कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का रिश्ता INDIA ब्लॉक में वैसा ही बचा है, जैसा कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का - वरना, दिल्ली में राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल एक दूसरे के खिलाफ वैसे ही राजनीतिक कदम आगे बढ़ा रहे हैं, जैसे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी कांग्रेस के खिलाफ खड़ी देखने को मिलती हैं.
ये तो साफ है कि आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल कांग्रेस और बीजेपी दोनो के निशाने पर हैं, देखना बस ये है कि दोनो में से आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनावों में ज्यादा आक्रामक कौन रहता है.
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तर्ज पर विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस दिल्ली में न्याय यात्रा शुरू कर रही है. अगर कांग्रेस मानती है कि राहुल गांधी की न्याय यात्रा का पार्टी को लोकसभा चुनावों में फायदा मिला है, तो जाहिर है दिल्ली में भी न्याय यात्रा से उसे वैसी ही उम्मीद होगी.
अभी तक जो संकेत मिले हैं, उससे मालूम होता है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वायनाड लोकसभा सीट से उम्मीदवार कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी दिल्ली न्याय यात्रा में शामिल हो सकते हैं.
दिल्ली न्याय यात्रा राजघाट से
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव के मुताबिक, दिल्ली न्याय यात्रा महीने भर चलेगी और दिल्ली की सभी 70 विधानसभाओं से होकर गुरजने वाली है. बताते हैं कि यात्रा का नेतृत्व देवेंद्र यादव ही करेंगे और कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी की न्याय यात्रा की तरह ही दिल्ली के लोगों से बातचीत करके उनकी समस्याएं जानने की कोशिश करेंगे - और इस दौरान कांग्रेस की तरफ से बीते 10 साल के आम आदमी पार्टी के शासन की खामियां सिलसिलेवार गिनाई जाएंगी.
कांग्रेस की दिल्ली न्याय यात्रा महीने भर चलेगी, और बताते हैं कि इस दौरान करीब 360 किलोमीटर की दूरी नापी जाएगी. न्याय यात्रा में सभी 70 विधानसभाओं के लोगों से संवाद करने की कोशिश होगी. 8 नवंबर को राजघाट से शुरू होने वाली न्याय यात्रा 4 दिसंबर को तिमारपुर में खत्म होगी.
न्याय यात्रा 4 फेज में होगी. हर फेज 6 दिनों का होगा, जिसके बाद एक दिन छुट्टी रखी जाएगी. पहले फेज में चांदनी चौक सहित 16 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया जाएगा. दूसरा फेज 15 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर तक चलेगा जिसमें 18 सीटों को कवर किया जाएगा. 22-27 नवंबर तक तीसरे फेज में भी 16 विधानसभा सीटें - और 29 नवंबर से 4 दिसंबर तक चौथे फेज में 20 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया जाएगा.
कार्यक्रम ऐसे तैयार किया गया है कि हर रोज 20-25 किलोमीटर की दूरी तय करने का लक्ष्य रखा गया है. न्याय यात्रा सुबह आठ बजे शुरू होगी और लंच के साथ-साथ चाय पीने के लिए ब्रेक होगा. आखिर में एक सभा होगी, और कैंप में 250-300 न्याय यात्री रात्रि विश्राम करेंगे.
यात्रा करीब एक महीने तक चलेगी, जो कि 4 चरणों में आयोजित की जाएगी. पहले चरण में चांदनी चौक, मटिया महल, बल्लीमारान, सदर बाजार, मॉडल टाउन, शालीमार बाग, आदर्श नगर, त्रिनगर, वजीरपुर, बुराड़ी, तिमारपुर और बादली जैसे विधानसभा इलाकों में यात्रा जाएगी.
दिल्ली न्याय यात्रा का मकसद
न्याय यात्रा शुरू में पुरानी दिल्ली के तुर्कमान गेट और बल्लीमारान जैसे इलाकों से गुजरने वाली है, जिससे साफ है कि कांग्रेस की नजर मुस्लिम बहुल इलाकों पर है. ये वे इलाके हैं जहां आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का प्रभाव लगभग खत्म कर दिया है.
दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव का कहना है, न्याय यात्रा के जरिये हम दिल्ली के लोगों की समस्याओं को सामने लाएंगे... और सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास करेंगे.
कांग्रेस की न्याय यात्रा का मकसद ऐसे भी साफ तौर पर समझा जा सकता है, क्योंकि ऐसा करके वो आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों के सामने शक्ति प्रदर्शन कर अपनी मजबूती दिखाने की कोशिश कर रही है. दिल्ली में जिस तरह से कांग्रेस लोगों से कट गई है, फिर से कनेक्ट होने में न्याय यात्रा कुछ न कुछ तो मददगार साबित हो ही सकती है.
बीजेपी की ही तरह दिल्ली कांग्रेस आम आदमी पार्टी के खिलाफ भी आक्रामक रुख अपनाये हुए है. देवेंद्र यादव कहते हैं, अरविंद केजरीवाल ने लोगों को इतने सपने दिखाए कि लोगों ने 2015 में 67 और 2020 में 62 सीटें दिलाकर प्रचंड बहुमत दिया... लेकिन 11 वर्षों में न लोकपाल लागू किया, न ही किये गये वादे ही पूरे किये... सिर्फ भ्रष्टाचार, कुशासन, लोकतांत्रिक मर्यादाओं का हनन और पूर्ण बहुमत होने के बावजूद केजरीवाल ने जनता के लिए कुछ करने के बजाय जनता को हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया है.
दिल्ली न्याय यात्रा का असर
न्याय यात्रा कांग्रेस की सत्ता में वापसी तो नहीं करा सकती, लेकिन ये तो हो ही सकता है कि लोकसभा की तरह खड़े होकर लड़ने की स्थिति में ला दे. न्याय यात्रा की बदौलत दिल्ली विधानसभा में अगर कांग्रेस का खाता भी खुल जाता है तो ये कम बड़ी बात नहीं होगी. 2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका है - हां, 2013 में कांग्रेस की मदद से ही अरविंद केजरीवाल ने पहली सरकार बनाई थी.
रही बात बीजेपी की, तो पता चला है कि एक अंदरूनी सर्वे में सामने आया है कि विधानसभा चुनाव में 43.4 फीसदी वोट मिलने की संभावना बन रही है - बीजेपी ने इसे 46 फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है - लेकिन, बीजेपी महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के बाद ही दिल्ली पर फोकस करेगी.
बीजेपी की मुश्किल ये है कि लोकसभा चुनाव में तो वो दिल्ली की सभी सात सीटें जीत लेती है, और ऐसा लगातार तीन बार से हो रहा है. लेकिन विधानसभा चुनाव में पूरी तरह चूक जाती है. अब तो एमसीडी भी हाथ से निकल चुका है. अच्छी बात ये है कि संघ के प्रचारक हरियाणा की ही तरह दिल्ली के मैदान में भी कूद पड़े हैं, और हर बूथ पर कम से कम पांच लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं.
ऐसे में अगर बीजेपी अपना प्रदर्शन बेहतर कर लेती है, और कांग्रेस की वजह से थोड़ा भी आम आदमी पार्टी को नुकसान होता है, तो उसे सीधा फायदा मिलेगा - कम से कम उन सीटों पर तो पक्का फायदा होगा जहां हार-जीत का मार्जिन बहुत कम होगा.
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