वोटिंग के फतवे देने वाले मुत्तवलियों पर लगाम से क्या थम जाएगा मस्जिदों का राजनीतिक इस्तेमाल?

4 1 1
Read Time5 Minute, 17 Second

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने मस्जिदों के मुत्तवलियों (प्रबंधकों) से कहा है कि जुमे की नमाज पर मस्जिदों से अगर राजनीतिकऐलान करना है तो पहले बोर्ड से अनुमति लेनी होगी. वक्फ बोर्ड ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि मस्जिदों से अनावश्यक रूप से अनाप शनाप फतवे न जारी हो सकें. दरअसल, पिछले कुछ समय से राज्य में देखा जा रहा था कि मस्जिदों का इस्तेमाल लगातार राजनीतिक दलों के समर्थन के लिए किया जा रहा था. इस कदम के बारे में बोर्ड के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये धार्मिक स्थल राजनीति का अड्डा न बनें. जाहिर है, यहवक्फ बोर्ड का एक सुधारात्मक कदम है जिसकी जितनी भी तारीफ हो कम ही है. क्योंकि यह कार्य समाज में शांति बनाए रखने के लिए अपरिहार्य कदम जैसा है.

पर जैसा आमतौर पर होता है कि जनता को केवल नेताओं की भाषा ही समझ में आती है. मुस्लिम समाज को वक्फ बोर्ड की इस आवाज में ऐसा लग रहा है कि राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार के इशारे पर ये सब हो रहा है. यही कारण है कि कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है. इस आदेश को लेकर केवल छ्त्तीसगढ़ में बवाल नहीं मचा हुआ है. छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राजा ने इस आदेश को पूरे देश में तामील कराने की मांग की है. जाहिर है कि राजनीति और गर्म होनी है. AIMIMनेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस आदेश के खिलाफ बेहद नाराजगी जताई है.

1- इस आदेश के पीछे वक्फ बोर्ड केक्या हैं तर्क

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड का कहना है कि इस आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये धार्मिक स्थल राजनीति का अड्डा न बनें. पिछले महीने ही बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष, रिटायर्ड जस्टिस मिन्हाजुद्दीन के खिलाफ अविश्वास पत्र लाकर उन्हें हटाया गया और इसके बाद भाजपा के नेता डा. सलीम राजा को नया अध्यक्ष चुना गया था. यही कारण है कि भाजपा-शासित इस राज्य में वक्फ बोर्ड के इस कदम को विपक्षी कांग्रेस और आम मुसलमानों की तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, जो तर्क छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राजा दे रहे हैं उससे हम सभी वाकिफ हैं कि किस तरह मस्जिदों का दुरुपयोग हो रहा है. मस्जिदों के इमामों से कुरान के अनुसार भाषण देने और राजनीति को नेताओं पर छोड़ने की अपील करते हुए कहते हैं कि इस शुक्रवार से, उन्हें अपने भाषणों के विषय के बारे में छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड को बताना होगा. हम मस्जिदों को राजनीति का अड्डा नहीं बनने देंगे.ये धार्मिक स्थान हैं और इन्हें ऐसा ही रहना चाहिए.

Advertisement

राजा कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछमुत्तवलीइस्लामिक फतवे (धार्मिक आदेश) जारी करते हैं, जैसे कि किसे वोट देना है. मैंने वीडियो देखे हैं जिनमें कुछ मुत्तवली‘जालिमों की सरकार’ जैसे शब्दों का उपयोग कर रहे हैं. क्या मुत्तवलियोंको मस्जिदसे ऐसे बयान देने चाहिए? ऐसे बयान क्या सामाजिक समरसता को बाधित नहीं करते हैं? राजा की बातों में दम है, वो उदाहरण देते हैं किजम्मू-कश्मीर में शुक्रवार की नमाज के बाद पत्थरबाजी की घटनाओं के दौरान हमारेसमुदाय के सदस्यों को गुमराह करने का इतिहास रहा है.जाहिर है कि अगर इस आदेश का सख्ती से पालन होता है तो जुमे के दिन होने वाले बवालों पर कुछ तो रोक लग ही जाएगी.

2- मुस्लिम समाज को क्या है दिक्कत

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड अध्यक्ष डॉ सलीम राजा का कहना हैकिफैसले के बाद हमें धमकी मिल रही है, मैं शहीद होने के लिए तैयार हूं. इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर देश भर में इसे लागू करने की मांग करूंगा. डॉ सलीमराजासांसद असदुद्दीन ओवैसी के बारे में कहते हैं कि उनको इस्लाम की समझ नहीं है. दरअसल इस आदेश के आने के बाद राज्य ही नहीं देश के मुसलमानों में बहुत नाराजगी है. देश भर से इस आदेश के खिलाफ लोगों के बयान आ रहे हैं. आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस आदेश के खिलाफ मोर्चा ही संभाल लिया है. सोशल साइट एक्स पर उन्होंने प्रतिक्रिया अपने चिर परिचित तल्ख शैली में व्यक्त की. ओवैसी लिखते हैं कि अबभाजपाई हमें बताएंगे कि दीन क्या है? क्या हमें अपने दीन पर चलने के लिए अब इनसे इजाजत लेनी होगी? वक्फ बोर्ड के पास ऐसी कोई क़ानूनी ताकत नहीं है. यदि ऐसा होता भी तो यह संविधान के अनुच्छेद 25 के खिलाफ होता. दरअसल इस आदेश में दीन के संबंध में तो कुछ लिखा ही नहीं है. इस आदेश में सिर्फ इतना ही लिखा है कि राजनीतिक तकरीरें न की जाएं. मतलब किसी राजनीतिक दल को लेकर तारीफ या मुखालफत नहीं होनी चाहिए.

Advertisement

ओवैसी का जवाब देते हुए छत्तीसगढ़ सीएम के मीडिया सलाहकार पंकज झा एक्स पर लिखते हैं,

सबसे पहली बात तो यह मियां कि वक्फ बोर्ड किसी सरकार के सीधे अधीन नहीं होता. छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड में अभी अधिकतर सदस्य आपकी कांग्रेस द्वारा नियुक्त किए ही हैं. काफी हद तक यह स्वायत्त होता है. आपसे बड़ा ही कोई दीनी होगा, जो उसके सदर होंगे. दीन और कथित ईमान के बारे में आपसे बोर्ड को सीखने की जरूरत तो होगी नहीं.जहां गुंडागर्दी से अपनी निजाम कायम रखे हैं आप, वहीं रहिए कृपया. छत्तीसगढ़ में आग लगाने की इजाजत आपको नहीं दी जाएगी. यहां कानून-व्यवस्था हर हाल में बहाल रखी जाएगी. यहां संविधान किसी भी मजहब से ऊपर माना जाता है. आर्टिकल 25 की धमकी कहीं और उपयोग करें.तारीख गवाह है कि मस्जिद से दी गयी तकरीरों के कारण अनेक बार फसाद हुए हैं. लोगों के घर-बार उजड़े हैं. सो अगर बोर्ड के अध्यक्ष को, जो जाहिर है - मुस्लिम होने के कारण ही - दीन की आपसे अधिक समझ रखते हैं, लगा होगा कि ऐसे किसी बयानपर नजर रखनी चाहिये, तो यह हमारे प्रदेश का आपसी विषय है. यह लॉ एंड ऑर्डर का मुआमला है. इसमें अपनी नाक नहीं घुसेड़ें यही आग्रह है.

Advertisement

3-आदेश का विरोध करके कांग्रेस अपने लिए मुसीबत मोल ले रही है

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के प्रमुख ने कहा, वे (मस्जिदों में तकरीर करने वाले) इस सरकार को क्रूर कहते हैं, जबकि यह सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास’ के नारे के साथ काम कर रही है. सलीम राजा इसके लिए कांग्रेस को भी दोष देते हैं. वे कहते हैं कि कांग्रेस को वोट बैंक की राजनीति के लिए मस्जिदों को राजनीति का केंद्र नहीं बनाना चाहिए. दरअसल, छत्तीसगढ़ में ही नहीं पूरे देश में जबसे बीजेपी का प्रभाव बढ़ा है मुसलमानों की राजनीति कांग्रेस केंद्रित हो गई है.

कांग्रेस तो मुस्लिम जनता को भड़काने का काम करती ही रही है अब मुस्लिम समाज की ओर से भी कांग्रेस को प्रश्रय दिया जा रहा है. सलीम राजा पर पलटवार करते हुए, राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला इस निर्देश को असंवैधानिक बता रहे हैं. शुक्ला कहते हैं कि उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर यह निर्देश जारी किया है. वक्फ बोर्ड का काम वक्फ की संपत्तियों की देखभाल करना है, न कि मस्जिद के मुत्तवलियों द्वारा दिए जाने वाले भाषणों को मंजूरी देना. यह धार्मिक स्वतंत्रता और मुत्तवलियों और उपासकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है. शुक्ला कहते हैं कि मुख्यमंत्री विष्णु देव सायऔर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को यह जवाब देना चाहिए कि ऐसा निर्देश क्यों जारी किया गया है?

Advertisement

दरअसल, कांग्रेस हिंदू और मुस्लिम राजनीति के बीच इस तरह झूल रही है कि छत्तीसगढ़ की सत्ता ही उसके हाथ से निकल गई. आपको याद होगा भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने राज्य में अपनी हिंदू हितों का ध्यान रखने वाली सरकार बनाई थी. राज्य कौशल्या माता का मंदिर, राम वन गमन से संबंधित स्थानों का विकास आदि करके सरकार ने भरसक कोशिश की बीजेपी की हिंदू हितों वाली पार्टी की छवि से आगे निकला जा सके, पर ऐसा संभव नहीं हो सका. अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस अपनी ही बनी बनाई उस छवि से निकलकर एक बार फिर से मुस्लिम परस्त छवि की ओर जा रही है.छत्तीसगढ़ का मामला हो सकता पूरे देश की खबर बन जाए. ऐसे समय में कांग्रेस का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

नई दिल्ली में हुई बैठक, मोदी सरकार ने नीतीश सरकार को दे दिया ये सुझाव; पूरे बिहार में दिखेगा असर

राज्य ब्यूरो, पटना। केंद्र सरकार का सुझाव है कि बाढ़ प्रबंधन की योजनाएं समय से पूरी की जाएं। बिहार के लिए यह सुझाव विशेषकर महत्वपूर्ण है। इस पहल से विलंब की स्थिति में परियोजना की लागत-राशि में वृद्धि की आशंका निर्मूल होगी। इसके अलावा, बाढ़ से जान-मा

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now