हरियाणा में ऐतिहासिक विजय की ओर कैसे बढ़ रही है BJP, चुपचाप खेल कर गए सैनी । Opinion

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हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए वोटों की काउंटिंग चल रही है. सभीएग्जिट पोल में कांग्रेस भारी जीत की ओर बढ़ रही थी पर आज वोटों की गिनती में मामला उल्टा पड़ता दिख रहा है. भारतीय जनता पार्टी क्लीयर मेजॉरिटी हासिल करती दिख रही है. लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करना कोई आसान काम नहीं होता है. पौने12 बजे तक भाजपा को 50 सीट और कांग्रेस गठबंधन को 34 सीटों पर बढ़त हांसिल थी.अगर भारतीय जनता पार्टी जाट लैंड में भी बढ़िया प्रदर्शन करती दिख रही है तो इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस की रणनीति जवान-पहलवान और किसान को साधने की फेल हो चुकी है. बीजेपी की इस बढत के पीछे आखिर कौन से कारण काम कर गए आइये देखते हैं.

1-एंटी जाट वोटों के ध्रुवीकरण की रणनीति काम कर गई

हरियाणा में जाट वोट अधिकतर कांग्रेस और इनेलो को जाते रहे हैं. 2014 विधानसभा चुनावों में कुछ प्रतिशत जाटों का वोट बीजेपी को भी मिला था , पर अधिकतर वोट कांग्रेस और इनेलो को मिला था.2019 में बीजेपी को जाटों का वोट शेयर और कम हुआ . जाट वोट कांग्रेस और जेजेपी में बंट गए थे. यहीं से बीजेपी इस रणनीति पर काम करने लगी थी कि हरियाणा में उसे जाट वोट नहीं चाहिए. एंटी जाट वोटों के ध्रुवीकरण के लिए बीजेपी ने पंजाबी हिंदू, ओबीसी, ब्राह्मण पर दांव खेला. केंद्रीय मंत्रिमंडल में पहली बार किसी जाट की एंट्री नहीं हुई. राज्य बीजेपी का अध्यक्ष एक ब्राह्मण को बनाया गया.प्रदेश का सीएम एक ओबीसी को बनाया गया. आखिर में बीजेपी के लिए यह दांव काम कर गया.

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2-किसानों और पहलवानों के आंदोलन को किस तरह निष्प्रभावी किया बीजेपी ने

किसानों और महिला पहलवानों के आंदोलन से बीजेपी बहुत परेशान थी. पर इस आंदोलन के खिलाफ कोई कदम न उठाकर बीजेपी ने इसे बढ़ने दिया . पहलवानों-किसानों और जवानों का आंदोलन इतना अधिक बढ़ा कि दूसरे वर्गों को चिढ़ हो गई. बीजेपी चुपचाप अपने नेताओं को किसानों से पिटते देखते रही. किसानों का मन इतना बढ़ गया कि वो पूर्व सीएम खट्टर और कई मंत्रियों तक को गांवों में घुसने से रोक दे देते थे. हरियाणा में किसान आंदोलन में अधिकतर जाट और जट शामिल थे. दूसरी जातियों को किसानों , व्यापारियों और अन्य वर्गों को लगा कि ये लोग सत्ता में आ गए तो उत्पात और बढ़ जाएगा.बस बीजेपी के लिए यही काम कर गया. बीजेपी ने अगर किसानो के खिलाफ केस किया होता या उनका उत्पीड़न किया होता तो कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुआ होता. फिलहाल शांत रहने की बीजेपी की रणनीति काम कर गई.

3-सैनी को सीएम बनाना फायदेमंद साबित हुआ

चुनाव के अंतिम मौके पर नायब सैनी को सीएम बनाना भी काम कर गया. एंटी इनकंबैंसी के चलते जब बीजेपी नेताओं से कोई सवाल पूछता तो स्थानीय स्तर पर नेता यही कहते बस सरकार अब बदल गई है. अब सब कुछ हो जाएगा. दूसरी बात सैनी का सौम्य व्यक्तित्व भी काम कर गया. सैनी बड़बोले नहीं हैं. जो आम तौर पर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं का प्रमुख गुण होता है. सैनी को समय बहुत कम मिला पर उन्होंने ओबीसी अधिकारों के लिए कई कानून बनाए. कई ऐसी योजनाएं बनाईं जो सीधे आम जनता को फायदा पहुंचाने वाली हैं. ओबीसी वोटों का ध्रुवीकरण भी कराने में भी सैनी को सफलता मिली.

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4-मिर्चपुर-गोहाना कांडका मुद्दा उठाना क्या काम कर गया

इन चुनावों में दलित वोटों का सबसे अहम रोल हो गया था. पूरे राज्य में करीब 20 परसेंट दलित वोट हैं. जिस तरह कांग्रेस ने संविधान बचाओ -आरक्षण बचाओ का नारा बुलंद करके यूपी में खेल किया था उसी तरह हरियाणा में भी करने की तैयारी थी. पर बीजेपी इस बार दलितो वोटों के लिए कमर कसकर तैयार थी. अशोक तवर जैसे एक दलित चेहरे को इसलिए पार्टी में लोकसभा चुनावों के पहले लाया गया था. हालांकि ऐन वोटिंग के पहले उन्होंने पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया.पर बीजेपी ने हार नहीं मानी . बीजेपी ने दलितों को यह समझाया कि बीजेपी राज में उनके साथ मिर्चपुर और गोहाना जैसी घटनाएं नहीं हुई हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , गृहमंत्री अमित शाह और पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर ने बार-बार मिर्चपुर और गोहाना कांड की चर्चा अपनी सभाओं में किया.

5-बीजेपी का पोलिटिकल मैनेजमेंट काम कर गया

बीजेपी ने कांग्रेस से मुकाबले के लिए हरियाणा में एक एक कदम फूंक फूंक कर रखा.मनोहर लाल खट्टर के प्रति जनता में नाराजगी थी तो उन्हें कुछ दिनों के लिए साइडलाइन कर दिया गया. यहां तक कि पीएम की सभा में भी उन्हें मंच पर आना तो दूर सभा तक में नहीं पहुंचने दिया गया. विनेश फोगाट ने बार-बार पीएम मोदी को टार्गेट किया पर किसी भी बीजेपी नेता ने उनका जवाब नहीं दिया. लगता था कि ऊपर से सभी नेताओं को निर्देश दिए गए थे कि उन्हें विनेश के खिलाफ नहीं बोलने दिया गया. जिन लोगों ने टिकट वितरण के बाद असंतोष जाहिर करते हुए पार्टी के खिलाफ जाने की बात कही उनके पास खुद सीएम सैनी मनाने के लिए पहुंचे.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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