राहुल गांधी जब भी कोई पॉलिटिकल मेन्यू देखते हैं, एक नाम शिद्दत से खोजते हैं, गौतम अडानी. मजेदार बात ये है कि उनको अक्सर ऐसा मौका भी मिल जाता है. बहाना चाहे जो भी हो - और कारोबारी गौतम अडानी का प्रसंग आते ही वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर बिफर उठते हैं.
खास बात ये है कि इस बार लपेटे में महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार भी आ गये हैं. राहुल गांधी अपने भाषण में शरद पवार का नाम लेकर भी निशाना बड़े आराम से साध लेते हैं - और ऐन चुनाव के बीच ऐसी परिस्थितियां बन गई हैं कि शरद पवार कठघरे में खड़े हो गये हैं.
राहुल गांधी के निशाने पर शरद पवार क्यों आये?
शरद पवार को कठघरे में तो उनके भतीजे अजित पवार ने ही खड़ा कर दिया है, और राहुल गांधी को सवाल खड़ा करने का मौका आसानी से मिल गया है. हाल ही में अजित पवार ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर दिल्ली में कई हाई लेवल बैठकें हुई थीं.
अजीत पवार बताते हैं, 'अमित शाह, गौतम अडानी, प्रफुल्ल पटेल, फडणवीस और पवार साहब... सभी वहां थे.
अजित पवार, असल में, उस घटनाक्रम के बारे में बता रहे हैं जब वो कुछ घंटों के लिए बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बने थे. डिप्टी सीएम तो वो अब भी हैं, लेकिन तब उतनी ही देर के लिए देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने थे - और ये 2019 की बात है.
लेकिन, बाद में अजित पवार शरद पवार के सार्वजनिक दबाव बनाने पर लौट आये थे. एक बार देवेंद्र फडणवीस ने भी ऐसा ही दावा किया था. कहा था सब कुछ शरद पवार की जानकारी में हुआ था. अब वही बात अजित पवार भी कर रहे हैं - और उसमें भी समझने वाली बात ये है कि शरद पवार भी इंटरव्यू में मीटिंग में शामिल होने की बात कबूल कर रहे हैं.
जब अजित पवार से ये जानने की कोशिश होती है कि बीजेपी से वैचारिक असहमति होने के बावजूद शरद पवार ऐसा क्यों किये, तो वो कोई वजह नहीं बताते. अजित पवार कहते हैं, 'पवार साहब ऐसे नेता हैं जिनके दिमाग को दुनिया में कोई नहीं पढ़ सकता.' और यहां तक समझाते हैं कि उनका दिमाग पढ़ पाना न तो उनकी चचेरी बहन सुप्रिया सुले, और न ही उनकी चाची यानी सुप्रिया की मां ही कोई कयास लगा सकती हैं.
बातचीत में अजित पवार ने ये भी साफ कर दिया कि महाराष्ट्र की राजनीति में विचारधारा की परवाह कोई नहीं कर रहा है, सभी के लिए सिर्फ सत्ता महत्वपूर्ण रह गई है.
निशाने पर बीजेपी, सवाल शरद पवार से भी है
राहुल गांधी अपने भाषण में शरद पवार का नाम बिलकुल भी नहीं लेते. लेकिन, उस मीटिंग पर सवाल जरूर उठाते हैं, जिसमें शरद पवार शामिल हुए थे. ऐसे सवाल तो राहुल गांधी 2014 से उठाते आ रहे हैं, जब से केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व में सरकार बनी है. पहले उनका नारा हुआ करता था, सूट-बूट की सरकार.
ये मीटिंग दिल्ली में कारोबारी गौतम अडानी के घर पर हुई बताई जा रही है, लेकिन राहुल गांधी के भाषण में अडानी के साथ ही एक अन्य कारोबारी मुकेश अंबानी का भी नाम शामिल हो जाता है.
राहुल गांधी का सीधा इल्जाम होता है, महाराष्ट्र में जनता से उनकी सरकार छीनी गई... सरकार गिराने की जो मीटिंग हुई थी, उसमें अडानी मौजूद थे.
वो सवाल उठाते हैं, आखिर अडानी उस राजनीतिक मीटिंग में क्यों बैठे थे?
और फिर, समझाते भी हैं, वो इसलिए बैठे थे, क्योंकि उनको धारावी चाहिये था... फिर इसी सरकार ने अडानी को धारावी सौंप दिया.
राहुल गांधी कहते हैं, सच्चाई यही है... ये महाराष्ट्र के लोगों की नहीं... अडानी की सरकार है... अडानी ने आपकी सरकार खरीदी है.
नांदेड़ की रैली में अडानी-अंबानी की बात करते करते, राहुल गांधी महंगाई और बेरोजगारी पर आ जाते हैं. कहते हैं, देश में बेरोजगारी है, महंगाई बढ़ती जा रही है, लेकिन अडानी और अंबानी को कोई नुकसान नहीं हो रहा है... उनका धन बढ़ता जा रहा है... एयरपोर्ट, सड़कें, पोर्ट... और अब धारावी भी... आपको नुकसान हो रहा है.
मुश्किल ये है कि राहुल गांधी अडानी का नाम ले-लेकर बीजेपी से तो सवाल पूछते हैं, लेकिन बात जब अशोक गहलोत या रेवंत रेड्डी जैसे कांग्रेस नेताओं की आती है तो अलग लाइन ले लेते हैं - हो सकता है, राहुल गांधी महाराष्ट्र की सरकार गिराये जाने में सवाल उठाकर उद्धव ठाकरे के घावों पर थोड़ा मरहम लगा देते हों - लेकिन ये भी लगता है कि वो अशोक गहलोत और रेवंत रेड्डी की तरह शरद पवार को भी संदेह का लाभ देना चाहते हैं.
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