बैग चेक करने पर लाल-पीला हुए उद्धव ठाकरे, इन दिनों उन्हें इतना गुस्सा क्यों आ रहा है?। Opinion

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सियासत में भाषा की मर्यादा का बड़ा महत्व होता है.पर कुछ लोग अपनी अमर्यादित भाषा को ही अपनी यूएसपी समझने लगते हैं. खासकर क्षेत्रिय पार्टियों के नेता दबंगई को ही अपनी पार्टी के विकास से जोड़ते रहे हैं. उनका मानना होता है कि लोगों के बीच में डर ही उनकी शख्सियत को अहम बनाता है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कुछ ऐसा हीशिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे भी सोच रहे हैं. जिस तरह का व्यवहार उन्होंने चुनाव आयोग के अधिकारियों से किया है वो उसी का उदाहरण है.

चुनाव आयोग के अधिकारियों ने यवतमाल जिले के वानी हेलीपैड पर उद्धव ठाकरे के बैग की जांच करने की मांग की. इसके बाद उद्धव नाराज हो गए और उसके बाद उन्होंनेअधिकारी को जो खरी खोटी सुनाई वो सामान्य नहीं है. गुस्रे में आकर उन्होंने देश के कई बड़े नेताओं काभी नाम लिया. अगर इस घटना की वीडियो रिकॉर्ड नहीं हुआ होता तो शायद ही इस घटना की जानकारी आम लोगों तक पहुंचती. क्योंकिठाकरे इस तरह का व्यवहार अकसर करते रहते हैं. इसलिएशायद उन्हें आज कीबात का कोई अफसोस भी नहीं होगा. अपनेरुड बिहेवियर के चलते वे अपने पिता की बनाई पार्टी कोटूटने से नहीं बचा पाए. पर उन्हें लगता है कि उनके समर्थकों को इससे फर्क नहीं पड़ता. मुंबई में दशहरा रैली के दौरान भी ठाकरे की भाषा ने हदें पार कर दी थीं.

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चुनाव आयोग के अफसरों से उद्धव कीबहस और‍ फिरधमकी,अपशब्‍द

चुनाव आयोग के ऑफिसर ने उद्धव ठाकरे के हेलीकॉप्टर की जांच की थी, जिसके बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का गुस्सा फूट पड़ा. चुनाव आयोग के अधिकारियों ने यवतमाल जिले के वानी हेलीपैड पर उद्धव ठाकरे के बैग की जांच करने की मांग की थी. इसके बाद उद्धव नाराज हो गए और उन्होंने कर्मचारियों से सवाल करते हुए वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया.उद्धव ने कर्मचारियों से कहा, क्या उन्होंने सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार के बैग की भी तलाशी ली है?क्या वे महाराष्ट्र में रैलियों के लिए दौरे के दौरान पीएम मोदी और अमित शाह के बैग की भी तलाशी लेते हैं?बताया जाता है कि इस दौरान उन्होंने धमकी दी कि तुम अभी मेरा बैग खोलो, मैं तुम्हें खोलूंगा..., इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि चलो यूरिन पॉट की भी जांच कर लो. हालांकि भारतीय चुनाव आयोग ने यह कन्फर्म किया पीएम और होम मिनिस्टर की भी जांच होती है. इस संबंध में आयोग ने एक वीडियो भी जारी किया है. जिसमें यह दिखाया गया है कि किस तरह पीएम मोदी के हेलिकॉप्टर की जांच होती है.

क्या हुआ था मुंबई दशहरा की रैली में

उद्धव ठाकरे को आजकल इस तरह की मर्यादाहीन बातें अकसर करने लगे हैं. रैली में उद्धव ठाकरे ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए कुछ अन्य उद्योगपतियों के लिए बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया. दशहरा ग्राउंड रैली के दौरान उन्होंने देश के जाने माने उद्योगपति के बारे में ऐसा कुछ कह दिया जो किसी भी पार्टी के एक प्रमुख के मुंह से शोभा नहीं देता है.उन्होंने रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए गौतम अडानी के बारे में ऐसा कुछ कहा था जिसे यहां लिखना भी ठीक नहीं है. शिवसेना शिंदे के नेता संजय निरुपम ने उद्धव ठाकरे के उस बयान को आड़े हाथों लेते हुए उनकी जमकर क्लासलगाई थी. ठाकरे के इसी तरह के ही एक बयान पर उनके पुराने साथी नितिश राणे जो अब बीजेपी के साथ हैं को इतना गुस्सा आ गया किउन्हें गोली मारने की बात कह दी थी. दरअसल नितिश राणे भी उसी स्कूल में ट्रेंड हुए हैं जहां की शिक्षा दीक्षा उद्धव ठाकरे की रही है.

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ठाकरे का व्यवहार ऐसा क्यों हो गया

सवाल उठता है कि उद्धव ठाकरे का व्यवहार ऐसा क्यों हो गया है. क्या पार्टी को अपेक्षित सफलता न मिलने के अहसास के चलते ऐसा हो रहा है? या उन्हे महाविकास अघाड़ी ने सीएम कैंडिडेट नहीं बनाया इसकी खुन्नस उन्हें हो गई जो गाहे बगाहे निकल रही है. उद्धव ठाकरे अपने पिता की तरह पढने लिखने वाले व्यक्ति रहे हैं. उन्हें कम बोलने वाला और शांत चित्त व्यक्ति समझा जाता रहा है. कभी इस तरह के गुणों के लिए उनके कजन राज ठाकरे को जाना जाता था. पर सत्ता मिलने के बाद उद्धव ठाकरे की बोली भाषा बदल गई. उन पर तमाम अविभाजित शिवसेना नेताओं का आरोप था कि वे किसी विधायक से मिलते तक नहीं थे. पार्टी के फैसले में भी उनका व्यवहार एकाधिकार सत्ता वाला था. शायद यही कारण रहा कि शिवसेना के अधिकतर लोग एकनाथ शिंदे के साथ चले गए. जनता ने भी लोकसभा चुनावों में जिस तरह का साथ एकनाथ शिंद की सेना को दिया वैसा उद्धव सेना को नहीं दिया.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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