भागवत के बाद महाकुंभ के बहाने मोदी-शाह से मुलाकात कर योगी किस दिशा में बढ़ रहे हैं? | Opinion

4 1 35
Read Time5 Minute, 17 Second

सरकारी कार्यक्रमों की बात और है, लेकिन योगी-मोदी की औपचारिक मुलाकात लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार हुई है, जिससे इसकी अहमियत समझी जा सकती है - और उससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि मुलाकात भी संघ प्रमुख मोहन भागवत से मथुरा में मिलने के बाद हुई है.

मिलने को तो योगी आदित्यनाथ आदित्यनाथ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिले हैं, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलना भी काफी महत्वपूर्ण है. जेपी नड्डा से तो लखनऊ में हुई बीजेपी की मीटिंग में भी मुलाकात हुई थी, जिसमें योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या की हार की वजह अति आत्मविश्वास बताया था. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने उसी मीटिंग में ये बोल कर हंगामा खड़ा कर दिया था कि संगठन सबसे बड़ा होता है. सरकार से भी, यानी योगी आदित्यनाथ से भी. बहरहाल, अब तो मामला रफा दफा हो गया है - और मोहन भागवत की तरफ से भी मार्गदर्शन प्राप्त हो चुका है.

अयोध्या में लोकसभा चुनाव के बाद की दिवाली

योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात तब हुई है, जब यूपी में टकराव का मामला शांत हो चुका है - और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी बड़े ही सोफियाने तरीके से सबक सिखाने के बाद बीजेपी की मदद में फिर से मैदान में कूद पड़ा है. लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक बयान से संघ नेतृत्व नाराज बताया जा रहा था. असल में, जेपी नड्डा ने बोल दिया था कि बीजेपी अब पूरी तरह सक्षम है, और उसे किसी तरह की मदद की जरूरत नहीं है. फिर क्या था, संघ ने चुनाव कैंपेन के दौरान ही खुद को समेट लिया - और नतीजे आये तो बीजेपी के पैरों तले जमीन खिसक चुकी थी. बीजेपी 33 लोकसभा सीटों पर सिमट चुकी थी.

Advertisement

चुनाव नतीजों को लेकर योगी आदित्यनाथ सबके निशाने पर आ गये थे, लेकिन मैदान में डटे रहे. जेपी नड्डा के साथ मीटिंग में अति आत्मविश्वास की बात करना भी तो संघ की ही लाइन थी. ये तो नेतृत्व को आईना दिखाने जैसा ही था.

और जब मथुरा में संघ प्रमुख मोहन भागवत से बंद कमरे में गूफ्तगू हो गई, उसके बाद से वो मिलना जुलना भी शुरू कर दिये. वरना, उपचुनावों की तैयारी के दौरान तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को भी आईना दिखा ही दिया था. उपचुनावों की तैयारी के लिए जो कोर टीम बनाई, उसमें हर सीट के लिए तीन तीन मंत्रियों को जिम्मेदारी दी, लेकिन दोनो ही डिप्टी सीएम को बाहर रखा. ये तो देखने को मिला ही था कि ब्रजेश पाठक भी केशव मौर्य का ही अनुसरण कर रहे थे.

अयोध्या की दिवाली से पहले योगी आदित्यनाथ की मोहन भागवत से मुलाकात हुई थी, और अयोध्या में अपने भाषण में योगी आदित्यनाथ ने अपना नया नारा दोहराया भी, बंटेंगे तो कटेंगे - क्या योगी आदित्यनाथ के भाषण में संघ के प्रभाव की झलक भी देखी जानी चाहिये.

क्या मोहन भागवत की समझाइश का असर होने लगा है, - और क्या मोहन भागवत की हिदायत ही योगी आदित्यनाथ की प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से नये सिरे से मुलाकात करा रही है - बहाना तो बढ़िया है ही, महाकुंभ के आमंत्रण का.

Advertisement

पहले योगी आदित्यनाथ का ज्यादा जोर अयोध्या पर ज्यादा देखा जाता था. दिवाली पर अयोध्या, और मुख्यमंत्री बनने के बाद से होली पर वो मथुरा जाते रहे हैं. दिवाली तो इस बार भी अयोध्या में मनाई गई है, और दीये जलाने का नया रिकॉर्ड बना है, लेकिन इस बार योगी आदित्यनाथ के भाषण में अयोध्या के लोगों से संवाद पर जोर था. जैसे, अयोध्या के लोगों को समझा रहे हों - आपसे बहुत बड़ी गलती हो गई है, और भविष्य में होने वाले मिल्कीपुर उपचुनाव भूल सुधार का बड़ा मौका है.

दिवाली के मौके पर योगी आदित्यनाथ ने कहा, अयोध्या के नागरिकों और संतों ने जो कहा था सरकार ने वो कर दिखाया है... अब आप सभी का दायित्व है, इस सम्मान को बुलंदियों तक पहुंचाना है... ये समय चैन से सोने का नहीं है, जो सोएगा वो खोएगा... जाति, मत, भाषा, मजहब के नाम पर हमें बंटना नहीं है - हम बटेंगे तो कटेंगे.

अब तो साफ है कि योगी आदित्यनाथ को संघ का वरद हस्त, और अयोध्या में आशीर्वाद भी मिल चुका है - तभी तो वो सामान्य दिनों की तरफ बीजेपी नेतृत्व से मिलने जुलने लगे हैं.

अयोध्या में योगी को प्रधानमंत्री बनने का मिला आशीर्वाद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कारसेवकपुरम में जगतगुरु परमहंस आचार्य से भी मुलाकात की. जगतगुरु परमहंस आचार्य ने तो वो बात बोल दी है कि जिससे योगी आदित्यनाथ के समर्थक फूले नहीं समा रहे हैं. जाहिर है, जलने वाले भी होंगे और वे तो जलते ही रहेंगे - योगी आदित्यनाथ को एक प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने वाले तो ऐसा ही बोल रहे हैं.

Advertisement

जगतगुरु परमहंस आचार्य का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक उत्तराधिकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही हैं. कहते हैं, योगी आदित्यनाथ ने स्वयं को देश के सबसे कुशल प्रशासक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योग्यतम उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तुत किया है... देश की जनता की मांग है कि सीएम योगी ही अगले प्रधानमंत्री बनें... अगर अपने खास गद्दारी ना करें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता.

अगस्त, 2024 में इंडिया टुडे के मूड ऑफ द नेशन सर्वे में ये जानने की कोशिश की गई कि लोग मोदी के बाद किसे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठते देखना चाहते हैं... सर्वे से मालूम हुआ था कि 25 फीसदी से ज्यादा लोगों ने अमित शाह को प्रधानमंत्री बनते देखने की इच्छा जताई थी, और उनके बाद दूसरे नंबर पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ रहे, जिन्हें 19 फीसदी वोट मिले थे.

असल में, बीच बीच में योगी आदित्यनाथ और बीजेपी नेतृत्व के बीच टकराव की जो खबरें आती रहती हैं, उसकी सबसे बड़ी वजह योगी आदित्यनाथ की प्रधानमंत्री पद पर अनौपचारिक दावेदारी ही है.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

Maharashtra Election Result: एग्जिट पोल के आंकड़ों पर क्यों भड़के संजय राउत? MVA की जीत को लेकर किया बड़ा दावा

एएनआई, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद विभिन्न एजेंसियों ने एग्जिट पोल जारी किए। एजेंसियों के सर्वेक्षणों के मुताबिक, महायुति गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलती दिख रही है। हालांकि, इन एग्जिट पोल के दावों को महाविकास अघाड़ी दल के नेता नकार रहे हैं।

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now