अखिलेश यादव को इतना गुस्सा क्यों आ रहा है, क्या यूपी उपचुनाव के नतीजों से है संबंध? । opinion

4 1 14
Read Time5 Minute, 17 Second

उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों के लिए बुधवार को हो रहेमतदान के दौरान समाजवादी पार्टी अध्‍यक्ष अखिलेश यादव आगबबूला हो गए. वोटिंग के बीच बुर्के और पहचान पत्र पर सियासी संग्राम छिड़ गया है. लगातार ऐसी वीडियोवायरल हो हुईं,जिसमें मुस्लिम समुदाय की आईडी चेक करते पुलिस अधिकारी देखे जा रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने पुलिस प्रशासन पर सत्ताधारी दल के दबाव में उसके मतदाताओं को वोटिंग से रोकने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की है. अखिलेश यादव ने पीसी करके उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों और भारतीय जनता पार्टी पर जबरदस्त हमला किया. अखिलेश यादव ने अधिकारियों को चेतावनी भी दी. अखिलेश यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बेहद गुस्से में नजर आ रहे थे. इस बीच एक पत्रकार के सवालकरने पर उस पर भी बुरी तरह भड़क गए. पत्रकार को अनपढ़ गंवार बोलते हुए तुम-तड़ाम पर आ गए. हालांकि चुनाव आयोग ने उनकी शिकायत के आधार पर कानपुर से लेकर मुरादाबाद और मुजफ्फरनगर तक, एक्शन लेते हुए आधा दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया. दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने भी फर्जी पहचान पत्र और बुर्के वालीमहिलाओं की पहचान सुनिश्चित किए बिना मतदान कराए जाने की शिकायत की है. पर असली सवाल यह है कि अखिलेश यादव इतनी जल्दी आपा क्यों खोने लगे हैं?विशेषकर आज जिस तरह उन्होंने एक पत्रकार के साथ बर्तावकिया,उसके पीछे कहीं उनका फ्रस्‍ट्रेशन तो नहीं है? क्या उपचुनावों की लड़ाई वो हार चुके हैं?

1- क्या पुलिस अधिकारी चेक कर सकते हैं वोटर आईडी?

समाजवादी पार्टी ने सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र सहित कई जगहों पर चुनाव आयोग के निर्देश के बावजूद पुलिसकर्मियों के वोटर आईडी कार्ड चेक करने की शिकायत की. कथित रूप से सीसामऊ का एक वीडियो भी सामने आया जिसमें मतदाताओं के पहचान पत्र चेक कर पुलिसकर्मी उन्हें वोट डालने से रोकते हुए वापस भेजते नजर आ रहे थे. चुनाव आयोग ने यह वीडियो सामने आने के बाद सब इंस्पेक्टर अरुण कुमार सिंह और राकेश कुमार नादर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.

चुनाव आयोग ने पहले ही स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि कोई भी पुलिसकर्मी मतदान के लिए पहुंचे किसी भी व्यक्ति की आईडी चेक नहीं कर सकता. चुनाव आयोग की गाइडलाइंस के मुताबिक यह अधिकार पोलिंग बूथ के भीतर मतदानकर्मियों की टीम के पास है. पोलिंग पार्टी और उम्मीदवारों के एजेंट मतदाताओं की तस्दीक कर सकते हैं. पुलिस की ड्यूटी मतदान केंद्र पर कानून-व्यवस्था बनाए रखना है. पर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि चूंकि पूरे प्रदेश में चुनाव नहीं हो रहे हैं. इसलिए अगल बगल के विधानसभा क्षेत्रों से जो लोग वोट डालने आ जा रहे हैं उनको रोकने के लिए कई बार आईडी चेक करनी पड़ी. चुनाव आयोग कह रहा है कि वोट डालने आने वालों की आईडी फिलहाल पुलिस नहीं चेक कर सकती. पर कानून व्यवस्था के नाम पर किसी का भी आईडी चेक करने का अधिकार पुलिस को है. अगर मतदान केंद्र पर अचानक भीड़ आ जाए तो पुलिस कर्मी किस तरह इस भीड़ की पहचान करेंगे कि कौन आसामाजिक तत्व है और कौन वोट डालने आया हुआ है. जाहिर है कि इसके लिए आईडी चेक की जाएगी. इसमें कोई 2 राय नहीं कि पुलिस अपने अधिकारों का दुरुपयोग करती है. पर इसमें भी कोई 2 राय नहीं हो सकती कि बिना पुलिस के कानून व्यवस्था बनाए रखना असंभव हो जाता है.

Advertisement

यूपी की राजनीति के विशेषज्ञपत्रकार परवेज अहमद एक्स पर लिखते हैं कि कटेहरी , सीसामऊ , कुंदरकी , फूलपुर , मीरपुर के जितने वीडियो वायरल हो रहे या किये जा रहे, उनमें 100% मुसलमानों के हैं...एक भी वीडियो 'यादव' और 'कूर्मी' समाज का नहीं है - क्यों ??? क्या यूपी में यह सम्भव है कि भाजपा चाहेगी कि यादव वोट डाले ??? और अगर एक भी वीडियो मुसलमानों के अतिरिक्त आया हो तो पोस्ट करें ?? # मुसलमानों ने विवेक शून्य मत बनो ??

2- अफसरों को धमकाने और पत्रकारों के हड़काने का अंदाज तो देखिए

अखिलेश ने पीसी में कहा कि मुझे उम्मीद है कि चुनाव आयोग बेईमान अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा. अधिकारियों को धमकाते हुए वो कहते हैं कि सबकी नौकरी जाएगी. पीएफ, पेंशन भी जाएगी. समाज में इज्जत जाएगी. बेइमानी का ठप्पा लगाकर इनका जीवन बर्बाद हो जाएगा. मैंने चीफ इलेक्शन कमिश्नर से बात की है. उन्होंने बेइमानी करने वाले अधिकारियों की लिस्ट मांगी है. उन्होंने कहा कि मीरापुर विधानसभा में मैं उन अधिकारियों की जानकारी करूंगा, जिन्होंने आईडी कार्ड छीन लिया है. उन्होंने अपने पहले विधानसभा चुनाव को याद करते हुए एक अफसर को धमकाने के बहाने सभी अफसरों को अपरोक्ष रूप से बता दिया सभी का हिसाब किया जाएगा. पूरे पीसी में लोकतंत्र की बात करने वाले अखिलेश यादव लोकतंत्र के चौथे स्तंभ एक पत्रकार को इस तरह डांटा कि दूसरे कई पत्रकार कुछ बोल ही नहीं पाए होंगे . एक पत्रकार ने उनकी बात से क्रॉस क्वैश्चन करना चाहा तो उसे बीजेपी का एजेंट बता दिया. अनपढ़ गवांर बताते हुए तुम तड़ाम वाली भाषा का इस्तेमाल करने लगे. अखिलेश यादव के साथ ये पहली बार नहीं हुआ है. अभी सत्ता से बाहर हैं पर पत्रकारों को बहुत जल्दी सबक सिखाने लगते हैं. उनकी जाति पूछने लगते हैं.

Advertisement

उन्होंने कहा, ये हार रहे हैं, इसलिए वोट नहीं डालने दे रहे हैं. मीरापुर के कई बूथों पर पीठासीन अधिकारी खुद वोट डाल रहे हैं. जनता भी हरा रही है, अपने लोग भी इन्हें हरा रहे हैं. इसलिए बीजेपी बेइमानी पर उतारू है. दिल्ली और डिप्टी दोनों ही इनके खिलाफ हैं. ये इसलिए हिले हैं क्योंकि इनका सिंहासन हिल रहा है. जो पुलिसवाले गड़बड़ी कर रहे हैं उनके नाम और पदनाम इकट्ठे कर रहे हैं. उनके सबूत बना रहे हैं, किसी को बख्शा नहीं जाएगा. इस चुनाव का परिणाम हमारे पक्ष में आएगा, लेकिन कल कोर्ट को फैसला इनके खिलाफ जाएगा.

3- अखिलेश का तेवर दो बातों का इशारा कर रहा

दरअसल चुनावों में यह देखा गया है कि जिस पक्ष ने वोटिंग वाले दिन आरोप लगाना शुरू किया इसका मतलब यह समझा जाता है कि वह चुनाव को अपने पक्ष में जाता नहीं दिख रहा है. अखिलेश यादव के भी पीसी में आज यही तेवर दिख रहे थे. अखिलेश यादव और डिंपल यादव दोनों ने आज मीडिया को दिए बाइट में इस बात पर नाराजगी जताई कि मुसलमानों को वोट देने से रोका गया. जैसा लोग पूछ रहे हैं कि क्या कहीं समाजवादी पार्टी के कोर वोटर्स यादवों को भी रोका गया?क्या यादव समाजवादी पार्टी के वोटर्स नहीं है?उत्तर प्रदेश में यादवों का वोट भी भारतीय जनता पार्टी को ही जाता है पर कहीं से भी ऐसे वीडियो नहीं आए जिसमें पुलिस उन्हें रोकने की कोशिश कर रही है. तो क्या समझा जाए कि समाजवादी पार्टी उपचुनावों में पिछड़ चुकी है? पर यह कहना अतिशयोक्ति ही होगा.

Advertisement

अखिलेश यादव के बार बार उखड़ने वाले व्यवहार का दूसरा पहलू यह भी हो सकता है कि उन्हें अब विपक्ष में रहते हुए अधिक दिन हो गए हैं. सत्ता की दूरी को अब वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. वैसे भी पूरे प्रदेश में जब वो चलते हैं तो उनके साथ जो काफिला चलता है या उनके स्वागत के लिए उनके समर्थकों की जो भीड़ जुटती है उससे देश के बहुत से नेता शर्मा जाएं. उत्तर प्रदेश या किसी भी प्रदेश के पूर्व सीएम हो या पार्टी अध्यक्ष हों अखिलेश यादव की लोकप्रियता वाला नहीं है. बीजेपी में भी सत्ता में रहते हुए हो सकता है कि कोई नेता उनसे इस संबंध में मुकाबला कर ले पर भूतपूर्व होने पर इस तरह की इज्जत कम ही देखने को मिलती है. शायद अखिलेश यादव के फ्रस्टेशन का यही कारण है.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

Rajasthan Weather News: राजस्थान के कई इलाकों में गिरा पारा, चुरू रहा सबसे ठंडा, उत्तरी हिस्सों में घना कोहरा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।उत्तर भारत में सर्दी की शुरुआत हो चुकी है।राजस्थान में भी ठंड का असर अचानक बढ़ गया है। पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के चलते राज्य के कई जिलों में घना कोहरा छाया हुआ है। न्यूनतम तापमान में भी 7 डिग्री सेल्सियस तक ​की गिरावट दर्ज

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now