ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक से INDIA गुट को क्या मैसेज देना चाहती हैं

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ममता बनर्जी आखिरकार नीति आयोग की बैठक में शामिल होने जा रही हैं. मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए ममता बनर्जी दिल्ली पहुंच चुकी हैं. वैसे INDIA ब्लॉक में होकर भी ऐसा फैसला करने वाली ममता बनर्जी अकेली नेता नहीं है. बल्कि, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने वाले हैं.

नीति आयोग की बैठक 27 जुलाई, 2024 को होने जा रही है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं. नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का एक मतलब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी होती है.

INDIA गठबंधन के बाकी मुख्यमंत्रियों ने पहले से ही नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला कर रखा है. ममता बनर्जी शुरू से ही नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का फैसला कर रखा था, लेकिन कोलकाता से दिल्ली रवाना होने से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम रद्द कर दिया था - और फिर अगले ही दिन नये सिरे से कार्यक्रम बना लिया.

नीति आयोग की बैठक से दूरी बनाने वालों में अब कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और डीएमके के मुख्यमंत्री ही बचे हैं. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी पहले से ही बता दिया है कि वो नीति आयोग की बैठक में नहीं शामिल होने जा रहे हैं. अन्य मुख्यमंत्रियों में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शामिल हैं.

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सवाल ये उठता है कि विपक्षी INDIA ब्लॉक के मुख्यमंत्रियों के स्टैंड की परवाह न करते हुए ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में क्यों शामिल हो रही हैं?

क्या ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का फैसला करके INDIA ब्लॉक का नेतृत्व कर रही कांग्रेस को कोई मैसेज देना चाहती हैं, या फिर ममता बनर्जी के इस कदम में केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के लिए कोई संदेश है?

ममता बनर्जी ने बार बार स्टैंड क्यों बदला?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि बजट में केंद्र सरकार ने उनके राज्य के साथ भेदभाव किया है, जो उनको किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं है. ममता बनर्जी कह रही हैं कि उनको भेदभाव पसंद नहीं है, और इसीलिए अपनी आवाज उठाने के लिए वो नीति आयोग की बैठक में शामिल होने जा रही हैं.

ये तो साफ है कि ममता बनर्जी ने INDIA ब्लॉक से अलग फैसला लिया था, लेकिन आम बजट 2024 की घोषणाओं के बाद इरादा बदल लिया था, और पहला फैसला रद्द कर दिया था - लेकिन फिर अचानक क्या हुआ कि दूसरा फैसला भी फटाफट बदल लिया?

ममता बनर्जी ने खुद ही ये बात भी बता दी है. ममता बनर्जी कहती हैं, दिल्ली आने की कोई जरूरत नहीं थी, और बजट की वजह से मैंने कार्यक्रम रद्द भी कर दिया था. लेकिन अभिषेक (बनर्जी) और अन्य लोगों ने मुझे इसके लिए तैयार किया, और मैंने हेमंत सोरेन से बात की. वो भी आ रहे हैं.

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लेकिन लगे हाथ ममता बनर्जी ने ये भी साफ कर दिया है कि वो नीति आयोग की बैठक में क्या करने वाली हैं. ममता बनर्जी ने बताया है कि वो कुछ देर वहां बैठेंगी, लेकिन अगर बोलने की अनुमति मिली तो वो अपनी बात रखेंगी.

वरना, ममता बनर्जी तो वही करेंगी जो ऐसी परिस्थितियों में हमेशा करती आई हैं. बहिष्कार.

ममता बनर्जी के नीति आयोग की बैठक में शामिल होने के मायने

ममता बनर्जी ने अपनी तरफ से नीति आयोग की बैठक को लेकर बदलते फैसले की वजह भी बता दी है, और बैठक में शामिल होने के बाद का स्टैंड भी - लेकिन ऐसा कदम उठाने के पीछे जो असली राजनीति है, वो अलग है.

INDIA ब्लॉक में शामिल राजनीतिक दलों से ममता बनर्जी का अलग स्टैंड लेना भी उनका राजनीतिक बयान ही है, जिसके कई मतलब निकलते हैं - और इसीलिए कुछ सवाल भी उठते हैं.

क्या ममता बनर्जी इंडिया ब्लॉक को सिर्फ फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही हैं?

लोकसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर इंडिया ब्लॉक की सरकार बनी तो वो बाहर से सपोर्ट करेंगी, लेकिन फौरन ही नया बयान दिया कि वो विपक्षी गठबंधन का ही हिस्सा हैं, यानी अगर सरकार बनी तो शामिल हो सकती हैं. वो बात तो हुई नहीं, लेकिन इंडिया ब्लॉक को लेकर ममता बनर्जी का नजरिया तो सामने आ ही गया था.

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संसद सत्र के दौरान तृणमूल कांग्रेस को विपक्ष के साथ देखा गया है. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने राहुल गांधी को 'हमारे नेता' कह कर संबोधित भी किया है. टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी का लोकसभा में भाषण भी राहुल गांधी और अखिलेश यादव की लाइन पर ही देखा गया है.

लेकिन नीति आयोग की बैठक को लेकर ममता बनर्जी का अलग रुख दिखा है. ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन साथियों से पश्चिम बंगाल में एक भी सीट शेयर नहीं की थी. हां, यूपी में अखिलेश यादव ने ममता बनर्जी की पार्टी के लिए एक सीट जरूर दी थी.

ममता बनर्जी पहले इंडिया ब्लॉक की बैठकों में भी शामिल होती रही हैं, लेकिन जब से पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया, कभी किसी बैठक में नहीं गईं. कुल मिलाकर यही समझ में आता है कि ममता बनर्जी विपक्ष की मजबूरियों के कारण खुद को जुड़ा हुआ बताकर इंडिया ब्लॉक का इस्तेमाल भर करती हैं.

ममता बनर्जी का बैठक में शामिल होना अपनी जगह है, लेकिन नीति आयोग को लेकर तृणमूल कांग्रेस नेता ने जो कहा है, वो सुनना और समझना और भी महत्वपूर्ण है.

ममता बनर्जी ने नीति आयोग को हटाकर फिर से योजना आयोग वापस लाने की मांग की है. ममता बनर्जी का कहना है कि नीति आयोग आखिर मीटिंग बुलाने के अलावा करता क्या है.

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ममता बनर्जी की ये डिमांड तो एक हिसाब से कांग्रेस का ही सपोर्ट कर रही है. 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद योजना आयोग को खत्म कर दिया गया था. और उसकी जगह 2015 में नीति आयोग का गठन किया गया.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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