कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले एक साल से पूरे देश में जाति सर्वेक्षण की जोरदार मांग करते रहे हैं. दिल्ली चुनावों में जहां ओबीसी वोट कोई खास महत्व नहीं रखताहैवहां भी राहुल गांधी जाति जनगणना कराने की बात करने से नहीं चूकते हैं. राहुल गांधी की इस मुद्दे को लेकर समर्पण ही है कि आज ब्राह्मणों और दलित-मुसलमानों की पार्टी मानी जाने वाली कांग्रेस पिछड़ों की पार्टी के रूप में अपनी पहचान बना रही है. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी जैसी ओबीसी वोटर्स की पार्टी को भी कांग्रेस से खतरा दिखता है. यूपी में समाजवादी पार्टी ही नहीं इंडिया गुट की अन्य सभी पार्टियां कांग्रेस को मजबूत होते नहीं देखना चाहती हैं. जाहिर है कि यह सब देखकर लगता है कि कांग्रेस पहले से मजबूत हो रही है. विशेषकर दलित और मुस्लिम वोटर्स पार्टी के प्रति फिर से वफादार हो रहे हैं. पर इन सबके बावजूद राहुल गांधी जिस तरह जाति जनगणना की बातें करते हैं वो केवल सैद्धान्तिक ही लगताहै. क्योंकि राहुल जो कहते हैं उन्हें वो अपनी पार्टी और कांग्रेस सरकारों से लागू नहीं करवा पाते हैं.
कर्नाटक में फिरपेश नहीं की गईजाति सर्वे की रिपोर्ट
कांग्रेस शासित कर्नाटक में, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक दशक पहले अपने पहले कार्यकाल में एक जाति सर्वेक्षण का आदेश दिया था, लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक न करने का फैसला किया है. जबकि राहुल गांधी पूरे देश के एक्स-रे के रूप में जाति जनगणना की वकालत कर रहे हैं. पर उनकी पार्टी कर्नाटक की एक्स-रे रिपोर्ट जारी करने से पीछे हट गई है. अब कर्नाटक सरकार के इस फैसले से 2 सवाल उठते हैं. पहला क्या राहुल गांधी की अपनी पार्टी में नहीं चलती है? और दूसरा क्या राहुल गांधी खुद नहीं चाहते हैं कि कर्नाटक में जाति सर्वे की रिपोर्ट जनता के सामने आए.
इंडिया टुडे टीवी के नागार्जुन द्वारकानाथ को सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और कुछ उच्च जाति के मंत्रियों ने कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व पर गुरुवार 16 जनवरी को कैबिनेट बैठक में जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने को रोकने के लिए दबाव डाला .इस सर्वे के लिए राज्य के खजाने को 160 करोड़ रुपये की चपत लगी थी. इस रिपोर्ट कोकैबिनेट बैठक में प्रस्तुत किए जाना था.पर पार्टी के दबाव के चलते इसेस्थगित कर दिया गया.अंतिम समय में यू-टर्न ने कांग्रेस के भीतर इस मुद्दे पर सहमति की कमी और राहुल गांधी की पोजिशनको भी उजागर किया है.
बिहार में जाति सर्वे पर पहले कुछ और कहा, अब कुछ और कह रहे हैं
अभी 2 दिन पहले राहुल गांधी ने बिहार में कराये गये जातिगत गणना को फर्जी करार देते हुए कहा है कि वहां के लोगों को बेवकूफ बनाया गया है. राहुल गांधी ने ये भी दोहराया कि कांग्रेस किसी भी कीमत पर जातिगत जनगणना कराकर ही दम लेगी. राहुल गांधी पटना के बापू सभागार में ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन' में बोल रहे थे. राहुल गांधी ने कहा कि दलितों, अल्पसंख्यकों और सामाजिक रूप से हाशिये पर रहे लोगों की आबादी, देश की कुल जनसंख्या का नब्बे फीसदी है… लेकिन वे लोग व्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं… यही कारण है कि हम जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं.
गौरतलब है कि राहुल गांधी और कांग्रेस के अभिन्न सहयोगी आरजेडी नेतालालू पुत्र तेजस्वी यादव बिहार में हुई जाति सर्वे का श्रेय लेते रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनावों और 2024 के आम चुनावों में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव दोनों का जातीय जनगणना पर जोर देखने को मिला था. तेजस्वी यादव का कहना था, 'हमने विकास के साथ-साथ जाति आधारित गणना कराई… और आरक्षण की सीमा भी बढ़ाई… हमने जो कहा, वो किया.
पहले राहुल गांधी भी बिहार में हुई जाति जनगणना का श्रेय लेते रहे हैं. ठीक एक साल पहले बिहार पहुंचे राहुल गांधी ने कहा था, 'मैंने नीतीश कुमार से साफ कह दिया... देखिये आपको जाति जनगणना बिहार में करनी पड़ेगी... हम आपको छूट नहीं देंगे.'तब राहुल गांधी ने ये भी समझाया था कि कैसे कांग्रेस और आरजेडी ने दबाव डाल कर नीतीश कुमार से जातीय जनगणना का काम करवाया था. सवाल ये है कि बिहार की जातिगत गणना को फर्जी बताकर राहुल गांधी नये सिरे से क्या समझाने की कोशिश कर रहे हैं? क्या वो नीतीश कुमार के साथ साथ अब तेजस्वी यादव को भी जातिगत गणना का श्रेय लेने से रोकना चाहते हैं? क्या इस तरह की अस्थिर बातों से आम लोगों का राहुल गांधी पर भरोसा जमेगा?
कर्नाटक और हिमाचल में नहीं लागू हुआ जिसकी जितनी आबादी -उसकी उतनी हिस्सेदारी
जिस तरह राहुल गांधी आए दिन जनता को याद दिलाते रहते हैं कि देश में उच्च निर्णायक समितियों,संस्थाओं और सरकारों में जो फैसले लिए जाते हैं उसमें देश की बहुसंख्यक 90 प्रतिशत आबादी की कोई भूमिका नहीं होती है. केंद्रीय बजट पेश होने के पहले राहुल गांधी ने यही सवाल उठाया था कि बजट बनाने वालों में कितने पिछड़े और दलित समुदाय के लोग शामिल हैं? इस तरह का सवाल राहुल गांधी आजकल अक्सर पूछते रहते हैं. यही नहीं वो संपत्ति के समान बंटवारे और जिसकी जितनी आबादी -उसकी उतनी हिस्सेदारी की भी बात करते हैं. पर आश्चर्यजनक बात यह है कि ये बातें वो केवल बीजेपी शासित राज्यों के लिए ही वो शायद चाहते हैं . क्योंकि कांग्रेस शासित राज्यों कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में अभी तक कोई ऐसा कानून नहीं बना जिसके आधार पर जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी सुनिश्चित किया जा सके. इतना ही नहीं लोकसभा चुनावों और राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ , कर्नाटक ,हिमाचल टिकट बंटवारे में भी जातियों की संख्या के आधार पर टिकट नहीं बांटे गए.
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