसे महिला हेल्पलाइन 181 और क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर, पिछले आठ सालों में इतने बड़े पैमाने पर मामलों को नहीं संभाल पातीं. लेकिन इन कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने की क्या वजह थी और इस आदेश से डीसीडब्ल्यू के कितने संविदा कर्मचारी प्रभावित हुए? 29 अप्रैल को महिला एवं बाल विकास विभाग (डब्ल्यूसीडी) ने डीसीडब्ल्यू के संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का आदेश जारी किया. इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को सौंपी गई 2017 की रिपोर्ट के निष्कर्षों का हवाला दिया गया.

Advertisement

आदेश के अनुसार, डीसीडब्ल्यू में 223 पदों का सृजन अवैध था और इसके लिए वित्त विभाग और उपराज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी. अतिरिक्त निदेशक डॉ. नवलेंद्र कुमार सिंह द्वारा पारित आदेश में यह भी बताया गया कि महिला पैनल में नए पदों के सृजन से पहले कोई मूल्यांकन नहीं किया गया था.

कहानी सितंबर 2016 में शुरू होती है. डीसीडब्ल्यू ने 9 सितंबर, 2016 को आयोजित बैठक में 223 अतिरिक्त पद सृजित किए. कुछ सप्ताह बाद, महिला एवं बाल विकास ने डीसीडब्ल्यू के सदस्य सचिव से आयोग को उन्हें प्रदान किए जा रहे अनुदान की शर्तों के बारे में अवगत कराने के लिए कहा.

शर्तों में कहा गया है कि डीसीडब्ल्यू 'प्रशासनिक विभाग और वित्त एवं योजना विभाग की मंजूरी के बिना कोई ऐसा कार्य या गतिविधि नहीं करेगा, जिससे सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय दायित्व आए, जैसे पदों का सृजन.'

अक्टूबर 2016 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने फिर से डीसीडब्ल्यू को बताया कि 223 अतिरिक्त पदों के सृजन को दिल्ली के उपराज्यपाल से मंजूरी नहीं मिली है.

फरवरी 2017 में तत्कालीन दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 'डीसीडब्ल्यू में अवैध नियुक्तियों और कई अनियमितताओं से जुड़े मुद्दों की जांच करने के लिए' एक समिति गठित करने का आदेश जारी किया. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया और प्रमुख सचिव (वित्त), सचिव (कानून और न्याय) और सचिव (डीडब्ल्यूसीडी) को इसका सदस्य बनाया गया.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

मुंबई- सलमान खान को जान से मारने की धमकी देने वाले शख्स ने मांगी माफी

News Flash 22 अक्टूबर 2024

मुंबई: सलमान खान को जान से मारने की धमकी देने वाले शख्स ने मांगी माफी

Subscribe US Now