दिवाली के 12 दिन बाद धुआं-धुआं आसमान, धोखा है पटाखे-पराली को दोष देना | Opinion

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दिवाली के ठीक एक दिन पहले, घर के पास वाले बाजार में मैंने एक दुकानदार से ग्रीन पटाखों के बारे में पूछा. अपनी दुकान के सामने सड़क पर उसने पटाखे, फुलझड़ियां, झालर और कैंडल की अस्थाई दुकान लगा रखी थी.

NCR के उस दुकानदार ने एक पैकेट उठाया और उस पर बने हरे रंग का डिजाइन दिखाते हुए बोला, यही ग्रीन पटाखा है. मतलब, ग्रीन पटाखे की परिभाषा अपनी जगह है, लेकिन ज्यादा महत्वपूर्ण पैकेट पर बने ग्रीन मार्क होते हैं - और वे मार्केट में धड़ल्ले से बिकते हैं.

दिवाली ही नहीं, उसके पहले और बाद की कई रातें भी ऐसे ही कथित पटाखों के शोर से गूंज रही थीं. और ये सब वैसे ही चल रहा है, जैसे देश में बाकी चीजें सुचारु रूप से चलती रहती हैं - देखना है कि दिल्ली पुलिस के कमिश्नर अपने हलफनामे में सरकार को क्या बताते हैं?

हैरान होने की जरूरत नहीं है. हाल ही में दिल्ली को दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर का तमगा हासिल हुआ है. दिवाली की अगली ही सुबह दिल्ली में प्रदूषण का स्तर पिछले दो साल की तुलना में सबसे ज्यादा दर्ज किया गया - और एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से हलफनामे के जरिये वस्तुस्थिति से अवगत कराने को कहा था.

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दिवाली के आस-पास एनसीआर में एक सर्वे कराया गया है. सर्वे में सोशल मीडिया के जरिये दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के 21,000 लोगों की राय जानने की कोशिश हुई है. मालूम हुआ है कि प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे करीब 47 फीसदी लोगों ने एयर पॉल्यूशन से जुड़े उपकरण लिये हैं, या फिर दवाएं ली है. ये भी सर्वे में ही पता चला है कि दिल्ली-एनसीआर के 33 फीसदी लोग कफ सिरप ले रहे हैं, और बाकी लोग भी ऐसे ही पैरासिटामोल, इनहेलर या नेबुलाइजर और डॉक्टर की सलाह पर एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं - और हर दस में से चार परिवारों की यही कहानी है.

दिल्ली और एनसीआर में जैसे ही प्रदूषण का लेवल बढ़ता है, कभी पटाखे तो कभी पंजाब और हरियाणा में जलाई जाने वाली पराली पर ठीकर फोड़ दिया जाता है. हालात बिगड़ने पर दिल्ली में सरकार एंटी स्मॉग गन या दूसरे उपायों पर विचार करना शुरू करती है, या फिर ऑड-ईवन स्कीम लागू कर दी जाती है - लेकिन अब तक ऐसी कोई उम्मीद नहीं बंधी है, जिससे ये समझा जा सके कि दिल्ली एनसीआर को प्रदूषण से स्थाई तौर पर निजात मिल सकती है.

1. SC में पटाखा बैन पर बहस, जबकि समस्‍या कहीं और...

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दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से जुड़े केस की सुप्रीम कोर्ट में 14 नवंबर को सुनवाई होनी है.पिछली सुनवाई के दौरान पटाखों पर पाबंदी में हीलाहवाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि पटाखों पर प्रतिबंध ठीक से लागू नहीं किया गया जिससे राष्ट्रीय राजधानी की एयर क्वालिटी खराब हो गई.

आम आदमी पार्टी की सरकार और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को एक हफ्ते की मोहलत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि हलफनामा दाखिल कर बताया जाये कि पाबंदी लागू करने के लिए इस साल क्या कदम उठाये गये - और हां, अगले साल प्रतिबंध का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए क्या क्या कदम प्रस्तावित होंगे.

1. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिवाली की अगली सुबह यानी 2 नवंबर को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर के रूप में दिल्ली का नाम सामने आया था. दिल्ली के कई हिस्सों में एयर क्वालिटी गंभीर स्तर को भी पार कर गई थी, क्योंकि पार्टिकुलेट मैटर काफी बढ़ गया था. ऐसी स्थिति सांस लेने के लिए भी खतरनाक होती है.

2. दिल्ली के प्रदूषण की तमाम वजहें मानी जाती हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 30 फीसदी औद्योगिक प्रदूषण होता है, उसके बाद 28 फीसदी व्हिकल पॉल्यूशन, 17 फीसदी डस्ट पॉल्यूशन और 21 फीसदी मिले-जुले कारण होते हैं - और आपको ये जानकर ताज्जुब होगा कि दूसरे राज्यों में पराली जलाये जाने के कारण बहुत मामूली प्रदूषण होता है.

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3. गर्मियों में वातावरण में नमी कम होने के कारण हवा हल्की होती है जिससे पॉल्यूटेंट हवा के साथ बह जाते हैं. दिवाली के आस पास सर्दियों के चलते नमी की वजह से हवा और भारी हो जाती है जिससे पॉल्यूटेंट जम जाते हैं, और हवा भारी हो जाती है.

4. दिल्ली के प्रदूषण का स्तर ज्यादा ऊपर-नीचे नहीं होता, बल्कि मौजूदा फैक्टर की वजह से रोजाना बराबर प्रदूषण ही पैदा होता है. लेकिन, AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स कभी कम कभी ज्यादा होता रहता है, जिसके दो कारण माने जाते हैं. एक, हवा में नमी और दूसरा हवा की दिशा.

2. AQI के आंकड़े धोखा हैं

सोशल मीडिया पर जब तब ऐसे वीडियो शेयर किये जाते रहे हैं, जो AQI के आंकड़ों का मजाक उड़ा रहे होते हैं. ऐसे वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि भले न की जा सके, लेकिन देखकर संदेह का कोई कारण नहीं लगता. ये वीडियो कोई मीम नहीं होते.

सोशल साइट X पर एक वीडियो शेयर किया गया था, जिसमें देखने को मिलता है कि जहां AQI मापने की मशीन लगी है, उसके पास ही एंटी स्मॉग मशीन भी लगा दी गई है. वैसे ये वीडियो पिछले साल शेयर किया गया था - और बिलकुल ऐसा ही मामला दिल्ली में भी एक जगह देखने को मिला था. वो भी वीडियो भी वायरल हुआ था.

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असल में, ये प्रदूषण का लेवल कम दर्ज कराने का बेहतरीन देसी जुगाड़ है. वीडियो में आप देख सकते हैं, कैसे जिस जगह एयर क्वालिटी मापने की मशीन लगी है, उसके पास ही एंटी स्मॉग मशीन भी लगा दी गई है. जब एंटी स्मॉग मशीन पानी का छिड़काव करती रहेगी तो पॉल्यूशन लेवल स्वाभाविक रूप से कम हो जाएगा - और मशीन तो वही दर्ज करेगी जो एयर क्वालिटी उसके इर्द-गिर्द चेक करने को मिलेगी.

ये देखकर तो एक्यूआई के आंकड़ों पर भरोसा करना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे भी समझ सकते हैं कि अभी एक्यूआई के जरिये जो जानकारी दी जा रही है, जमीनी हालात बिलकुल अलग हैं. दिवाली की रात दिल्ली में कई जगहों पर पीएम 2.5 का स्तर 900 तक पहुंच गया था, जबकि 13 नवंबर को दिल्ली का 24 घंटे का औसत AQI सुबह 8 बजे तक 361 दर्ज किया गया - लेकिन, हवा अगर तब भी दमघोंटू बनी हुई है, तो साफ है एक्यूआई के आंकड़े सही नहीं दर्ज किये गये हैं.

3. पराली कादोष कम, सजा ज्यादा

पटाखे अपनी जगह तो हैं ही, दिवाली के आस-पास प्रदूषण बढ़ाने में बड़े विलेन के रूप में पराली का ही नाम लिया जाता है - और सबसे ज्यादा हैरानी तो ये सुनकर होती है कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ाने में पराली का योगदान महज 4 फीसदी ही है. ये जरूर है कि अक्टूबर-नवंबर में कोई दिन ऐसा भी होता है कि ये 30 फीसदी तक भी पहुंच जाता है - क्योंकि खेतों में सबसे ज्यादा पराली जलाने का वक्त भी यही होता है.

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6 नवंबर को पर्यावरण मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी करके पराली जलाये जाने पर जुर्माने की राशि बढ़ा दी है. पराली जलाये जाने पर अब 5 हजार से 30 हजार तक जुर्माने के रूप में वसूला जा सकता है.

केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन जारी करने के बाद CAQM यानी कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी एंड मैनेजमेंट ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कह दिया है कि अगर अब पराली जलाने के मामले सामने आते हैं, तो उन पर नये नोटिफिकेशन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाये. कमीशन ने अपने आदेश में सभी नोडल और निगरानी अफसरों को अधिकृति किया है कि वे नई दरों के मुताबिक किसानों से पराली जलाने पर जुर्माना वसूलें.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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