प्रियंका गांधी को वायनाड में कैसी कैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है? | Opinion

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वायनाड में प्रियंका गांधी वाड्रा के कैंपेन में कांग्रेस समर्थक वैसी ही झलक देख रहे हैं, जो अक्स कांग्रेस महासचिव के चेहरे में देखा जाता रहा है. प्रियंका गांधी का कैंपेन भी उनकी दादी इंदिरा गांधी की लाइन पर चला है, जब वो चिकमंगलूर से चुनाव मैदान में थीं.

लोगों की भीड़ उमड़ ही रही है, और प्रियंका गांधी लोगों के बीच पहुंचते ही तत्काल प्रभाव से कनेक्ट होने की कोशिश करती हैं. देर से पहुंचने पर माफी भी मांगती हैं, और ऐन उसी वक्त ये बताना भी नहीं भूलतीं कि देर क्यों हुई? लगे हाथ बता भी देती हैं कि रास्ते में इंतजार कर रहे लोगों के चलते ही देर हुई. अपनी तरफ से ये तो बता ही देती हैं, लोगों को छोड़ कर तो आ नहीं सकती.

माफी और देर की वजह बताने के साथ ही राहुल गांधी का जिक्र करना नहीं भूलतीं, और तकरीबन हर रैली में ऐसा करने की कोशिश होती ही है. बड़े ही उदार और उद्दात भाव से आभार प्रकट करते हुए लोगों से कहती हैं, आप मेरे भाई के साथ उस वक्त खड़े रहे जब वो अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे थे. वास्तव में, 2019 का आम चुनाव तो ऐसा ही था. राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गये थे. प्रियंका गांधी ने ये भी याद दिलाया कि तब लोगों ने उनके भाई से मुंह फेर लिया था, और तब भी वायनाड के लोगों ने खुले दिल और दिमाग से साथ दिया.

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लेकिन ऐसी बातें तो प्रियंका गांधी की तरफ से हो रही हैं, उनके मुकाबले वायनाड के मैदान में उतरे उम्मीदवार सारी बातें खिलाफ ही समझा रहे हैं - और केरल के मुख्यमंत्री तो अलग ही तरीके से वोटर को समझाने की कोशिश करते हैं, इस्लामी राज के समर्थक जमात-ए-इस्लामी के लोग उनका सपोर्ट कर रहे हैं.

राहुल बोले, वायनाड में दो-दो सांसद!

जैसे प्रियंका गांधी भाई का नाम लेना नहीं भूलतीं, राहुल गांधी ने भी अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है. 13 नवंबर को वायनाड में वोटिंग होनी है, और राहुल गांधी रोड शो करके वैसी ही बातें बता रहे हैं, जैसी बहन भाई के लिए कर रही है.

2019 के लोकसभा चुनाव में नामांकन के वक्त प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी के पीछे मजबूती से खड़ी रहीं. भाई के लिए प्रियंका गांधी ने वायनाड के लोगों से इमोशनल अपील भी की, मैं जानती हूं मेरा भाई बहुत साहसी है, लेकिन मैं आप लोगों से उनका ध्यान रखने का आग्रह करती हूं.

तब प्रियंका गांधी पूर्वी उत्तर प्रदेश की कांग्रेस की चुनाव प्रभारी थीं, और तभी कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए सोशल मीडिया पर लिखा था, 'मेरे भाई, मेरे सबसे प्यारे दोस्त... और सबसे साहसी इंसान जिसे मैं जानती हूं... वायनाड आप इनका ख्याल रखें... वो आपको निराश नहीं करेंगे.' अमेठी में तो प्रियंका गांधी की किसी भी अपील का कोई असर नहीं हुआ, लेकिन वायनाड के लोगो ने भाई-बहन का मान जरूर रखा.

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और वैसे ही राखी के बंधन की तरह राहुल गांधी भी वायनाड के लोगों से कह रहे थे, मेरी बहन ने बीते सालों में मेरी मां... मेरे पिता और मेरे लिए चुनाव प्रचार किया है... ये पहली बार है जब वो खुद चुनाव लड़ रही हैं.

मतलब, बहन का भी वैसे ही ख्याल रखा जाये, जैसे वायनाड में भाई का दो-दो बार ख्याल रखा गया.

एक जनसभा में राहुल गांधी भी प्रियंका गांधी की तरह कहते हैं, वो आपकी किसी भी समस्या को किसी को अनदेखा नहीं करने देंगी.

और फिर हल्के-फुल्के अंदाज में लेकिन अपनी तरफ से गंभीर बात कहते हैं, वायनाड देश का इकलौता चुनाव क्षेत्र बनने जा रहा है, जहां के दो सांसद होंगे. एक आधिकारिक सांसद होगा.

राहुल गांधी ये समझाने की कोशिश करते हैं कि वो वायनाड छोड़कर कहीं गये नहीं हैं. उनका भाषण सुनकर भीड़ देर तक ताली बजाती रहती है - लेकिन, प्रियंका गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों का पूरा फोकस इस दावे को खारिज करने पर ही है.

विरोधी समझा रहे हैं, प्रियंका भी राहुल जैसी ही हैं

वायनाड से सीपीआई उम्मीदवार सत्यन मोकेरी और बीजेपी प्रत्याशी नव्या हरिदास के पास भाई-बहन दोनों को घेरने के लिए बहुत मसाला है, लेकिन जोर देकर दोनो यही समझाने की कोशिश करते हैं कि प्रियंका गांधी भी राहुल गांधी की तरह वायनाड के साथ यूज-एंड-थ्रो वाला ही व्यवहार करेंगी.

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नव्या हरिदास की लगातार यही समझाने की कोशिश होती है कि राहुल गांधी ने वायनाड के लोगों को धोखा दिया है. और चाहते हैं कि लोग भी उनकी बात आंख मूंद कर मान लें. सीपीआई के सत्यन मोकेरी का भी दावा है, प्रियंका गांधी भी वहीं करेंगी जो उनके भाई राहुल गांधी ने किया... प्रियंका गांधी भी वायनाड सीट को खाली कर देंगी.

वैसे ये समझाना थोड़ा मुश्किल काम है. राहुल गांधी तो रायबरेली और वायनाड में से एक ही अपने पास रख सकते थे, लेकिन हाल फिलहाल प्रियंका गांधी तो ऐसा करने से रहीं. ऐसा करने से तो बेहतर होता वो चुनाव ही नहीं लड़तीं.

भाई-बहन के खिलाफ ऐसी बातें समझाने का मौका विरोधियों को इसलिए मिला है, क्योंकि वायनाड में वोटिंग होने तक कांग्रेस राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने की बात छुपाई थी - अगर लोगों को वो बर्ताव बुरा लगा हो तो बात अलग है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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