हेमंत सोरेन के शपथग्रहण के मौके पर रांची में विपक्ष का सबसे बड़ा जमावड़ा देखने को मिल रहा है. ऐसी जमघट तो INDIA ब्लॉक की रैलियों में भी देखने को मिलती रही है, लेकिन हर जगह हर कोई पहुंचता हो, ऐसा नहीं होता.
2019 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों के नेताओं की रैलियां कोलकाता और पटना में भी हुई थीं, लेकिन राहुल गांधी ने उनसे भी दूरी बना ली थी. हां, 2017 में बेंगलुरू में ऐसी जमघट जरूर देखने को मिली थी जब जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी कांग्रेस के सपोर्ट से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे. मंच पर सोनिया गांधी, ममता बनर्जी और मायावती की एक तस्वीर काफी वायरल हुई थी - लेकिन तब से बहुत सारी चीजें बदल चुकी हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा विपक्ष के मजबूत खंभों में से एक है, और यही वजह है बड़े दिनों बाद एक ऐसा इवेंट हो रहा है जिसमें राहुल गांधी और ममता बनर्जी दोनो के एक साथ मंच पर देखे जाने की संभावना है. ये दोनो नाम इसलिए महत्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि इंडिया ब्लॉक में दोनो नेताओं के बीच जबरदस्त टकराव शुरू हो गया है.
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने कांग्रेस के साथ विपक्षी दलों की बैठकों में शामिल होना बंद कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 25 और 27 नवंबर को इंडिया ब्लॉक की मीटिंग बुलाई थी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस का कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ.
पहले ये भी देखा गया है कि पश्चिम बंगाल में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के बावजूद ममता बनर्जी किसी न किसी नेता को अपना प्रतिनिधि बना कर भेज दिया करती थीं, लेकिन अब उनकी रणनीति बदल गई है. टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी के बयान के बाद डेरेक ओ ब्रायन का बयान भी इन बातों की पुष्टि करता है.
कारोबारी गौतम अडानी के मुद्दे पर विपक्ष ससंद में खूब हंगामा कर रहा है. राज्यसभा की कार्यवाही को लेकर डेरेक ओ ब्रायन का कहना है कि किसी एक मसले को लेकर पूरे सदन को बंधक नहीं बनाया जा सकता.
अडानी के मुद्दे पर राहुल गांधी और ममता बनर्जी आमने सामने
कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने अडानी मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत राज्यसभा में बिजनेस सस्पेंशन नोटिस दिया है. अमेरिका में अडानी ग्रुप के कारोबार पर लगे आरोप और संभल सहित कई मसलों को लेकर विपक्ष संसद सत्र शुरू होने के दिन से ही बवाल कर रहा है. लोकसभा और राज्यसभा दोनो जगह हालत मिलती जुलती ही है.
राहुल गांधी तो गौतम अडानी को गिरफ्तार करने तक की मांग कर रहे हैं. हालांकि, अडानी ग्रुप की तरफ से सारे आरोपों को गलत बताया गया है. राहुल गांधी का आरोप है कि केंद्र सरकार उनको बचा रही है, कहते हैं, 'आपको लगता है कि अडानी आरोपों को स्वीकार करेंगे? वो तो इनकार ही करेंगे... उनको गिरफ्तार किया जाना चाहिये... सैकड़ों लोगों को छोटे-छोटे आरोपों में गिरफ्तार किया जा रहा है... अमेरिका में हजारों करोड़ रुपये का आरोप है, उनको जेल में होना चाहिये... और सरकार उनको बचा रही है.'
लेकिन, ममता बनर्जी की पार्टी अडानी के मुद्दे पर कांग्रेस के पूरी तरह खिलाफ जाती हुई देखी जा सकती है. टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ'ब्रायन तो सीधे सीधे कांग्रेस को निशाना बपना रहे हैं, 'हम चाहते हैं कि संसद चले... आप एक मुद्दे को पूरे सदन को बंधक नहीं बना सकते.'
कांग्रेस और कई विपक्षी दल अडानी ग्रुप के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जेपीसी से जांच कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन टीएमसी ने खुद को इससे अलग रखा है. संसद में उठाने के लिए टीएमसी ने जिन छह मुद्दों की सूची बनाई है, उसमें भी अडानी का मुद्दा शामिल नहीं किया गया है. टीएमसी ने शीतकालीन सत्र के लिए जनहित से जुड़े छह मुद्दों की एक फेहरिस्त तैयार की है, जिसे वो संसद में उठाएंगे.
पहले भी ऐसा देखा जा चुका है. पिछली बार जब राहुल गांधी ने संसद में अडानी का मुद्दा उठाया था, तो तृणमूल कांग्रेस साथ नजर आई थी, लेकिन जेपीसी से जांच की मांग पर ममता बनर्जी ने हाथ पीछे खींच लिया था.
अगर इंडिया ब्लॉक की शुरुआती बैठकों की बात करें, तीसरी मीटिंग मुंबई में हुई थी. वहां से भी अडानी के मुद्दे पर ममता बनर्जी की नाराजगी की खबरें आई थीं. इंडिया ब्लॉक की एक मीटिंग में राहुल गांधी ने अडानी का मुद्दा उठाया था, जिस पर ममता बनर्जी नाराज हो गई थीं. ममता बनर्जी ने तभी साफ साफ बोल दिया था कि पहले से तय मुद्दों पर ही बात हो सकती है, अचानक से अडानी के मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकती.
INDIA ब्लॉक में ममता बनर्जी का स्टेटस अपडेट
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद से ही ममता बनर्जी की पार्टी हमलावर हो गई है. टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी का कहना है कि कांग्रेस अच्छे नतीजे नहीं दे रही है. उनका कहना है कि बीजेपी से लड़ने के लिए इंडिया ब्लॉक को सही नेतृत्व की जरूरत है, जिसमें कांग्रेस फेल रही है - और इसके साथ ही टीएमसी नेता ने ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक की कमान सौंप देने की मांग की है.
मल्लिकार्जुन खड़गे की बुलाई विपक्ष की बैठकों से टीएमसी नेताओं का दूरी बनाना भी उसी रणनीति का हिस्सा लगता है, जो कल्याण बनर्जी के बयान से जाहिर होता है. साफ है कि ममता बनर्जी बिल्कुल नहीं चाहतीं कि संसद में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व कांग्रेस करे.
टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन की बातों से भी ऐसा ही लगता है. कहते हैं, तृणमूल कांग्रेस इंडिया ब्लॉक की अकेली राजनीतिक पार्टी है जिसका कांग्रेस के साथ किसी तरह का चुनावी गठबंधन नहीं है. बात तो सही है. इस मामले में ममता बनर्जी ने शुरू से ही साफ लकीर खींच रखी है. और, डेरेक का ये कहना भी सही है कि गठबंधन के हर सहयोगी दल के पास अपनी राय रखने का अधिकार है.
अब तो साफ साफ नजर आ रहा है कि ममता बनर्जी INDIA ब्लॉक से स्पष्ट तौर पर दूरी बनाने लगी हैं - और यही वजह है कि हेमंत सोरेन के शपथग्रहण के मौके पर ममता बनर्जी विपक्षी नेताओं की भीड़ में अलग नजर आ रही हैं.
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