अखिलेश यादव को महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए क्या मिल्कीपुर उपचुनाव ने मजबूर किया?

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अखिलेश यादव का स्टैंड प्रयागराज महाकुंभ को लेकर भी अयोध्या के राम मंदिर उद्घाटन समारोह जैसा ही नजर आ रहा था, लेकिन अब ऐसा नहीं समझा जाना चाहिये.

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महाकुंभ पहुंचकर डुबकी लगाने के साथ ही, अखिलेश यादव ने अपने उन सभी आलोचकों को जवाब दे दिया है जो उनके बयानों को लेकर घेरते आ रहे थे. और, अखिलेश यादव ने एक पखवाड़े के भीतर ऐसा दूसरी बार किया है.

26 जनवरी को महाकुंभ में जाने से पहले मकर संक्रांति के मौके पर अखिलेश यादव ने हरिद्वार जाकर गंगा में भी डुबकी लगाई थी. हालांकि, हरिद्वार दौरे को बेहद निजी बताया गया था. वो अपने चाचा की अस्थियां विसर्जित करने गये हुए थे.

राम मंदिर का न्योता स्वीकार करने के बाद अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर बताया था कि वो अलग से अयोध्या जाकर रामलला का दर्शन भी करेंगे. लेकिन, आज तक उनके अयोध्या दौरे की कोई खबर तो आई नहीं - हरिद्वार की ही तरह महाकुंभ की तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं, उनकी फिटनेस की काफी चर्चा है.

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अखिलेश यादव ये सब ऐसे वक्त कर रहे हैं जब मिल्कीपुर में उपचुनाव होना है - मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर अखिलेश यादव और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी ताकत झोंक दी है.

सवाल ये भी है कि क्या अखिलेश यादव ये सब निजी आस्था के चलते कर रहे हैं, या फिर मिल्कीपुर उपचुनाव भी एक बड़ी वजह है?

लगातार डुबकी क्यों लगाने लगे अखिलेश यादव

अखिलेश यादव को संदेह का थोड़ा लाभ तो देना ही चाहिये. हरिद्वार जाकर गंगा में डुबकी लगाने के बाद जो निजी वजह बताई गई थी, महाकुंभ को लेकर वैसा कुछ सामने नहीं आया है. हरिद्वार वो अपने चाचा की अस्थियां विसर्जित करने गये हुए थे.

प्रयागराज महाकुंभ पहुंचकर अखिलेश यादव ने संगम में 11 डुबकी लगाई है. आजतक के सवाल पर समाजवादी पार्टी के नेता का कहना था, एक बहुत प्रतिष्ठित, सम्मानित साधु-संत से मुझे जानकारी मिली थी कि 11 डुबकी सबसे अच्छी मानी जाती है… 11 डुबकियों का पुण्य होता है… मुझे 11 डुबकी लगाने का आज शुभ अवसर मिला.

महाकुंभ को लेकर भी अखिलेश यादव सोशल मीडिया पर बार बार लगातार सवाल खड़े कर रहे थे. कभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के न्योता देने को लेकर, तो कभी इंतजामों को लेकर. ये पूछे जाने पर अखिलेश यादव कहते हैं, विपक्ष की जिम्मेदारी ये है कि जहां कमी है, वो सरकार तक पहुंचे… जिस समय वो जानकारी दी गई, उसके बाद काम बहुत तेजी से हुआ… ये काम पहले भी हो सकता था… इतने बड़े महाकुंभ में कमियां गिनाने को तो बहुत गिनाई जा सकती हैं, लेकिन यहां कोई कमी देखने नहीं आता. यहां न जाने कितने वर्षों से लोग आ रहे हैं. कई सदियों से आ रहे हैं, ये पौराणिक परंपरा है.

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न्योतेको लेकर अब भी वो अपनी बात पर कायम हैं. कहते हैं, किसी को बुलाने से या न्योता देने से नहीं, बल्कि यहां लोग अपनी आस्था से आते हैं… आस्था से डुबकी लगाते हैं… स्नान करते हैं… पुण्य के लिए आते हैं, दान करके जाते हैं.

महाकुंभ और अयोध्या के स्टैंड में फर्क क्यों?

महाकुंभ की तरह ही अखिलेश यादव ने राम मंदिर उद्घाटन समारोह के न्योते पर सवाल उठाये थे. पहले कहा था कि न्योता मिलेगा तो जाएंगे, फिर बोले जिसको जानते नहीं उससे न्योता क्यों लेते, लेकिन बाद में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को पत्र भेज कर कंफर्म किया था कि न्योता मिल गया है, और वो अयोध्या जाएंगे भी.

तब अखिलेश यादव ने लिखा था, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से स्नेह निमंत्रण के लिए धन्यवाद… हम प्राण प्रतिष्ठा के समारोह के पश्चात सपरिवार दर्शनार्थी बनकर अवश्य आएंगे. अब तक तो वो घड़ी आई नहीं - लेकिन अगर महाकुंभ दौरा मिल्कीपुर से जुड़ा है तो 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव तक अखिलेश यादव के अयोध्या दर्शन का भी इंतजार करना चाहिये.

1. संगम में डुबकी लगाने से पहले तक महाकुंभ पर भी अखिलेश यादव का स्टैंड राम मंदिर जैसा ही नजर आ रहा था, लेकिन मिल्कीपुर में वोटिंग की तारीख नजदीक आते ही वो प्रयागराज पहुंच जाते हैं - समाजवादी पार्टी की राजनीतिक लाइन में अभी तो कतई जरूरत नहीं लग रही थी, लेकिन लगता है बीजेपी की अयोध्या की हार को वो मिल्कीपुर में भी दोहराना चाहते हैं.

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2. जिस दिन महाकुंभ शुरू हुआ, उसी दिन अखिलेश यादव ने हरिद्वार में डुबकी लगाई थी. जाहिर है, मैसेज देने के लिए तो उतना ही काफी था. बस इतना ही तो साबित करना था कि हिंदुत्व की लाइन से समाजवादी पार्टी को अब उतना परहेज नहीं रहा. अव्वल तो ये चीज मुलायम सिंह यादव के कारसेवकों पर गोली चलवाने जैसी बातों की बार बार याद दिलाने से बहुत ही अलग है, लेकिन बदले माहौल का कुछ तो असर पड़ता ही है.

3. लगता है, कुंदरकी में समाजवादी पार्टी की हार ने अखिलेश यादव को अंदर तक झकझोर दिया है - और मिल्कीपुर उपचुनाव आने तक वो अपने प्रति धारणा बदलने की कोशिश कर रहे हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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