संस्‍थाओं की दुहाई देने वाले विपक्ष ने EVM के जरिये चुनाव आयोग को कहीं का नहीं छोड़ा |Opinion

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चुनाव आयोग ने मंगलवार को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया. चुनाव की तारीखों की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित है. कुमार ने कहा कि आज कल सवाल आ रहे हैं कि जब पेजर उड़ा सकते हैं तो ईवीएम हैक कैसे नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि पेजर कनेक्टेड होता है,ईवीएम नहीं. हम ईवीएम से जुड़े हर सवाल का जबाव देने को तैयार हैं. और हम पहले भी जवाब देते रहे हैं. लेकिन, हमें पता है कि यह सिलसिला आगे भी थमेगा नहीं.

दरअसल ईवीएम को लेकर विपक्ष शुरू से चुनाव आयोग को टारगेट करता रहा है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो लोकसभा चुनावों में बंपर सफलता मिलने के बाद भी ईवीएम पर भरोसा करने से इनकार कर दिया था.उन्होंने कहा था कि अगर उनकी सरकार भी बन जाती है तो भी वो ईवीएम पर भरोसा नहीं कर सकते.जाहिर है कि हरियाणा चुनाव हारने के बाद तो विपक्ष ने ईवीएम को लेकर एक बार फिर रोना शुरू कर दिया था.

हरियाणा चुनाव में मतगणना के दौरान ही ईवीएम को लेकर सवाल खड़े किए जाने लगे थे. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा था कि हमने 20 सीटों की लिस्ट भेजी है, जिन पर उम्मीदवारों ने ईवीएम से वोटों की गिनती को लेकर लिखित और मौखिक शिकायत दी थी. पवन खेड़ा ने कहा कि, जो ईवीएम 99 प्रतिशत चार्ज थीं, उन पर कांग्रेस पार्टी की हार हुई और जो ईवीएम 60-70 प्रतिशत चार्ज थीं, वहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की. ये हैरानी की बात है. इसी क्रम में कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने मांग की थी कि महाराष्ट्र में विपक्ष को बैलेट पेपर से मतदान के लिए दबाव बनाना चाहिए न कि ईवीएम से. वरना महाराष्ट्र में भाजपा सरकार और चुनाव आयोग कुछ भी कर सकते हैं. अगर इजरायल पेजर और वॉकी टॉकी का इस्तेमाल कर लोगों को मार सकते हैं तो फिर ईवीएम क्या चीज है? प्रधानमंत्री के इजरायल के साथ अच्छे संबंध हैं और इजरायल इस तकनीक में एक्सपर्ट है. ईवीएम का बड़ा खेल कहीं भी हो सकता है और उसके लिए भाजपा चुनाव से पहले ये सब खेल कर लेती है.

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मुख्य चुनाव आयुक्त ने इसके जवाब में मंगलवार को कहा कि हमारे पास ईवीएम को लेकर जितनी भी शिकायतें आई हैं, हम उन सभी को जवाब देंगे और उन्हें पब्लिश भी करेंगे. उन्होंने दावा किया कि ईवीएम का पूरा सिस्टम सुरक्षित होता है. हर एक स्टेप पर राजनीतिक दलों के एजेंट मौजूद होते हैं. जब ईवीएम में बैटरी डाली जाती है तो उस पर भी एजेंट के सिग्नेचर होते हैं. वोटिंग से 5-6 दिन पहले ही सिंबल पड़ते हैं. और मशीन के साथ-साथ बैटरी पर भी एजेंट के सिग्नेचर होते हैं और उसे सील कर दिया जाता है. कुमार ने कहा कि जनता ने मतदान में शामिल होकर जवाब दे दिया है. जहां तक ईवीएम की बात है तो वे 100 फीसदी सुरक्षित हैं. अगर वे फिर से सवाल उठाएंगे तो हम उन्हें फिर जवाब देंगे.

वीवीपैट को लेकर उठे थे सवाल

कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन के अवसर पर मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई सभा में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि राजा की आत्मा EVM, CBI, ED, इनकम टैक्स में है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा. पर सुप्रीम कोर्ट ने भी ईवीएम की वैधता पर मुहर लगा चुकी है. ईवीएम से ज्यादा शिकायत VVPATपर था.सुप्रीम कोर्टने साफ कर दिया थाकि देश में बैलेट पेपर से वोटिंग का दौर वापस नहीं आएगा. इसके साथ ही VVPAT से 100 फीसदी पर्ची मिलान भी नहीं होगा.

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सुप्रीम कोर्ट ने मतदाताओं ओर राजनीतिक दलों में विश्वास जगाने के लिए व्यवस्था दी किईवीएम 45 दिनों तक सुरक्षित रहेगी और अगर नतीजों के बाद 7 दिनों के भीतर शिकायत की जाती है तो जांच कराई जाएगी.मतलब कि अगर प्रत्याशियों को लगता है कि कुछ गड़बड़ हुआ है तो ईवीएम की जांच की जा सकेगी. मंगलवार को चुनाव आयुक्त ने यही बताया कि ईवीएम को लेकर जितनी शिकायतें आईं थी उन्हें सुप्रीम कोर्ट के दिशानुसार जांच की जाएगी.और वो एक एक शिकायत का जवाब देंगे.

कोई राजनीतिक दल ईवीएम का विरोध मन से नहीं करता

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को ईवीएम के फॉल्ट पर बातचीत के लिए एक बार बुलाया था. पर विपक्ष का कोई भी दल चुनाव आयोग की मीटिंग में नहीं पहुंचा. यहां तक आम आदमी पार्टी के नेता गण जो कई बार पीसी करके ईवीएम के फॉल्ट होने का डिस्प्ले भी कर चुके हैं , भी इस मीटिंग में पहुंचने की जहमत नहीं उठाई.चुनाव आयोग ने यह दिखाने के लिए सत्र आयोजित किए हैं कि मशीनें सभी परिस्थितियों में अच्छी तरह काम करती हैं. उन्नत तकनीक से उन्हें हैक किया जा सकता है, यह आरोप सिद्ध नहीं हो सका.कई लाख मशीनों में से कुछ मशीनों का खराब होना सिस्टम में किसी समस्या का संकेत नहीं माना जा सकता. इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि ईवीएम के आने के बाद विपक्षी दलों ने कई चुनाव जीते हैं. कई शिकायतें पार्टियों द्वारा तब की गई हैं, जब वे चुनाव हार गए थे या चुनाव हारने की आशंका थी.

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ईवीएम में अगर वास्तव में छेड़छाड़ की जा सकती है तो निश्चित रूप से उसका विरोध उस लेवल का नहीं हो रहा है जिस तरह का होना चाहिए. ईवीएम के विरोध में आजतक देश की एक भी पार्टी ने ऐसा विरोध नहीं किया है जो उल्लेखनीय हो. सभी का विरोध इस तरह का ही होता है जैसे चुनाव में मिली हार की झेंप मिटा रहे हों. अगर आज भी इंडिया गठबंधन बिना ईवीएम के चुनाव न होने पर विरोध का फैसला करता है तो जाहिर है कि एक दिन सरकार को झुकना ही पड़ जाएगा. विपक्ष जिस तरह ईवीएम का विरोध करता रहा है, जनता भी इस बात को समझने लगी है.यही कारण है कि विपक्ष ने भी ईवीएम पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बहुत संतुलित कमेंट किया है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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