अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बन चुके जो बाइडन ने लोकतंत्र के इतिहास में अपने रिश्तेदारों और मित्रों के अपराधों को माफ करने वाले माफीवीर नेता के रूप में अपनी जगह सुरक्षित करा लिया है. दुनिया भर के इतिहास में किसी भी लोकतांत्रिक देश में जनता से चुनकर आया हुआ किसीनेता नेकभीअपने देश के कानून की धज्जियां इस तरह नहीं उड़ाई होंगी. खुद बाइडेन के पुत्र पर जब गंभीर आरोप लगे तो उन्होंने यही कहा था कि अगर उनके पुत्र हंटर बाइडेन को कोर्ट सजा सुनाती है तो वो कभी अपने पुत्र को माफ नहीं करेंगे. पर अपने कार्यकाल के अंतिम समय में जब वो चुनाव हार चुके थे और उनका पद छोड़ना तय हो चुका था तब उन्होंने कुछ ऐसे कदम उठाएं हैं जिसके लिए उन्हें अमेरिकी इतिहास में धृतराष्ट्र के रूप में याद किया जाएगा. अमेरिका के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण से आधे घंटे पहले उन्होंने अपने सारे रिश्तेदारों को पिछले 11 सालों में किए गए अपराधों के लिए दोषमुक्त करार देकर अमेरिकी लोकतंत्र का काला अध्याय लिखा है. जिस तरह से अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी को लेफ्ट-लिबरलों का सॉफ्ट कॉर्नर हासिल होता है, बाइडेन के इस फैसले ने उन्हें मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा.
1-माफीवीर राष्ट्रपति के रूप में बाइडेन
बाइडेन ने चुनाव हारने के बाद सबसे पहले अपने पुत्र हंटर बाइडेन को 25 साल की सजा मिलने के पहले ही उनके गुनाहों को माफ करने का काम किया. अमेरिकी मीडिया में चौतरफा इसकी आलोचना हुई पर बाइडेन पर कोई असर नहीं हुआ. धृतराष्ट्र की तरह उन्होंने अपनी दोनों आंखें बंद करके अपने रिश्तेदारों को भी बचाने की प्रक्रिया जारी रखी. अपने कार्यकाल के अंतिम क्षणों में अपने पूरे को परिवार को क्षमादान देने का उन्होंनेआदेश पारित कर दिया है. इस आदेश के तहत अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति के परिवार के 5 सदस्यों की ओर से पिछले 11 साल में किए गए किसी भी गैर हिंसक अपराध की ना ही उन्हें सजा मिलेगी और ना ही उनकी जांच होगी.
जो बाइडन ने आदेश जारी किया कि उनके भाई जेम्स बाइडन, फ्रांसिस बाइडन, उनकी बहन वेलेरी बाइडन ओवेन्स, उनके भाई की पत्नी सारा बाइडन और उनकी बहन के पति जॉन ओवेन्स ने अगर 1 जनवरी 2014 से 19 जनवरी 2025 तक कोई भी गैर हिंसक अपराध किए हैं तो उन्हें राष्ट्रपति की तरफ से क्षमा दान दिया जाता है. इस क्षमादान के पीछे जो बाइडन ने बयान जारी कर कहा कि मेरे परिवार पर लगातार हमले और धमकियां की जा रही हैं, जिनका मकसद सिर्फ मुझे तकलीफ पहुंचाना है. यह सबसे खराब तरह की राजनीति है. दुर्भाग्य से, मुझे नहीं लगता कि ये हमले रुकेंगे, मैं कानून पर भरोसा करता हूं और उम्मीद करता हूं कि हमारी न्याय व्यवस्था राजनीति से ऊपर उठकर सही फैसला करेगी लेकिन बिना किसी आधार के की जाने वाली राजनीतिक जांच लोगों की जिंदगी, सुरक्षा और आर्थिक स्थिति को बर्बाद कर देती है. भले ही किसी ने कुछ गलत न किया हो और बाद में निर्दोष साबित हो जाए, जांच या मुकदमा सिर्फ उनके नाम और पैसे को नुकसान पहुंचा सकता है.
इतना ही नहीं जो बाइडेन ने अपने दोस्तों और कुछ खास लोगों को भी क्षमादान दिया है. डॉ. एंथनी फाउची, सेवानिवृत्त जनरल मार्क मिली और अमेरिकी संसद भवन पर 6 जनवरी 2021 को हुए हमले की जांच करने वाली ‘हाउस कमेटी’ के सदस्यों को भी क्षमादान दे दिया है.
बाइडेन ने यह तर्क दिया है कि आगामी ट्रंप प्रशासन द्वारा संभावित प्रतिशोध के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए अंतिम घंटों में अपने कार्यालय की असाधारण शक्तियों का उपयोग करते हुए यह कदम उठाया गया है.
2- क्या फर्क है भारत और अमेरिकी सिस्टम में
भारत और अमेरिका के राष्ट्रपतियों को गुनहगारों को क्षमादान देने की शक्ति प्राप्त है . इस अधिकार का भारत में भी खूब दुरुपयोग होता है. हर नई सरकार आने पर अपने समर्थकों के खिलाफ मामलों कोवापस लेने का आरोप लगता रहाहै. कई बार तो वर्तमान मु्ख्यमंत्रियों पर खुद केखिलाफ लगे मामलों को वापस लेने का आरोप लगाहै. इस तरह का काम करने वाले राजनीतिक दलों की सफाई यही रहती है कि मामला राजनीतिक दुर्भावना वश दर्ज कराए गए थे इसलिए सरकार मुकदमों को वापस ले रही है.
अमेरिका भी भारत की तरह लोकतांत्रिक देश है. जाहिर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी अपने बेटे हंटर बाइेडन की सजा को माफ करने के बाद वही तर्क देते हैं जो भारत में सत्ता में बैठे लोग देते रहे है. बाइडेन ने अपने बेटे को सजामाफी देने के बाद कहा कि, जिस दिन से मैंने पद संभाला मैंने यही कहा है कि न्याय विभाग के फैसले में दखल नहीं दूंगा. मैंने अपना यह वादा निभाया भी है, लेकिन मैंने देखा कि मेरे बेटे को निशाना बनाया जा रहा है. उस पर गलत तरीके से मुकदमा चलाया गया.बाइडेन ने कहा, हंटर को बर्बाद करने की कोशिश में कुछ लोगों ने मुझे भी कमजोर करना चाहा. यह सब अभी नहीं रुकता, इसलिए मुझे अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करना पड़ा. अमेरिकी लोग समझेंगे कि एक पिता और राष्ट्रपति ने यह फैसला क्यों लिया.
सजा सुनाए जाने से ठीक दोदिन पहले पिता बाइडेन ने अपनी राष्ट्रपति शक्तियों का इस्तेमाल कर बेटे बाइडेन को बचा लिया. हंटर को जून में दोषी पाए जाने से पहले बाइडेन ने कहा था कि अगर दोषी पाया गया तो अपने बेटे को कभी माफ नहीं करेंगे.
3-भारत के लोकतंत्र को बचाने के लिए राहुल गांधी ने अमेरिका से हस्तक्षेप की डिमांड की थी
राहुल गांधी अपने विदेश दौरौं पर लगातार भारतीय लोकतंत्र का मजाक उड़ाते रहे हैं. 2022 में लंदन की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने भारत की राजनीति, संसद, न्यायिक व्यवस्था, रणनीतिक सुरक्षा का मजाक बनाया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लंदन के चैथम हाउस में एक बातचीत में कहा था कि आरएसएस एक ‘कट्टरपंथी’ और ‘फासीवादी’ संगठन है और इसने भारत के लगभग सभी संस्थानों पर कब्जा कर लिया है.राहुल ने कहा था कि ‘भारत में लोकतांत्रिक लड़ाई की प्रकृति पूरी तरह से बदल गई है और इसका कारण यह है कि आरएसएस नामक एक संगठन -एक कट्टरपंथी, फासीवादी संगठन ने मूलरूप से भारत के सभी संस्थानों पर कब्जा कर लिया है.’
राहुल गांधी ने आगे कहा था कि यूरोप और अमेरिका भारत में लोकतंत्र बहाल करने के लिए पर्याप्त नहीं कर रहे हैं क्योंकि उन्हें देश से व्यापार और पैसा मिल रहा है. कांग्रेस नेता ने यह भी उल्लेख किया कि कैसे देश में विभिन्न संस्थान खतरे में हैं.उम्मीद है कि अब राहुल गांधी को समझ में आ रहा होगा कि अमेरिका में किस तरह लोकतंत्र का मजाक बनाया जाता है. अमेरिका लोकतंत्र के कई पैमानों पर भारत से भी बुरी स्थिति में है.
4-दुनियाभर के वामपंथियों के लिए शर्म की बात
संयुक्त राज्य अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी का मंच आम तौर पर रिपब्लिकन पार्टी के रूढ़िवाद के विपरीत, आधुनिक उदारवाद पर आधारित है. वर्तमान में पार्टी के पास बड़े मध्यमार्गी और प्रगतिशील विंग हैं. डेमोक्रेटिक मंच सामाजिक कार्यक्रमों, श्रमिक संघों, उपभोक्ता संरक्षण, कार्यस्थल सुरक्षा विनियमन, समान अवसर, विकलांगता अधिकार, नस्लीय समानता, पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ नियम, और आपराधिक न्याय सुधार को बढ़ावा देने में विश्वास रखता रहा है. डेमोक्रेट गर्भपात के अधिकार और एलजीबीटी समुदाय के साथ-साथ बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों के लिए नागरिकता के मार्ग का समर्थन करते रहे हैं. जाहिर है कि उनके ये विचार वामपंथियों के बहुत नजदीक पहुच जाते हैं. इसके अलावा आज यह बात एक तरह से मान ली गई है कि वामपंथियों पार्टियों के कमजोर होने के चलते इस विचारधारा के लोग दूसरे रूप में सामने आ रहे हैं. जैसे अमेरिका में आरोप है कि डिप स्टेट के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी में बहुत से लोग काम करते हैं. जाहिर है ये लोग एक समान न्याय और विचारों की स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए काम करते हैं . बाइडेन उन तमाम लोगों को भी शर्मिंदा किया होगा जो अमेरिकी चुनावों में उनके लिए जी जान से सक्रिय थे.
5. वैसे पिछले कार्यकाल में मौका तो ट्रंप के पास भी था...
दुनियाभर के लिबरल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को तानाशाह और अडि़यल बताते हैं. ट्रंप को उनके पिछले कार्यकाल में अंत में 6 जनवरी 2021 को हुई कैपिटल हिंसा का दोषी कहता आया है. लेकिन, एक तथ्य यह याद रखा जाना चाहिये कि बाइडेन के शपथ लेने से पहले ट्रंप के पास 14 दिन का समय था. वे चाहते तो खुद को माफी दे सकते थे. लेकिन उन्होंने बाइडेन जैसा फैसला नहीं लिया. पिछले 4 साल वे तमाम तरह के आरोप झेलते रहे. कोर्ट के चक्कर लगाते रहे.
अपने निकटवर्ती रिश्तेदारों और अन्य निकटस्थ लोगों को बाइडेन के माफी देने पर ट्रंप प्रशासन ने इतना ही कहा है कि वे ऐसी माफी की परवाह नहीं करेंगे. संविधान के हिसाब से कार्यवाही होगी. यदि इन माफियों को ट्रंप दरकिनार करते हैं, तो बाइडेन और लिबरलों को दोहरी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा.
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