यूपी में योगी के खिलाफ कौन बना रहा है माहौल, केशव मौर्य के बयान के मायने क्‍या हैं?

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उत्तर प्रदेश में 3000 के करीब सदस्यों वाली कार्यसमिति की बैठक रविवार को हुई है. इस बैठक में पार्टी के प्रदेश स्तर के सभी बड़े नेताओं के अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए. नड्डा ने तो हार के कारणों में प्रमुख रूप से संविधान के नाम पर भ्रम फैलाने की विपक्ष की कोशिश पर जोर दिया. सीएम योगी आदित्यनाथ ने हार के पीछे अति आत्मविश्वास की बात कही पर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ऐसी बात कह दी कि कई लोगों के मुंह के ताले खुल गए. इसके बाद बीजेपी की सबसे बड़ी बैठक में लोकसभा चुनावों में हार के कारणों की समीक्षा ब्लेम गेम में बदल गई. कई लोगों ने उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए. बैठक में बढ़ती बगावती बयानबाजी के चलते योगी सरकार में मंत्री अनिल राजभर को विधायकों को नसीहत तक देनी पड़ गई. उन्होंने कहा- यह अनुशासनहीनता है. पार्टी ने सभी को मंच दिया है. सरकार के खिलाफ बोलना ठीक नहीं है. जाहिर ऐसे माहौल का मतलब है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं है. क्या बीजेपी कल्याण सिंह पार्ट-2 की ओर बढ़ रहा है?

यूपी बीजेपी में सब कुछ सामान्य नहीं

माहौल गर्म होने की शुरुआत केशव प्रसाद मौर्य के बयान से हुई. कार्यकर्ताओं को लेकर केशव प्रसाद मौर्य ने एक बड़ी बात कह दी. केशव मौर्य ने कार्यकर्ताओं से कहा 'जो आपका दर्द है, वही मेरा भी दर्द है' और बीजेपी में सरकार से बड़ा संगठन है, संगठन था और रहेगा. केशव मौर्य ने कहा कि 7 कालिदास मार्ग कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा खुला है. कार्यकर्ताओं के मन की बात कहने पर केशव मौर्य को सबसे ज्यादा तालियां मिलनी स्वाभाविक थीं. लोकसभा चुनावों का परिणाम आने के बाद अचानक प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों से ऐसी खबरें आनी शुरू हुईं थीं कि स्थानीय बीजेपी नेताओं की स्थानीय प्रशासन सुनवाई नहीं करता है. इस बीच योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए पुलिस को जबरदस्त चेकिंग अभियान शुरू करने का आदेश दे दिया था. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी को लखनऊ के हजरतगंज में तलाशी अभियान का सामना करना पड़ा. यह मुद्दा तूल पकड़ लिया. इसके बाद कानपुर के एक बीजेपी नेता से पुलिस की टक्कर हो गई. जिसके चलते डिप्टी सीएम ने ब्रजेश पाठक ने चेकिंग अभियान पर ही सवाल खड़ा कर दिया. यह स्पष्ट था कि सीएम के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है. गौर करने वाली बात यह है कि यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पिछले कई हफ्तों से कैबिनेट मीटिंग में नहीं आ रहे हैं. दोनों डिप्टी सीएम को बेबाकबोलते देख उत्तर प्रदेश में बीजेपी के कुछ और नेता सरकार के खिलाफ अब खुल कर बोलने लगे हैं. उन्हें लगता है कि जब बड़े नेता बोल रहे हैं तो उन्हें क्या गुरेज है. यदि ये सिलसिला बनता है तो पार्टी के लिए खतरनाक होने वालाहै.

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योगी सरकार के खिलाफ किसने क्या बोला?

कार्यसमिति की बैठक के दौरान केशव प्रसाद मौर्य ही नहीं एक और मंत्री संजय निषाद ने भी इसी तरह की बातें की हैं जो सीधे योगी सरकार के खिलाफ जाता है. हालांकि संजय निषाद बीजेपी के नहीं हैं. निषाद पार्टी के संस्थापक और मुखिया संजय निषाद का भी कहना है किउत्तर प्रदेश सरकार पर नौकरशाहीहॉवी है.निषाद कहते हैं कि इस वक्त पर आप बुलडोजर चलवायेंगे, घर गिराएंगे, तो मतदातावोट करेगा क्या? निषाद प्रदेश की नौकरशाही पर आरोप लगाते हैं कि समाजवादी पार्टी के समय भर्ती हुए पुलिसकर्मी और अधिकारी अब भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ काम कर रहे हैं और यही प्रशासन बनाम कार्यकर्ता की जंग का असल कारण है. यह लोग जानबूझकर ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं जहां संगठन और सरकार आमने सामने खड़े हो जाएं.

कई विधायकों और पूर्व मंत्रियों ने भी लगे हाथ सरकार को आड़े हाथ ले लिया. पूर्व मंत्री मोती सिंह कहते हैं कि प्रदेश में बीजेपी की स्थिति ठीक नहीं है और इस मामले में केंद्र सरकार को दखल देकर बड़ा निर्णय लेना चाहिए. मोती सिंह कहते हैं कि 42 सालों में मैंने तहसील और थानों में जोभ्रष्टाचार है वहअकल्पनीय है. मोती सिंह कहते हैं कि घर में एक बल्ब ज्यादा जला दो तोबिजली विभाग पुलिस बन जाताहै. एफआईआर लिखने आ जाती है.जाहिर है ऐसे में विपक्ष को मजा लेने का पर्याप्त कारण मिल गया है. समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील यादव कहते हैं कि असल वजह यह है कि दोनों डिप्टी सीएम अब मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और दिल्ली से भी उन्हें यही संदेश मिल रहा है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता अब खुलकर बोल रहे हैं प्रशासन और पुलिस उन्हें सम्मान नहीं देती काम नहीं करती बीजेपी यूपी में अपने अंत के करीब है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय कहते हैं कि इनकी आपसी लड़ाई का खमियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है.

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योगी ने भी उठाए सवाल और जवाब भी दिए

योगी आदित्यनाथ ने कार्यसमिति में अपने भाषण में बीजेपी की हार के कारणों की समीक्षा करते हुए अति-आत्मविश्वास को निशाना बनाया. पर यह नहीं बताया कि यह अति आत्मविश्वास किसका है जिसके चलते प्रदेश में पार्टी की दुर्गति हुई? ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने अपने ऊपर हो रहे हमलों का जवाब अपने अंदाज में दिया. तो क्या योगी आदित्यनाथ के ऐसा बोलने का आशय बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्‍वके ओवर-कॉन्फिडेंस से है? क्या योगी आदित्यनाथ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान की भी याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी की वजह बना था. जेपी नड्डा ने कहा था, 'भाजपा अब पहले की तुलना में काफी मजबूत हो गई है... इसलिए अब संघ के समर्थन की जरूरत नहीं है.
यही नहीं आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश सरकार पर नौकरशाही के हॉवी होने पर भी पलटवार करते हैं.योगी कहते हैं, याद करिये मोहर्रम के समय में सड़कें सूनी हो जाती थीं... आज मोहर्रम के वक्त इसका पता भी नहीं लग रहा है... ताजिया के नाम पर घर तोड़े जाते थे, पीपल के पेड़ काटे जाते थे, सड़कों के तार हटाए जाते थे... आज कहा जाता है किसी गरीब की झोपड़ी नहीं हटेगी. आज कहा जाता है कि सरकार नियम बनाएगी, त्योहार मनाने हैं तो नियम के तहत मनाओ नहीं तो घर बैठ जाओ... अब ये मनमानापन नहीं चल सकता.

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जब संगठन के बड़े नेता प्रदेश अध्यक्ष से लेकर केशव मौर्य तक कार्यकर्ताओं की बात कर रहे थे तो उसका जवाब सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह कह कर दिया कि जब विपक्ष झूठे नैरेटिव गढ़ रहा था तो हमारे कार्यकर्ता जवाब क्यों नहीं दे पाए. स्मार्टफोन पर सुबह शाम गुड मॉर्निंग भेजा जा सकता है लेकिन विपक्ष के फैलाए झूठ का जवाब क्यों नहीं दिया गया.

केशव मौर्य और योगी आदित्यनाथ में है पुरानी अदावत

दरअसल योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच वर्चस्व की जंग 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बादही शुरू हो गई थी. एक तरह से देखा जाए तो 2017 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य नेतृत्व में लड़ा था. प्रदेश अध्यक्ष होने के नातेबीजेपी की की प्रचंड जीत का श्रेय केशव मोर्या को मिलना चाहिए था. पर प्रदेश की कमान हिंदू हृदय सम्राट होने के नाम पर योगी आदित्यनाथ को मिल गई. शीर्ष नेताओं ने केशव मोर्य को किसी तरह से समझा-बुझाकर शांत कर उपमुख्यमंत्री पद के लिए राजी कर लिया. यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के चंद दिनों बाद ही एक के बाद एक योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच की तकरार सामने आती रही. मामला तब और खराब हुआ जब 2019 में सीएम योगी आदित्यनाथ ने केशव प्रसाद मौर्य के पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा पिछले 2 साल में कराए गए टेंडर और बड़े निर्माण कार्यो की जांच करने का निर्देश दिया. ये ठेके और निर्माण कार्य करीब दो हजार करोड़ रुपये के थे. सीएम योगी को संदेह था कि पीडब्ल्यूडी विभाग में ठेकों और निर्माण कार्यों में जमकर धांधली हुई है. संदेश ये गया कि योगी इसके जरिए केशव प्रसाद मौर्य पर नकेल कसे रखना चाहते हैं.

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नाराज केशव मौर्य ने मुख्यमंत्री को उनके नेतृत्व वाले विभाग एलडीए में फैले भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के बारे में एक चिट्ठी लिख डाली. केशव मौर्य ने अपनी चिट्ठी में एलडीए के कई अफसरों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और इनकी जांच की जानी चाहिए. केशव मौर्य की 'गोपनीय' चिट्ठी मीडिया में लीक हो गई. इससे मुख्यमंत्री के अधीन वाले एलडीए में करप्शन की बात सार्वजनिक हो गई. इसे योगी के एक्शन का मौर्य की ओर से जवाब माना गया. 2022 में इस विवाद का पटाक्षेप हो सकता था. पर केशव प्रसाद मौर्य अपनी सीट ही हार गए. इस हार के पीछे भी कई कहानियां हैं. पर सीट हारने के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य को फिर डिप्टी सीएम बनाया गया.

केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्यनाथ के बीच जंग को पहले भी पार्टी ने कई बार सुलझाया है.भारतीय जनता पार्टी को समझना होगा किदोनों लोग पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है. केशव को भी समझना होगा कि योगी अब उनसे बहुत आगे निकल चुके हैं. उनकी अपनी फैन फॉलोइंग है. उन्हे नजर अंदाज करने का मतलब होगा उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह पार्ट -2 की शुरुआत करना . जो बीजेपी कतई नहीं चाहेगी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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