क्या फिर होगा बंगाल का विभाजन, बीजेपी क्यों आग से खेल रही है?

4 1 50
Read Time5 Minute, 17 Second

भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने बुधवार को बंगाल के बंटवारे की बात कहकर हलचल मचा दिया है. मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है. हालांकि उत्तरी बंगाल को अलग करने की मांग आज की नहीं है. बहुत पहले से ये मांग चल रही थी.बीजेपी ने पिछले साल ही उत्तर बंगाल को अलग राज्य की बनाने की मांग कर रहे अनंत महाराज को राज्यसभा में भेजकर अपने इरादे जता दिए थे. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने उत्तर बंगाल की 8लोकसभा सीटों में से छहपर जीत हासिल की है. 2019 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने उत्तर बंगाल की 8में से 7सीटों पर जीत हासिल की थी.

जाहिर है राज्य में सत्तारूढ़ टीएमसी को यह खबर पसंद नहीं आएगी. टीएमसी ने भाजपा को अलगाववादी कहते हुए उस पर अपने राजनीतिक लाभ के लिए पश्चिम बंगाल को विभाजित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.मजूमदार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय समय में प्रस्ताव पर निर्णय लेंगे. यदि उत्तर बंगाल को उत्तर पूर्व में शामिल किया जाता है, तो उसे केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा और वहां तेजी से अधिक विकास होगा. मजूमदार ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि राज्य सरकार को इस प्रस्ताव से आपत्ति होगी.भाजपा उत्तर बंगाल में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बन चुकी है. जाहिर है कि इस प्रस्ताव पर अगर केंद्र अलग राज्य बनाने का फैसला लेता है तोबंगाल बीजेपी के लिए फायदेमंद भी हो सकता हैऔर नुकसानदायक भी है.

Advertisement

1-क्या अनंत महाराज का दबाव काम कर रहा है

पश्चिम बंगाल से बीजेपी ने पिछले साल राजबंसियों के नेता अनंत महाराज को राज्यसभा भेजा था. इसके बावजूद इस बार उत्तर बंगाल इलाके में बीजेपी की एक सीट घट गई. कूच-बिहार से बीजेपी के ताकतवर नेता निशीथ प्रमाणिक जो केंद्रीय मंत्रिमंडल में गृहराज्य मंत्री के पद पर थे,लोकसभा चुनावों में अपनी सीट गंवा बैठे. अभी पिछले महीने की बातहै मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अनंत महाराज के घर उनसे मिलने पहुंचीं. इसके बाद से अनंत महाराज बीजेपी के खिलाफ लगातार बोल रहे थे. ऐसा लग रहा था कि वो बीजेपी छोड़ कर टीएमसी में जा सकते हैं. पर ऐसा नहीं हुआ. अनंत महाराज बीजेपी के राज्यसभा सांसद होने के साथ-साथ ग्रेटर कूचबिहार पीपुल्स एसोसिएशन के नेता भी हैं. वह इस बात पर खेद जताते रहे हैं कि कूचबिहार को लेकर उनसे जो वादा किया गया था, उसे पूरा नहीं किया गया.

पिछले महीने अनंत महाराज ने कहा था कि कूचबिहार राज्य संविधान में था. यह सी श्रेणी का राज्य था. यह सी श्रेणी का राज्य आखिर लुप्त कैसे हो गया? हम यही जानना चाहते थे. अनंत महाराज ने दावा किया कि वे एक अलग राज्य चाहते थे लेकिन उस वक्त उन्हें यह आश्वासन दिया गय़ा कि केंद्र शासित प्रदेश बेहतर रहेगा.

Advertisement

2-बीजेपी को क्या होगा फायदा

2019 के लोकसभा चुनावों में उत्तर बंगाल के 8 लोकसभा सीटों में भारतीय जनता पार्टी ने सात सीटें जीत ली थीं. 2024 के लोकसभा चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी को यहां कुल 6 सीट जीतने में सफलता हासिल हुई. इस तरह साफ दिखता है कि उत्तर बंगाल भारतीय जनता पार्टी का गढ़ बन चुका है. अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी. इस तरह पूरे बंगाल पर नहीं तो कम से कम आधे बंगाल पर बीजेपी को राज करने का अधिकार मिल जाएगा. इसके साथ ही दक्षिण बंगाल के रार बंगाल आंदोलन को भी हवा मिलेगी. दक्षिण बंगाल के आदिवासियों की डिमांड रही है कि उनके लिए अलग राज्य बनाया जाए. जाहिर है कि बीजेपी उनके लिए उम्मीद की किरण होगी. बीजेपी के सांसद सौमित्र खान ने रार बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग की थी लेकिन बाद में बीजेपी और खुद सुमित्रा खान इस मांग से पीछे हट गए थे. लेकिन अब जिस तरह से अलग उत्तर बंगाल राज्य की मांग की जा रही है तो दक्षिण बंगाल में भी रार बंगाल की मांग तेज होगी.

3-पर बीजेपी को हो सकता है बड़ा नुकसान

दरअसल बंगाल को बांटने का मतलब है कि बीजेपी को अहसास हो गया है कि बंगाल विजय का सपना पूरा होने जैसा अब कुछ नहीं रहा.किसी भी देश या राज्य को बांटने का फैसला नेता तभी लेते हैं जब देखते हैं अब नियंत्रण मुश्किल हो गया है. कांग्रेस ने भारत को बांटने का फैसला इसलिए ही लिया. कम से कम बंटे हुए हिस्से पर राज करने का सपना तो साकार हो सकेगा. कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश को भी बांटने की चर्चा बुलंद हुई थी.

Advertisement

दूसरी बात यह भी है कि बंगाली समाज एक बार बंटवारा देख चुका है, जिसका दर्द आज तक महसूस किया जाता है. इसी तरह 1905 में बंग भंग करके अंग्रेजों ने ऐसा दर्द मोल लिया था जो बाद में उनके देश छोड़ने का कारण बना था. बंग भंग आंदोलन ने ही देश में राष्ट्रवाद की भावना का संचार किया था. जिसके बाद कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनी थी.
राज्य को बांटने के अहसास को अगर बंगाली समुदाय दिल पर ले लेती है तो समझिए उत्तर बंगाल से भी बीजेपी साफ हो जाएगी.देश में ऐसे कई उदाहरण है कि नया राज्य बनने के बाद उसके निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाने वालों की राज्य की जनता ने छुट्टी कर दी है.

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

बिहार में चली तबादला एक्सप्रेस, आरा-सासाराम सहित 10 जिलों में डीएम बदले; 43 IAS अफसर इधर से उधर

राज्य ब्यूरो, पटना।राज्य सरकार ने शनिवार की रात भारतीय प्रशासनिक सेवा के 43 अधिकारियों का तबादला कर दिया। बेगूसराय, समस्तीपुर, भोजपुर, लखीसराय समेत एक दर्जन जिलों के डीएम बदल दिए गए।

वैभव श्रीवास्तव को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का निदेशक बन

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now