लोकसभा चुनाव में हार की टीस या कांग्रेस मेनिफेस्टो की छाप, बजट को इन खास बातों से समझिए

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निर्मला सीतारमन ने लगतार सातवीं बार यूनियनबजट पेश करने का रिकॉर्ड बनाया है. हर बार की तरह इस बार भी विपक्ष के लिए यह बजट झुनझुना है और सत्ता पक्ष के लिए ऐतिहासिक और देश की तकदीर बदलने वाला है. पर इस बार एक बातदेखने वाली यह है कि कांग्रेस कह रही है कि सरकार ने उनकी पार्टी के मैनिफेस्टो से बातें चुराईं हैं. बजट में कई ऐसे प्रावधान हैं जिन पर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के किए गए वादों से मिलते जुलते हैं. पर अगर कांग्रेस मेनिफेस्टो की बातों को सरकार ने अपने बजट में स्थान दिया है तो फिर कांग्रेस को तहेदिल से इसका स्वागत करना चाहिए. क्योंकि ऐसा कम ही होता है जब सत्ताधारी पार्टी विपक्ष के मुद्दों पर ध्यान देती है. ऐसा भी हो सकता है कि लोकसभा चुनावों में मिली शिकस्त के चलते सरकार को यह सीख मिली हो कि अगर जनता से जुड़े इन मुद्दों पर काम नहीं हुआ था आगे और चुनावों में मुंह की खानी पड़ेगी.

कांग्रेस मैनिफेस्टो की छाप है?

वित्तमंत्री के बजट पेश करने के दौरान ही कांग्रेस ने यह जताना शुरू कर दिया कि बजट ने कांग्रेस मेनिफेस्टो को कॉपी किया है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने जिस इंटर्नशिप योजना की घोषणा की है वह इस लोकसभा चुनाव के कांग्रेस के घोषणापत्र में किए गए प्रशिक्षुता के अधिकार के वादे पर आधारित है, जिसके तहत उसने डिप्लोमा एवं डिग्रीधारक बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण के साथ एक साल तक हर महीने 8500 रुपये देने का वादा किया था. कांग्रेस ने इस कार्यक्रम को ‘पहली नौकरी पक्की’ नाम भी दिया था.रमेश ने सोशल मीडिया मंच पर कहा, ‘वित्त मंत्री ने कांग्रेस के न्याय पत्र-2024 से सीख ली है, जिसमें इसका इंटर्नशिप कार्यक्रम स्पष्ट रूप से कांग्रेस के प्रस्तावित प्रशिक्षुता कार्यक्रम पर आधारित है.

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पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने भी इस बजट पर खुशी जाहिर की कि वित्त मंत्री ने चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस का लोकसभा 2024 का घोषणापत्र पढ़ा है. मुझे इस बात की भी खुशी है कि उन्होंने कांग्रेस घोषणापत्र के पृष्ठ 30 पर उल्लिखित रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन (ईएलआई) को अपना लिया है.

उन्होंने आगे कहा, 'मुझे इस बात की भी खुशी है कि उन्होंने कांग्रेस घोषणापत्र के पृष्ठ 11 पर उल्लिखित प्रत्येक प्रशिक्षु के लिए भत्ते के साथ-साथ प्रशिक्षुता योजना भी शुरू की है. काश, वित्त मंत्री ने कांग्रेस घोषणापत्र में कुछ अन्य विचारों की नकल की होती. मैं शीघ्र ही छूटे हुए बिंदुओं की सूची बनाऊंगा.

कांग्रेस ने खुशी जाहिर की कि कम से कम केंद्र सरकार ने 10 साल के इनकार के बाद स्वीकार किया है कि बेरोजगारी राष्ट्रीय संकट है जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.

कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ट्वीट करके बजट की कई बातों के लिए अपनी पार्टी कांग्रेस को श्रेय दे रहे हैं. वो एक्स पर लिखते हैं कि

'2024-25 के बजट में कांग्रेस की घोषणा पत्र का असर

निर्मला सीतारमण को कांग्रेस न्यायपत्र 2024 का सहारा लेना पड़ा

▪️कांग्रेस के 5 न्याय में सबसे पहला युवा न्याय

पहली नौकरी पक्की: युवा न्याय के तहत हर डिग्री/ डिप्लोमा होल्डर को एक लाख रुपए के स्टाईपेंड

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▪️बजट 2024-25 में सिर्फ एक करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप का प्रावधान

इंटर्नशिप के दौरान साठ हजार रुपए का प्रावधान

मोदी सरकार को आइडिया के लिए कांग्रेस को धन्यवाद देना चाहिए'

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी एक्स पर पोस्ट लिखकर कांग्रेस मेनिफेस्टो को कॉपी करने की बात बताई-

'कांग्रेस के न्याय के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पाया मोदी सरकार का "नकलची बजट" !

मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी "रेवड़ियां" बाँट रहा है, ताकि NDA बची रहे.

ये "देश की तरक्की" का बजट नहीं, "मोदी सरकार बचाओ" बजट है !'

दरअसल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में एक करोड़ युवाओं के लिए 500 शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप की योजना शुरू करने की घोषणा की है. इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को 5000 रुपए प्रति माह इंटर्नशिप भत्ता और 66000 रुपए की एकमुश्त सहायता दी जाएगी.

पहली नौकरी वालों के लिए: 1 लाख रुपए से कम सैलेरी होने पर, EPFO में पहली बार रजिस्टर करने वाले लोगों को 15 हजार रुपए की मदद तीन किश्तों में मिलेगी.

दरअसल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि 'मुझे 2 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय के साथ 5 वर्षों में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा के लिए 5 योजनाओं और पहलों के प्रधानमंत्री पैकेज की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है. इस वर्ष हमने शिक्षा, रोजगार और कौशल के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. उन्होंने कहा, रोजगार के लिए हमारी सरकार फर्स्ट टाइमर को एक महीने का वेतन सभी फॉर्मल सेक्टर के कर्मचारियों को दिया जाएगा जो 15 हजार तक हो सकता है. योग्यता स्तर 1 लाख हर महीने तक सैलरी पाने वाले आएंगे' इसके अलावा एजुकेशन लोन पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'सरकार घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी'

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महिलाओं और किसानों को भीलुभाने की कोशिश

दरअसल बजट पर कांग्रेस सरकार पर जो कॉपी पेस्ट करने का आरोप लगा रही है उसका एक बड़ा कारण लोकसभा चुनावों में हार की टीस का है. बीजेपी को अभी भी परेशान कर रही है. भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि अगर युवाओं और महिलाओं , किसानों अति निर्धन लोगों के लिए काम हुआ होता तो शायद ये नौवत नहीं आती . इसलिए बजट में इस बार युवाओं और महिलाओं के साथ गरीबोन्मुख बनाने का प्रयास किया गया है. यही कारण है कि कांग्रेस को लगता है कि उसके मेनिफेस्टो से बीजेपी ने बहुत सी बातें चुरा ली हैं. बजट में मंहिलाओं , युवकों, किसानों और गरीबों के लिए बहुत सी योजनाओं की घोषणा की गई है.

वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की बात की गई है. जाहिर है कि कांग्रेस को लग रहा है कि यह उसके मेनिफेस्टो का ही असर है. कांग्रेस ने महिलाओं को नौकरियों में आरक्षण की बात की थी. बजट में वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदीरी बढ़ाने के साथ महिला वर्कर्स के लिए हॉस्टल बनाने की बात की गई है. महिलाओं का वोट अब इतना महत्वपूर्ण हो चुका है कि कोई भी पार्टी उन्हें नजरंदाज नहीं कर सकती है.

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बजट में महिलाओं के सशक्‍तीकरण के लिए कई बड़े फैसले लिए गए हैं. उन्‍होंने इस बजट में महिलाओं के लिए बड़े ऐलान किए. महिलाओं से जुड़ी स्कीम्स के लिए 3 लाख करोड़ का एलोकेशन किया जाएगा.सरकार ने लखपति दीदी का लक्ष्य 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ करने का फैसला किया है. वित्त मंत्री ने कहा था कि करीब 9 करोड़ महिलाओं के जीवन में बदलाव आया है और लखपति दीदी के जरिये वो अपने पैरों पर खड़ी हुई हैं.

किसानों के लिए भी कुछ खास नहीं

कृषि क्षेत्र पर खास फोकस करते हुए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. वित्त मंत्री ने देश के 400 जिलों में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) का उपयोग करते हुए खरीफ फसलों का डिजिटल सर्वेक्षण करने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि 5 राज्यों में जनसमर्थन आधारित किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे. इसके साथ ही झींगा, मछली, ब्रूडस्टॉक के लिए केंद्रीयकृत प्रजनन केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करने हेतु वित्तीय सहयोग उपलब्ध करने का भी ऐलान किया है. वहीं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की वृद्धि और रोजगार सृजन में तेजी लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सहयोग नीति तैयार करने की घोषणा की गई है. इसके अलावा भी कुछ फैसले लिए गए हैं. जिनका निश्चित दूरगामी असर होंगे.

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-ज्यादा उपज वाले 109 फसल की वेरायटी लाई जाएगी

-जलवायु को लेकर लचीली किस्में जारी की जाएंगी

-2 साल में 1 करोड़ किसानों को नेचुरल फार्मिंग से जोड़ें जाएंगे.

-10,000 आवश्यकता आधारित जैव-इनपुट केंद्र स्थापित किए जाएंगे

-तिलहनों का उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम मजबूत करेंगे

बजट में किसानों के लिए बहुत कुछ करने के वादे किए गए हैं. पर कोई भी एक वादा ऐसा नहीं है जो किसानों को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाता दिख रहा हो. किसान नेता राकेश टिकैत आज तक से कहते हैं कि किसान को पैदावार बढ़ाने से क्या मिलेगा. जब तक फसल के बिकने की व्यवस्था नहीं होगी. फसल अधिक होने से किसान उसे औने पौने बेचेगा या घर पर रखकर सड़ाएगा.

कांग्रेस मेनिफेस्टो की बड़ी बातों में एक भी नहीं

वैसे देखा जाए तो कांग्रेस के लिए ज्यादा खुश होने जैसी कोई बात नहीं है. सरकार ने कांग्रेस मेनिफेस्टो से एक भी ऐसा बड़े वादे को पूरा किया होता तो कांग्रेस के लिए ही नहीं बीजेपी के लिए भी कुछ अलग होता. जनता को भी कुछ राहत मिल सकती थी. जैसे कृषि के क्षेत्र में कांग्रेस के बड़े वादों में से एक है किसानों की क़र्ज़ माफ़ी का वादा और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर गारंटी देने वाला क़ानून . दोनों ही दूर -दूर तक नहीं दिखाई दे रहे हैं.न्यूनतम मज़दूरी को कम से कम 400 रुपये रोज़ाना करने का वायदा भी कांग्रेस के घोषणा पत्र में था . सरकार उस पर भी काम कर सकती थी.स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजस्थान की गहलोत सरकार की तर्ज़ पर 25 लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा सरकार बनने की स्थिति में कांग्रेस देने की बात कर रही है. ऐसा भी कुछ बजट में नहीं दिखाई दे रहा है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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