उमर अब्‍दुल्‍ला को चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस की, और सरकार चलाने के लिए बीजेपी की जरूरत है | Opinion

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उमर अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री बनने पर बधाई ही नहीं दी है, बल्कि केंद्र सरकार की तरफ से हर संभव मदद का भरोसा भी दिलाया है - भला इससे ज्यादा उमर अब्दुल्ला को अब और क्या चाहिये.

ये ठीक है कि केंद्र सरकार के साथ मिलजुल कर जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए काम करने की पहल उमर अब्दुल्ला की तरफ से ही हुई थी, और फिर उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी आश्वस्त कर दिया कि वो अपनी तरफ से टकराव की नौबत बिलकुल नहीं आने देंगे - अब तो प्रधानमंत्री मोदी ने भी मुहर लगा दी है.

देखा जाये तो जम्मू-कश्मीर में दिल्ली की तरह चुनी हुई सरकार और उप राज्यपाल के बीच टकराव की आशंकाएं खत्म होती जा रही हैं - और जैसी कि खबर आ रही है, अगर राम माधव भी प्रत्यक्ष भूमिका में आ जाते हैं तो समझ लेना चाहिये सत्ता पक्ष में कांग्रेस का रोल खत्म हो सकता है. विपक्ष की राजनीति में स्कोप बना रहेगा, जैसे महबूबा मुफ्ती की पीडीपी की बनी रहेगी.

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जम्मू-कश्मीर सरकार में कांग्रेस का कितना रोल बचा है

उमर अब्दुल्ला ने तो लगता है कांग्रेस को ममता बनर्जी की याद दिला दी है. जैसे 2011 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस की मदद से सरकार बनाई, और बाद में सीधे सीधे पल्ला झाड़ लिया, उमर अब्दुल्ला भी वैसा ही कर रहे हैं. ममता बनर्जी ने तो बंगाल में कांग्रेस को खत्म ही कर दिया, उमर अब्दुल्ला का भी ऐसा कोई इरादा है क्या?

उमर अब्दुल्ला का रुख अभी तो ममता बनर्जी जैसा नहीं लगता, क्योंकि कांग्रेस के सरकार में शामिल न होने की सूरत में नई कैबिनेट में जगह बचा कर रखी गई है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ पांच विधायकों ने मंत्रीपद की शपथ ली है.

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42 सीटें हासिल हुई हैं, और गठबंधन साथी कांग्रेस को 6 सीटें. बीजेपी के खाते में 29 सीटें आई हैं, जबकि पीडीपी के हिस्से में 3 और आम आदमी पार्टी को 1.

सीटों के बंटवारे के वक्त कांग्रेस ने अच्छी डील की थी, और करीब एक तिहाई सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन महत्व तो नंबर का होता है. कांग्रेस चूक गई. रही सही कसर निर्दलीय विधायकों और आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने सपोर्ट का ऐलान करके कर दी. कांग्रेस की पोजीशन कमजोर हो गई.

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मौजूदा हालात में जो राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं, उमर अब्दुल्ला को कांग्रेस की जरूरत नहीं बच रही है. लेकिन, अब भी अगर वो कांग्रेस से पल्ला नहीं झाड़ रहे हैं, तो हो सकता है गाढ़े वक्त के लिए सुरक्षित इंतजाम मान कर चल रहे हों.

मिलकर सरकार चलाने के परस्पर वादे

उमर अब्दुल्ला को टैग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल साइट X पर लिखा है, 'जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर उमर अब्दुल्ला को बधाई... लोगों की सेवा करने के उनके प्रयासों के लिए शुभकामनाएं... केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर की प्रगति के लिए उनके साथ और उनकी टीम के साथ मिलकर काम करेगा.'

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री बने उमर अब्दुल्ला ने भी प्रधानमंत्री धन्यवाद देते हुए कहा है, 'बधाई संदेश के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद... मैं और मेरे साथी जम्मू-कश्मीर के लोगों को एक प्रभावी, कुशल और ईमानदार प्रशासन देने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं.'

जिस तरह एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद तेजी से दोनो पक्ष साथ आ रहे हैं, किसी भी तीसरे पक्ष के लिए जगह बिलकुल नहीं बच रही है. राजनीति अपनी जगह है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों की भलाई तो इसी में है. वरना, दिल्ली सबसे बड़ा उदाहरण है.

अब तो लगता है जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को स्टेटहुड के लिए आश्वस्त किया था, और उमर अब्दुल्ला को भी केंद्र के सहयोग का भरोसा दिला रहे हैं - अब तो ऐसा लगता है कि जल्दी ही जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा भी बहाल हो जाएगा.

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क्या कश्मीर में बीजेपी को नीतीश मिल गये हैं

जहां बीजेपी अपने दम पर सत्ता नहीं हासिल कर पाती, उसे एक ऐसा नेता चाहिये होता है जिसे बीजेपी से घोर परहेज न हो. जैसे बिहार में नीतीश कुमार हैं, और ताली तो हमेशा दोनो हाथों से ही बजती है.

और सत्ता में हिस्सेदारी बनाये रखने के लिए बीजेपी किसी भी हद तक जा सकती है. महाराष्ट्र का उदाहरण देखा जा सकता है. एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के बाद बीजेपी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बना डाला है.

ऐसे में क्या ये मान कर चल सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर में भी बीजेपी को उमर अब्दुल्ला के रूप में नीतीश कुमार मिल गये हैं? अगर उमर अब्दुल्ला अभी नीतीश कुमार बनने के मूड में नहीं भी हों, तो आगे चलकर तो हो ही सकते हैं - कोई ऑप्शन भी तो नहीं बचा है.

और इसी के साथ, खबर ये भी आ रही है कि मनोज सिन्हा की जगह राम माधव को जम्मू-कश्मीर का उप राज्यपाल बनाया जा सकता है. ये तो बनता भी है. ये राम माधव ही हैं जो महबूबा मुफ्ती के साथ बीजेपी की सरकार बनवाये थ, और अब अगर उमर अब्दुल्ला भी सहयोगात्मक रुख दिखा रहे हैं, तो उसमें भी राम माधव की अहम भूमिका होगी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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