बिहार को मिले विशेष पैकेज को क्यों झुनझुना बता रहे राबड़ी-तेजस्वी? क्या है हकीकत

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केंद्रीय बजट में बिहार को मिले पैकेज पर दो तरह की विरोधी बातें आ रही हैं. एक तरफ तो विपक्ष के लोग यह कह रहे हैं कि यह बजट बिहार और आंध्र प्रदेश का बजट बनकर रह गया है. कहने का मतलब है कि बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए तो बहुत कुछ किया गया है पर अन्य राज्यों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया है. दूसरी तरफ आरजेडी इस पैकेज को झुनझुना बता रही है.पार्टी के लोगों का कहना है कि इस पैकेज में अधिकतर वो योजनाएं हैं जो 5 साल से चल रही हैं.

आरजेडी नेता और प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक्स पर लिखते हैं कि आज के बजट ने बिहार के लोगों को फिर निराश किया है, बिहार को प्रगति पथ पर ले जाने के लिए एक रिवाइवल प्लान की ज़रूरत थी और जिसके लिए विशेष राज्य के दर्जे के साथ विशेष पैकेज की सख़्त जरूरत है. तेजस्वी लिखते हैं कि रूटीन आवंटन तथा पूर्व स्वीकृत, निर्धारित व आवंटित योजनाओं को नई सौग़ात बताने वाले बिहार का अपमान ना करें. पलायन रोकने, प्रदेश का पिछड़ापन हटाने तथा उद्योग धंधों के साथ साथ युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए हम विशेष राज्य के दर्जे की माँग से इंच भर भी पीछे नहीं हटेंगे.

तेजस्वी की बातों को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता. न ही उनकी बातें पूरी तरह सही ही कही जा सकती हैं. ये तो मान कर चलना चाहिये कि जो कुछ मिला है, वो स्पेशल स्टेटस की बराबरी तो नहीं कर सकता, लेकिन ये भी कम नहीं है.क्योंकि बजट में 26 हजार करोड़ रुपये के तीन एक्सप्रेस-वे, 21 हजार करोड़ रुपये का 2400 मेगावाट का एक पावर प्लांट, मेडिकल कॉलेज और कई एयरपोर्ट दिये जाने का प्रस्ताव शामिल है. आइये देखते हैं कि बिहार को मिले पैकेज का हकीकत और फसाना क्या है?

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आरजेडी क्यों बता रही झुनझुना

केंद्रीय बजट में बिहार को 26 हजार करोड़ रुपये देने का एलान किया गया है.इस पर बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने प्रतिक्रिया दी है किराज्य में हत्या और चोरी हो रही है.मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिल रही है.युवाओं को नौकरियां नहीं मिल रही औरकिसानों की समस्या अभी भी बरकरार है.बिहार को 26 हजार करोड़ रुपये आवंटित करना बिहार को झुनझुना देने के बराबर है.

दरअसल बिहार की जो तीन सड़क परियोजनाएं मिली हैं वो भारत माला प्रोजेक्ट या ईस्ट वेस्ट कॉरीडोर के अंतर्गत आने वाली हाइवें ही हैं.अगर आप गूगल पर इन सड़क परियोजनाओं के बारे में सर्च करेंगे तो आपको पता चलेगा कि इन प्रोजेक्ट्स के बारे में कई सालों से अखबारों के पन्ने भरे जा रहे हैं.बीजेपी नेता भी जनता के बीच इनके बारे में बोलते रहे हैं. प्रभात खबर में अक्तूबर 2021 में बिहार के बिहार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन के अनुसार आमस-दरभंगा एक्सप्रेस-वे से वैशाली, राजगीर और बोधगया को जोड़ने की बात करते हैं.नवीन कहते हैं कि रामायण सर्किट पथ एक से डेढ़ वर्ष में पूरा हो जायेगा. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि नवादा से लदनिया (मधुबनी) पथ को भारतमाला प्रोजेक्ट में लेने का प्रस्ताव दिया गया है. साथ ही इंडो- नेपाल पथ को फोरलेन करने का भी प्रस्ताव केंद्र को सौंपा गया है. इस सड़क के लिए नेपाल से भी सहमति मिल गयी है. ये सभी कार्य भारतमाला प्रोजेक्ट के अंतर्गत ही कराये जाएंगे.

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प्रभात खबर 2023 मार्च की एक खबर मिलती है जिसमें पटना-पूर्णिया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के लिए डीपीआर मिलने की अनुमति की बात की गई है. बिहार का अपना पहला ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे बनेगा और इसकी डीपीआर बनाने के लिए अब मंत्रालय ने एजेंसी तय कर लिया है.

हिंदुस्तान टाइम्स में 2023 में छपी एक खबर बताती है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को बिहार के भागलपुर को जोड़ने का डीपीआर तैयार हो गया बस मंजूरी लेनी शेष रह गई है. यह खबर भी बिहार के मंत्री नितिन नवीन की ओर से ही दी गई है.नितिन नवीन ने दावा किया है कि दिल्ली में सड़क व परिवहन मंत्रालय के सचिव गिरधर आरमाने ने उन्हें ये जानकारी दीहै.

जहां तक बक्सर के लिए मिले 2 लेन के पुल की बात है , अभी यह क्लियर नही्ं हुआ है कि बक्सर में एक पुल जिसके एक लेन का पिछले साल ही उद्घाटन हुआ है वही है या कोई दूसरा पुल है. आम तौर पर आज कल जो पुल बन रहे हैं वह कम से कम 6 लेन के बन रहे हैं. यह पुल क्यों 2 लेन का बनाया जा रहा है यह भी समझ में नहीं आ रहा है.

धार्मिक स्थलों का क़ॉरीडोर

केंद्रीय बजट में बिहार के सर्वाधिक मशहूर 2 धार्मिक स्थलों के कॉरीडोर बनाने की बात की गई है. यह स्वागत योग्य कदम है. गया स्थिति विष्णुपाद मंदिर और बोधगया में विकास की बहुत जरूरत थी. निश्चित ही यहां पर कॉरीडोर बनने पर टूरिस्ट अट्रैक्शन बहुत बढ़जाएगा. अयोध्या -काशी और महाकाल की तरह यहां भी धार्मिक पर्यटन की बाढ़ आ सकती है. बोध गया में तो विदेशी टूरिस्ट भी बड़ी संख्या में आते हैं. पर एक बात और गौर करने लायक है कि काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और महाकाल कॉरीडोर के बजट को कभी केंद्रीय बजट से होने वाले एलॉटमेंट में नहीं गिना गया था. इस तरह इन दोनों कॉरीडोर्स को भी बिहार के विशेष पैकेज में नहीं गिनना चाहिए था.

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नालंदा का काम हो चुका है, वहां पर्यटन विकसित करने की बात

नालंदा विश्वविद्यालय का सारा काम हो चुका है. इस विश्वविद्यालय का काम पूरा कराने के लिए बीजेपी सरकार को बिहार की जनता धन्यवाद कह सकती है. क्योंकि भारतीय राजनीति में एक परंपरा रही है कि विरोधी दलों द्वारा शुरू किए गए कार्यों को दूसरे दल की सरकारें कभी पूरा नहीं कराती रही हैं. पर पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में कांग्रेस सरकार की कई अधूरी परियोजनाओं को पूरा किया गया है. इसी में एक नालंदा विश्वविद्यालय भी है. बजट में नालंदा में पर्यटन को बढावा देने की बात की गई है. इसके लिए केंद्र सरकार का क्या योगदान होगा उसे स्पष्ट नहीं किया गया है.

कोसी की बाढ़ से बचाने की योजना

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में राज्यों में बाढ़ नियंत्रण उपायों और सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ाने के लिए 11,500 करोड़ रुपये की व्यापक वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है. इन परियोजनाओं में से एक कोसी-मेची अंतर-राज्य लिंक के अलावा 20 अन्य चालू योजनाएं शामिल हैं. कोसी नदी में बाढ़ से संबंधित रोकथाम और सिंचाई का सर्वेक्षण और जांच करने का ऐलान किया गया है. अगर मामला सिर्फ सर्वेक्षण तक रह जाता है तो समझिए कुछ नहीं होने वाला है. क्योंकि जितनी रकम आवंटित की गई है उसमें कई परियोजनाएं हैं. कोसी की बाढ़ से रोकने के लिए विशेष पैकेज की जरूरत है. वैसे भी कोसी की बाढ़ को रोकने का हल केवल नदियों को जोड़ने में ही है. जो अभी बहुत दूर की कौड़ी है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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