किसान आंदोलन- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी टला नहीं है दिल्ली के बंधक बनने का खतरा

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हरियाणा औरपंजाब के बॉर्डर पर जमेकिसानों केमामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने क्लि‍यर कर दिया कि बॉर्डर नहीं खोला जाएगा. इसके पहले पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बॉर्डर खोलने काआदेश दे दिया था. जिसके बाद किसानों के जत्थे पंजाब से दिल्ली की ओर कूच करने लगे थे. यानीकि साफ हो गया है कि अभी शंभू बॉर्डर नहीं खोला जाएगा.शंभू बॉर्डर तो छोड़िए,दिल्ली-हरियाणा केसिंधु बॉर्डर पर भी किसानों के जमावड़े केचलते यहां सेआने-जानेमें फरवरी सेदिक्कत होती रही है.हो सकता है कि एक बार फिर से सिंधुबॉर्डर के भी सभी लेन बंद कर दिए जाएं. आने जाने के लिए एक लेन ही खुलीरखीजाए. जाहिर है कि चंडीगढ़ और पंजाब आने-जाने वालों को लिए्फिर वहीदिक्कतें शुरू होने वाली हैं. किसान लंबे समय से शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं. फरवरी में दिल्ली तक प्रस्तावित मार्च के दौरान शंभू बॉर्डर पर रुके पंजाब और हरियाणा के किसानों के समूहों का उत्साह 160 दिनों के बाद भी कम नहीं हुआ है. हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाली सीमा पर अभी भी करीब 500 लोग जमे हुए हैं. 31 अगस्त को इस धरने को 200 दिन पूरे होने वाले हैं. किसान संगठनों ने इस दिन सभी किसानों से अपील की है कि वो बॉर्डर पर पहुंचें. फिलहाल जो तस्वीर बन रही है उसके हिसाब से देखें तो दिल्ली पर एक बार फिर खतरा मंडरा रहा है. किसान अगर शंभू बॉर्डर पर अगर जम जाते हैं तो भी दिल्ली के लिए मुश्किल ही है. दिल्ली उत्तर भारत के राज्यों से कट सी जाती ही. आने जाने में मुश्किलें बढ़ने से फैक्ट्रियों का उत्पादन भी प्रभावित होता है. पर सोचने वाली बात ये है कि किसानों को कौन उकसा रहा है?

1-हरियाणा चुनावों तक शंभू बॉर्डर पर बैठने की प्लानिंग

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आंदोलनकारी किसानों और सरकार के बीच 'विश्वास की कमी'को स्वीकार करने और टकराव को हल करने के लिए एक तटस्थपैनल के गठन का सुझाव देने के एक दिन बाद शंभू बॉर्डर पर मौजूद किसान कह रहे हैं कि वो लंबी लड़ाई की तैयारी के साथ बैठे हुए हैं. द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि किसान शंभू बॉर्डर पर फिर से जुटने लगे हैं. किसान नेताओं को हरियाणा विधानसभा चुनाव के रूप में एक बार फिर एक मौका नजर आ रहा है. हरियाणा में चुनाव अक्टूबर में आयोजित होने की संभावना है. किसानों की लड़ाई केंद्र सरकार से है, लेकिन हरियाणा में बीजेपी सत्तारूढ़ पार्टी है. बठिंडा की 57 वर्षीय किसान सुखविंदर कौर कहती हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान हमें भुला दिया गया है, अब जब हरियाणा में चुनाव आ रहे हैं तो हम अपनी मांगें उठाने के लिए इस मंच का इस्तेमाल करेंगे. हम कहीं नहीं जा रहे हैं.

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रिपोर्ट के अनुसार शंभू बॉर्डर पर कम से कम 500 किसान मौजूद हैं. लेकिन एक हजार से अधिक तंबू हैं जो जत्थों में आने-जाने वाले प्रदर्शनकारियों के लिए हैं. बेकार पड़े ट्रैक्टर प्लास्टिक की चादरों से ढंके हुए हैं और लंबी लड़ाई के लिए भंडारगृह बन गए हैं. किसानों ने गर्मी से बचने के लिए कूलर और दीवार परपंखे लगाए हैं, लेकिन बिजली तक पहुंच सीमित है.क्योंकि यहांकेवल छह ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं. इंटरनेट पहले हीप्रतिबंधित है.

2-हरियाणा के सॉलिसीटर जनरल की मानें तो स्थिति अभी भी बहुत गंभीर

शंभू बॉर्डर खोलने के पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हरियाणा सरकार की याचिका पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हरियाणा सरकार की तरफ से कहा कि बॉर्डर की दूसरी तरफ यानी पंजाब की ओर 500 ट्रैक्टर ट्राली बख्तरबंद के रूप में मौजूद हैं. ये ट्रैक्टर ट्रॉली पंजाब से दिल्ली की तरफ जाना चाहती हैं.

तुषार मेहता का कहना था कि हम नेशनल हाईवे पर JCB और बख्तरबंद ट्रैक्टर ट्रॉली की इजाजत नहीं दे सकते.JCB और ट्रैक्टर को वार टैंक के रूप में बनाया गया है.हम उनके रेजिडेंट पार्ट पर नहीं जा रहे हैं कि उन्होंने रिहायशी वाहनों में AC लगा रहा है.हम युद्धक टैंक के रूप में बनाई गाड़ियों को लेकर चिंतित है. शंभू बॉर्डर पर 500-600 ट्रैक्टर ट्रॉली पड़ी हैं. वहां मॉडिफाइड ट्रॉलियां हैं.

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हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी तुषार मेहता को खूब सुनाया. सुप्रीम कोर्टने कहा कि अगर वो बिना ट्रैक्टर के दिल्ली आते है, तोआपने क्या उनसे बात करने की कोशिश की? क्या आपने उनको भरोसे में लेने या उनका विश्वास जीतने की कोशिश की? अगर आप उनसे बात करने के लिए मंत्री भेजते हैं तो वो समझेंगे कि वो सरकार का पक्ष रख रहे है.किसी दूसरे को भेजने की क्यों नहीं सोच रहे है?

3-राहुल गांधी काकिसान नेताओं को दिया गयाभरोसा, कहीं छलावा तो नहीं?

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी नेबुधवार को किसानयूनियन केनेताओं के 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सेमुलाकात की. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार राहुल गांधी ने ही किसान नेताओं को संसद परिसर में मिलने के बुलाया था. राहुल ने किसान नेताओं को आश्वस्त किया कि वो किसानों को एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक निजी सदस्य के विधेयक को आगे बढ़ाने सहित सभी संभावनाओं का पता लगाएंगे. लगभग 45 मिनट की बैठक में, पंजाब, हरियाणा, यूपी, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक के किसान नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने गांधी को अपने मुद्दों, विशेष रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की लंबे समय से लंबित मांग से अवगत कराया. गांधी ने किसान नेताओं - संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी उनका अधिकार है और इंडिया ब्लॉक यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें यह मिले.

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राहुल गांधी यह भी कहते हैं कि सरकार पर यह सुनिश्चित करने के लिए दबाव डालेंगे कि किसानों को एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी मिले. राहुल गांधी जानते हैं कि उनके दबाव बनाने से सरकार एमएसपी की गारंटी नहीं देने वाली है. किसान नेता भी यह समझते हैं कि राहुल गांधी के दबाव से मोदी सरकार एमएसपी की गारंटी नहीं देने वाली है. फिर भी इस तरह की बातें हो रही हैं. यही कारण है कि देश की आम जनता को लगता है कि किसानों को उकसाने का काम कांग्रेस कर रही है.

राहुल गांधी किसानों से कहते हैं कि हमारे घोषणापत्र मेंकानूनी गारंटी के साथ एमएसपी देनेका वादा किया गया था. हमने एक आकलन किया है और यह किया जा सकता है. पर राहुल यह नहीं कहते कि आप लोग दिल्ली की जनता को परेशान करने के बजाय कांग्रेस को सत्ता में लाइये. केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो वैसे ही पार्टी किसानों को एमएसपी की गारंटी देगी. राहुल गांधी ये भी नहीं कहते कर्नाटक, हिमाचल और तेलंगाना के किसानों को कांग्रेस सरकारें एमएसपी की गारंटी देने जा रही हैं. यही कारण है कि किसानों से राहुल गांधी की मुलाकात शक के दायरे में आ जाती है.

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर इस मुलाकात के बारे में पोस्ट किया. पर उनकी शब्दावली पढ़कर लग जाता है कि किस तरह कांग्रेस नेताओं ने किसान नेताओं किस तरह उकसायाहोगा.

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'...सरकार द्वारा तिरस्कृत, लाठियों से पीटे गए और गोलियों से स्वागत किए जाने के बाद, इन किसानों ने सरकार से सभी उम्मीदें खो दी हैं.'


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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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