पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह अब नहीं रहे. देश ने महत्वपूर्ण 10 साल उनके नेतृत्व में बिताएहैं. हालांकि उन्हें यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी का पपेट माना जाता रहा है फिर भी देश के लिए उन्होंने जो काम किए वो माइलस्टोन हैं. 1991 से 1996 तक देश वित्त मंत्री के रूप में, और फिर 2004 से 2014 तक देश के पीएम के रूप में जो उन्होंने काम किए हैं उसी के चलते आज भारत एक आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है. कई मौकों पर कांग्रेस पार्टी ने उनके रास्तों को रोकने की कोशिश की पर वह डिगे नहीं. मनमोहन के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू ने अपनी किताब 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' में ऐसी कई घटनाओं का जिक्र किया है जो मनमोहन के कद को ऊंचाइयों पर ले जाता है जहां तक देश का कोई पीएम नहीं पहुंच पाया है. इसके साथ ही मनमोहन सिंह को उनके प्रधानमंत्रित्व काल में किस तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ा ये भी देखने को मिलता है.जैसे मनरेगा को लागू करने के पीछे मनमोहन सिंह का ही दिमाग काम कर रहा था और कांग्रेस ने किस तरह उनसे और रघुवंश प्रसाद सिंह से यह श्रेय छीनने की कोशिश की थी.
दरअसल यूपीए ने अपने पहले कार्यकाल में देश के गरीबों के लिए एक रोजगार योजना बनाई जिससे गांवों में खेतिहर मजदूरों और गरीबों की जिंदगी में एक बड़ा परिवर्तन आया. कहा जाता है कि 2009 में दुबारा कांग्रेस की सरकार बनने के पीछे इस योजना का बड़ा हाथ था. यहां तक कि 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस योजना को चालू रखने में भलाई समझी. इतना ही नहीं एनडीए सरकार अपने हर कार्यकाल में मनरेगा योजना के लिए जारी करने वाली राशि को हमेशा बढ़ाया गया.
दरअसल 2007 के पहले मनरेगा कुछ जिलों में पाइलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था. तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और कृषि मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस योजना को पूरे देश मे लागू करने के लिए पूरी तैयारी कर रखी थी. इस बीच कांग्रेस पार्टी ने इस योजना को लागू करने का श्रेय राहुल गांधीकोदेने के लिए किस तरह पीएम मनमोहन सिंह परदबाव बनाया वह बहुत ही रोचक प्रसंग है. संजय बारू लिखते हैं, कांग्रेस पार्टी मनरेगा का श्रेय लेने के लिए इस तरह ऑब्सेस्ड थी कि 26 सितंबर, 2007 को मनमोहन सिंह के जन्मदिन पर पार्टी के तत्कालीन महासचिव राहुल गांधी की लीडरशिप में पार्टी नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलकर एकज्ञापन देताहै. इस ज्ञापन में कहा जाता हैकि इसे देश के सभी जिलों में लागू किया जाए.
बारू से कहा गया कि वो अखबारों को पीएमओ की ओर से प्रेस रिलीज जारी करके बताएं कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से मनरेगा को पूरे देश में लागू करने को कहा है. बारू से इस सिलसिले में कांग्रेस नेता अहमद पटेल मिलकर पार्टी की मंशा भीजाहिर करते हैं. पर बारू का कहना था कि मनमोहन सिंह पहले ही लालकिले के प्राचीर से मनरेगा को पूरे देश में लागू करने की घोषणाकर चुके हैं, साथही संबंधित सभी मंत्रालयों मेंइसे देशभर में लागू करने का विचार भी हो चुका है. बारू चाहते थे कि राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह (तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री) और मनमोहन सिंह को भी मनरेगा को देशभरमें लागू करने का श्रेय मिलना चाहिए. पर अहमद पटेल मानने को तैयार नहीं होते हैं.
दूसरे दिन सभी अखबारों और टीवी में ऐसी ही न्यूज आई जैसा कांग्रेस चाहती थी. पर इंडियन एक्सप्रेस के तत्कालीन सीनियर पोलिकल जर्नलिस्ट शिशिर गुप्ता ने वैसा लिखा जैसा बारू ने उन्हें बताया था. इस संबंध में संजय बारू ने कुछ और पत्रकारों को मेसेज कर के इस योजना को पीएम मनमोहन सिंह का बर्थडे गिफ्ट बताया था. संजय बारू पीएम मनमोहन सिंह की इमेज बिल्ड करना चाहते थे. जिसके चलते डॉक्टर मनमोहन सिंह उनसे नाराज भी होते हैं. मनमोहन सिंह ने बारू को बुलाकर डांट भी लगाई थी और ये भी कहा था कि उन्हें किसी तरह की पब्लिसिटी या क्रेडिट नहीं चाहिए.
मनमोहन सिंह ने तब बारू से कहा था कि उन्हें सिर्फ काम करना है, आप मेरे भाषण लिखिए मेरी इमेज की चिंता छोड़ दीजिए. मनमोहन सिंह ने संजय बारू को यह भी सलाह दी कि आप एक बार सोनिया गांधी से मुलाकात कर लें. संजय बारू को पीएम के मीडिया सलाहकार पद से हटाने के लिए कांग्रेस इस तरह बेकरार हो गई थी कि इसके लिए तमाम लोकसभा सदस्यों से पीएमओ में फोन भी कराए गए. कई अखबारों में ऐसी खबरें प्लांट की गईं कि जो संजय बारू के खिलाफ जा रहीं थीं. अंतत:संजय बारू ने सोनिया से मुलाकात करने से मना कर दिया और पीएम को अपना त्यागपत्र दे दिया.
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