देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र सीएम बनाना क्यों बीजेपी के लिए मजबूरी बन गया है? । Opinion

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महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति में मुख्‍यमंत्रीके नाम पर करीब करीब फैसला हो चुका है. कहा जा रहा है कि प्रदेश के डिप्टी सीएम और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नाम पर बीजेपी में सहमति बन चुकी है. अजित पवार का समर्थन मिलने के बादफिलहाल अभी कोई संकट नजर नहीं आ रहा है. महाराष्ट्र के निवर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पद से इस्तीफा दे चुकेहैं. हालांकि देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगाना इतना आसान नहीं था. आज की तारीख में उनका ब्राह्मण होना उनके मुख्यमंत्री बनने के लिए सबसे अधिक खिलाफ जा रहा था. इसके साथ ही पार्टी की महाराष्ट्र इकाई में उनको लेकर बहुत मतभेद थे पर देवेंद्र फडणवीस के साथ कुछ ऐसे प्लस पॉइंट्स हैंजो उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में न देखने वालों पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. देवेंद्र फडणवीस में ऐसा क्या है बीजेपी उनके नाम को पीछे नहीं कर पा रही है? इसके एक नहीं कई कारण हैं. आइये देखते हैं...

1- शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने में चाणक्य की भूमिका निभाई

महाराष्ट्र की राजनीति के नए चाणक्य के रूप में उभर रहे हैं देवेंद्र फडणवीस. 2019 विधानसभा चुनावों के बाद जब बीजेपी को दगा देते हुए शिवसेना ने सीएम बनने की जिद पकड़ ली थी तब फडणवीस ने शरद पवार जैसे राजनीतिज्ञ के जबड़े से अजित पवार को खींच कर लाए. ये बात अलग है कि अजित पवार अपनी पार्टी के विधायकों को अपने साथ नहीं ला सके और 80 घंटे के अंदर खेल हो गया.

फडणवीस की सरकर गिर गई फर फडणवीस लगे रहे. एनसीपी और शिवसेना को विभाजित करनेका काम उनके ही बदौलत भारतीय जनता पार्टी कर सकी. यही कारण रहा कि शिवसेना और फिर एनसीपी के टूटने पर फडणवीस को गालियां सुनने को मिलीं. उद्धव ठाकरे से लेकर मनोज जरांगे तक ने फडणवीस को राजनीतिक करियर खत्म करने की धमकी दी थी. शरद पवारतो उनकी जाति तक पहुंच गए थे. पर फडणवीस डिगे नहीं. न केवल भारतीय जनता पार्टी को कठिन समय में बचाए रखा बल्कि दुबारा कुर्सी तक पहुंचाने की रणनीति भी तैयार की.

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2- बिहार और मप्र मॉडलमहाराष्ट्र में नहीं चल पाएगा, सरप्राइज़ की गुंजाइश नहीं

देवेंद्र फडणवीस की काट के लिए एक तर्क बिहार मॉडल का दिया जा रहा है, जहां जेडीयू की कम सीटें होने के बावजूद नीतीश कुमार ही सीएम बनते आ रहे हैं. वहीं, फडणवीस के ब्राह्मण होने को लेकर तर्क दिया जा रहा है कि पिछड़े तबके की पॉलिटिक्‍स को ध्‍यान में रखते हुए मध्‍यप्रदेश की तरह किसी पिछड़ी जाति के नेता को सीएम बनाया जाना चाहिए. वैसे भीभारतीय जनता पार्टी में आजकल मुख्यमंत्री के नाम पर उस व्यक्ति की मुहर लगती है जिसे न कोई जानता होता है और न ही उसके सीएम बनने की उम्मीद होती है. गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश आदि के सीएम पद पर ऐसे लोगों को बैठाया गया जिनके बारे में खुद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा. पर महाराष्ट्र का मामला अलग है. महाराष्ट्र में 6 दलों ने चुनाव लड़ा और करीब 3 पार्टियों को बहुमत मिला हुआ है. पार्टी को पता है किअगर कोई भी असंतुष्ट होता है तो तुरंत एक नए समीकरण बनने की शुरूआत कभी भी हो सकती है. यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी यहां सोशल इंजीनियरिंग भूलकर देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगाना चाहती है. क्योंकि फडणवीस ही ऐसे हैं जिनके सूत्र सभी पार्टियों में हैं. और जो साम दाम दंड भेद सभी लगाकर सरकार को चलाने की कूवत रखते हैं.

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3- बीजेपी में सबसे अधिक रैलियां करने के लिए उन्हें ही जिम्मेदारी सौंपी गई

भारतीय जनता पार्टी को देवेंद्र फडणवीस के कद और उनकी लोकप्रियता का अंदाजा था इसलिए ही तो उन्हें इस बार के विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक रैलियां और सभाएं करने का अधिकार दिया गया. अगर उनके ब्राह्मण होने से या, उनके कार्यकाल से लोगों केचिढ़ होने की बात होती,तो शायद उन्हें पार्टी का मुख्य चेहरा बनाकर प्रचार प्रसार नहीं करवाया गया होता. भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से कहीं बहुत अधिक रैलिया और सभाएं देवेंद्र फडणवीस ने कीं. जाहिर है कि फडणवीस को साइडलाइन करके अगर किसी और को सीएम बनाया जाएगा तो पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ेगा.

4- संघ और बीजेपी दोनों के विश्वसनीय

लोकसभा चुनावों में हार के बाद फडणवीस ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी. पर जिस तरह उनके समर्थन में आरएसएस ने आगे आकर उनसे अपने पद पर बने रहने की गुजारिश की थी वह अपने आप में अलग था. आरएसएस इस तरह से किसी शख्स के लिए आगे नहीं आता रहा है. फडणवीस के घर पर आरएसएस और बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेकर बावनकुले की उपस्थिति में बैठक हुई थी. इसके बादबावनकुले ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी ने फडणवीस से अपने पद पर बने रहने का अनुरोध किया गया है.

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यहबात किसी से नहीं छिपी है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति को जो अप्रत्याशित जीत मिली है, उसमें संघ का भी अहम हाथ है. देवेंद्र फडणवीस वो नेता हैं जिन्होंने हर बार संघ पर भरोसा जताया है. इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस वो नेता हैं जिन पर पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री भी अटूट भरोसा करते हैं.

5- टॉप क्लास के एडमिनिस्ट्रेटर और संगठनकर्ता

महाराष्ट्र देश काआर्थिक इंजनहै. देश की 13 परसेंट जीडीपी अकेले इस राज्य से ही आती है. देश में सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आज भी इसी राज्य में आता है. अभी इस साल के आंकड़े में भी प्रथम तिमाही में महाराष्ट्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में टॉप पर रहा है. देवेंद्र फडणवीस एक प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं. महाराष्ट्र में अभी पीएम की सबसे महत्वाकांक्षी अहमदाबाद -मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पूरा करना भी है. इसके साथ पीएम का 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने का रास्ता भी महाराष्ट्र से ही हो कर जाता है. इसलिए देवेंद्र फडणवीस जैसे किसी अनुभवी शख्स को सीएम बनाना बीजेपी की मजबूरी है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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