मोदी की महानता के गुण गा रहीं प्रियंका चतुर्वेदी कहीं ठाकरे को ठुकराने तो नहीं जा रहीं? | Opinion

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प्रियंका चतुर्वेदी के बयान से सोशल मीडिया पर तहलका मचा हुआ है. सोशल साइट X पर उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे को टैग करके लोग सवाल पूछ रहे हैं, आखिर उनके मुंह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए तारीफ के लफ्ज निकले कैसे - पहले तो वो ऐसी न थीं!

असल में, प्रियंका चतुर्वेदी से एक पॉडकास्ट में उनके फेवरेट लीडर के बारे में पूछा गया था, लेकिन जो जवाब राज्यसभा सांसद ने दिया वैसी न तो सवाल पूछने वाले की अपेक्षा रही होगी, और न ही उन लोगों को जो इंटरव्यू देख रहे होंगे.

प्रियंका चतुर्वेदी ने बगैर किसी लाग लपेट के सीधे सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश का सबसे महान नेता तो बताया ही, कुछ देर तक उनकी तारीफ में कसीदे भी पढ़ती रहीं - प्रियंका चतुर्वेदी के बयान पर हर किसी को आश्चर्य हो रहा है, क्योंकि ये बात प्रियंका चतुर्वेदी ने ऐन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच कही है.

बड़ा सवाल ये है कि क्या प्रियंका चतुर्वेदी ने सवाल के जवाब में अपने मन की बात कही है?

या फिर प्रियंका चतुर्वेदी के मुंह से निकली बात दूर-तलक जा रही है?

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चुनावी राज्य में, ये सब किसी नये राजनीतिक समीकरण बनने के संकेत तो नहीं हैं?

प्रियंका ने मोदी की तारीफ क्यों की है?

पॉडकास्ट में प्रियंका चतुर्वेदी से उनके पसंदीदा नेता के बारे में पूछा गया तो लगा वो उद्धव ठाकरे का नाम लेंगी. ऐसे ख्याल भी होंगे कि वो शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे को अब तक का महानतम लीडर बताएं. अगर उद्धव ठाकरे नहीं तो आदित्य ठाकरे का नाम लेतीं, भविष्य को ध्यान में रखते हुए - लेकिन जवाब सुनकर तो ऐसा लगा जैसे वो सात समंदर पार पहुंच गई हैं.

प्रियंका चतुर्वेदी ने, दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महान राजनेता बताया है. कहती हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोगों से कनेक्ट होने में महारथ हासिल है, खासकर युवाओं और महिलाओं से.

केंद्र में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनने में वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अहम रोल मानती हैं. बीजेपी को मिली कम सीटों की बात वो करती तो हैं, लेकिन उसे लोकसभा चुनाव के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनाने का क्रेडिट भी मोदी को ही देती हैं. बताती हैं, वो लगातार तीसरे लोकसभा चुनाव में वोटर को अपने पाले में लाने में कामयाब रहे. एक बड़े वोट बैंक को प्रभावित किया.

अब सवाल ये उठता है कि प्रियंका चतुर्वेदी ये सब क्यों कह रही हैं? क्या ऐसा बोलकर वो अपने बारे में कोई संकेत देना चाहती हैं? या वो महाराष्ट्र की राजनीति में किसी नये बदलाव की तरफ इशारा कर रही हैं?

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शिव सेना (यूबीटी) से पहले प्रियंका चतुर्वेदी कांग्रेस की प्रवक्ता हुआ करती थीं. उस दौरान वो टीवी पर कांग्रेस के लिए खूब लड़ती रहीं, और युवाओं में उनकी अच्छी खासी फॉलोविंग हो गई थी - और ये सिलसिला करीब 10 साल तक चलता रहा.

जैसे वो बीजेपी के खिलाफ आक्रामक नजर आती हैं, वैसे ही पहले भी हमलावर देखी जाती रहीं, सिर्फ कुछ दिनों को छोड़ कर. 2019 के आम चुनाव के बीच ही प्रियंका चतुर्वेदी ने कांग्रेस छोड़ दी थी, तब महाराष्ट्र में वोटिंग भी नहीं हुई थी - और तब कम से कम दो वजहें सामने आई थीं.

एक वजह तो मथुरा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के दुर्व्यवहार की घटना थी, और दूसरी उनकी चुनाव लड़ने की इच्छा का ख्याल नहीं रखा जाना. मथुरा में प्रियंका चतुर्वेदी ने एक प्रेस कांफ्रेंस की थी, जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया था. प्रियंका चतुर्वेदी की शिकायत के बाद 8 नेताओं को तत्काल प्रभाव से कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया. जब कुछ ही दिन बाद, माफी मांगने पर नेताओं को बहाल कर दिया गया तो प्रियंका चतुर्वेदी को बहुत बुरा लगा, और उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला कर लिया.

दूसरी वजह उनको मुंबई नॉर्थ लोकसभा सीट से टिकट न दिया जाना माना गया. जब कांग्रेस ने उस सीट पर फिल्फ अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को उतार दिया, तो प्रियंका चतुर्वेदी हद से ज्यादा नाराज हुईं, और कांग्रेस को अलविदा कह दिया - और उसी बीच शिवसेना से उनकी बातचीत हुई, और बात बन गई.

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लेकिन, शिवसेना में जाने से पहले प्रियंका चतुर्वेदी ने बीजेपी में जाने की खूब कोशिश की थी, लेकिन तब स्मृति ईरानी उनके रास्ते की दीवार बन गईं. प्रियंका चतुर्वेदी ने बीजेपी के खिलाफ तो जो कुछ कहा था, उसके स्मृति ईरानी को लेकर एक गाना गा दिया था. वो गाना क्या, स्मृति ईरानी के टीवी सीरियल क्योंकि सास भी कभी बहू थी का टाइटल सॉन्ग था.

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा था, एक नया धारावाहिक आने वाला है, 'क्योंकि... भी कभी ग्रेजुएट थी!'
और उसके साथ ही गाकर सुनाया था, क्वालिफिकेशन के भी रूप बदलते हैं... नये नये सांचे में ढलते हैं, एक डिग्री आती है, एक डिग्री जाती है... बनते एफिडेविट नहीं हैं.

माना जाता है कि यही पैरोडी प्रियंका चतुर्वेदी के बीजेपी जाने के रास्ते में नो-एंट्री का बोर्ड साबित हुई.

अब सवाल ये उठ रहा है, प्रियंका चतुर्वेदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करके क्या बीजेपी में जाने का रास्ता बनाया है?

ये सवाल इसलिए भी स्वाभाविक है क्योंकि स्मृति ईरानी बीजेपी में हाशिये पर नजर आ रही हैं. ये सब उनके अमेठी में एक कांग्रेस कार्यकर्ता से चुनाव हार जाने की वजह से हुई है. हालांकि, स्मृति ईरानी को बीजेपी के सदस्यता अभियान के दौरान दिल्ली में कुछ जिम्मेदारियां दी गई थीं, लेकिन वो कोई खास महत्व के नहीं लगते.

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क्या टूटे दिल फिर मिल रहे हैं

प्रियंका चतुर्वेदी के लिए शुरू में शिवसेना में थोड़ी मुश्किल जरूर हुई होगी, क्योंकि तब शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन था. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद वो गठबंधन टूट गया, और प्रियंका चतुर्वेदी के लिए पुरानी आइडियोलॉजी के साथ काम करना आसान हो गया, लेकिन अब उसमें भी थोड़ा ट्विस्ट नजर आ रहा है.

प्रियंका गांधी ने ऐसे वक्त मोदी की तारीफ की है जब सूत्रों के हवाले से अलग तरह की खबरें आ रही हैं. हालांकि, ये खबरें भी अभी सोशल मीडिया पर ही हैं, लेकिन X पर ऐसी पोस्ट मुख्यधारा के पत्रकारों की तरफ से शेयर की गई है, इसलिए महज अफवाह भी नहीं लगतीं - जाहिर है, ऐसी खबरों की पुष्टि के लिए मुलाकात की तस्वीरों या आधिकारिक बयान का इंतजार है.

सोशल मीडिया पर जो बातें चल रही हैं, उनमें एक तो शिवसेना यूपीटी के नेता संजय राउत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की बात कही जा रही है, और ऐसे ही दूसरी महत्वपूर्ण मुलाकात महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच बताई जा रही है.

अगर वास्तव में ऐसा हुआ है, तो विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक उथल पुथल के इशारे समझे जा सकते हैं. ऐसी बातों के सच लगने के पीछे कई ठोस कारण भी हैं - और एक मजबूत वजह उद्धव ठाकरे का शरद पवार और राहुल गांधी से नाराज होना भी माना जा सकता है.

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उद्धव ठाकरे चाहते थे कि महाविकास आघाड़ी की तरफ से उनको मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया जाये, लेकिन सहमति नहीं बन सकी. अगर ऐसा न हो सके तो उद्धव ठाकरे चाहते थे कि कम से कम तय तो हो जाये कि चुनाव जीतने पर कौन मुख्यमंत्री बनेगा? भले ही घोषणा अभी न हो - और सहमति बनाने के लिए वो दिल्ली का भी दौरा किये, लेकिन गांधी परिवार की तरफ से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला.

और लोकसभा चुनाव के नतीजों से तो साफ हो ही गया था कि बीजेपी को एकनाथ शिंदे और अजीत पवार ने निराश किया है. अजीत पवार को लेकर तो ऐसी भी खबरें आ रही थीं, जैसे बीजेपी उनको भार समझ कर ढो रही हो.

और सबसे बड़ी बात, प्रियंका चतुर्वेदी कोई नीतीश कुमार तो हैं नहीं कि प्लान-बी हमेशा ही उनके पास तैयार हो - और इसीलिए लगता है कि प्रियंका चतुर्वेदी ने यूं ही नहीं मोदी की तारीफ की है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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