ममता बनर्जी के इस्‍तीफे की पेशकश कितनी गंभीर, कितना राजनीतिक पैंतरा? | Opinion

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कोलकाता रेप और मर्डर केस का पश्चिम बंगालमें थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. पश्चिम बंगाल ने इस कांड में जिस तरह की लीपापोती की है उसे लेकर आम लोगों में ही नहीं राज्य में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में जबरदस्त असंतोष है. पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी राजनीति की मंझी हुई खिलाड़ी हैं. उन्हें हारती हुई बाजी पलटने का हुनर पता है.आंदोलनकारी डॉक्टरों से खुद वार्ता के लिए तैयार होना और फिर मीटिंग हाल में 2 घंटे इंजजार करना और फाइनली रिजाइन करने की बात करना उनकी रणनीति का हिस्सा ही है.ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पश्चिम बंगाल के लोगों से माफी मांगी औरकहा कि वह भी चाहती हैं कि पीड़िता को न्याय मिले. यही कारण हैकि वह लोगों की खातिर इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं. इससे पहले कॉन्फ्रेंस हॉल का एक वीडियो लीक किया गयाजिसमें ममता बनर्जी खाली कुर्सियों के बीच जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल का इंतजार करती दिखीं.

1- डॉक्टर्स को खलनायक बनाने की कोशिश

कोलकाता कांड के बाद से हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों से बातचीत के बहाने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री जनता का सहानुभूति लेने का खेल खेलने लगी हैं. ममता सरकार और डॉक्टरों के बीच मीटिंग गुरुवार को भी नहीं हो सकी. ममता ने माहौल इस तरह बनाया है कि उन्होंने दो घंटे तक डॉक्टरों का इंतजार किया पर वो नहीं आए. इसके लिए मीटिंग हाल में खाली पड़ी कुर्सियां और इंतजार करतीं ममता का लाइव विजुअल भी वायरल किया गया है. जनता की अदालत में डॉक्टरों को ही जिद्दी समझा जाए इसलिए शासन की ओर कहा गया कि लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर डॉक्टर अड़े रहे और कॉन्फ्रेंस हॉल में जाने से इनकार कर दिया. इसके बाद देर शाम मीटिंग कैंसिल हो गई. ममता बनर्जी की ओर से यह तर्क भी दिया गया कि चूंकि मामला कोर्ट में है इसलिए लाइव स्ट्रीमिंग की इजाजत कैसे दी जा सकती है.

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जनता की अदालत में हड़ताली डॉक्टरों को खलनायक साबित करने के लिए सरकार की ओर से कुछ और तर्क दिए गए. जैसे कि सरकार ने तीसरी बार डॉक्टरों को बातचीत के लिए बुलाया था. सरकार ने मीटिंग में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति की डॉक्टरों की मांग को भी स्वीकार कर लिया था. पहले सिर्फ 15 डॉक्टरों को मीटिंग में आने की अनुमित देने का फैसला किया गया था पर गुरुवार को 15 की जगह 32 सदस्यों को अनुमति भी दे दी गई. लेकिन डॉक्टर लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर अड़ गए और कॉन्फ्रेंस हॉल के अंदर नहीं गए.

2- ममता का आखिरी हथियार विक्टिम कार्ड

जिन लोगों ने ममता बनर्जी की राजनीति को ध्यान से देखा है वह जानते हैं कि वो विक्टिम कार्ड को ब्रह्मास्त्र की तरह खेलती हैं.उन्हें जब-जब ऐसा लगा कि अब सारे हथियार काम नहीं कर रहे हैं तो वो विक्टिम कार्ड खेलने पर उतारूं हो जाती हैं और अपने विरोधियों को चारों खाने चित कर देती हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में ममता बनर्जी ने बीजेपी के खिलाफ विक्टिम कार्ड का इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया .उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह पश्चिम बंगाल को निशाना बना रही है और ममता सरकार के खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है.

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सीबीआई द्वारा कोलकाता पुलिस कमिश्नर के घर पर छापे के दौरान ममता बनर्जी ने खुद को विक्टिम के रूप में प्रस्तुत किया और धरने पर बैठ गईं. उन्होंने इसे संविधान और संघीय ढांचे पर हमला बताया और कहा कि केंद्र सरकार राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है.

अब इसी हथियार का इस्तेमाल उन्होंने फिर शुरू कर दिया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने गतिरोध के लिए हाथ जोड़कर बंगाल के लोगों से माफ़ी मांगी और डॉक्टरों से काम पर लौटने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि हमने डॉक्टरों के साथ बैठक के लिए 2 घंटे तक इंतजार किया. हमने देखा कि उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. हमने उनसे बातचीत के लिए खुले दिमाग से आने को कहा था. बातचीत होने पर ही समाधान हो सकता है. इससे पहले एक अन्य अवसर पर मैंने बातचीत में शामिल होने के लिए इंतजार किया था. कोई बात नहीं, मैं उन्हें माफ करती हूं क्योंकि वे बहुत छोटे हैं. हमारे पास बैठक को रिकॉर्ड करने की पूरी व्यवस्था थी. प्रक्रिया की पारदर्शिता और सटीक दस्तावेज़ीकरण के लिए और हम सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के साथ रिकॉर्डिंग साझा करने के लिए भी तैयार थे.

मुझे पता है कि अधिकांश डॉक्टर इस मीटिंग में रुचि रखते थे, लेकिन हमें पता चला है कि कुछ मुट्ठी भर लोग गतिरोध पैदा करना चाहते हैं. फिर भी हम ESMA लागू नहीं करना चाहते. ममता बनर्जी ने कहा कि मैं आम लोगों के लिए न्याय की खातिर कुर्सी छोड़ने को भी तैयार हूं, लेकिन उन्हें न्याय नहीं चाहिए, उन्हें सिर्फ कुर्सी चाहिए. मुझे सीएम की कुर्सी नहीं चाहिए, बल्कि पीड़िता के लिए न्याय चाहिए.

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3- ममता को क्यों करना पड़ा ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल

पश्चिम बंगाल में स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी है. न आंदोलन थम रहा है और न ही पार्टी में असंतोष. कोलकाता में हर रात आंदोलन और तेज होता जा रहा है. विरोध की आग थमने का नाम ही नहीं ले रहा है.ममता सरकार पर कोलकाता रेप केस में लीपापोती करने के आरोप के पहले भी कई आरोप लगे पर उन्होंने जादुई तरीके से उन समस्याओं को सुलझा लिया . शिक्षक भर्ती घोटाले में उनके मंत्री को जेल जाना पड़ा.कोयला खदान में अनियमितता का आरोप खुद उनके भतीजे पर है.पार्टी कार्यकर्ताओं पर सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने, लोगों को डरा धमका कर अपने पक्ष में करने के आरोप लगते रहे हैं.पर इन मामलों को वो बड़ी आसानी से हैंडल करती रही हैं.

पर कोलकाता रेप केस में उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए. पार्टी कॉडर में भी असंतोष बढ़ रहा है. अब तक कम से कम 4 बड़े टीएमसी के नेता खुलकर उनका विरोध कर चुके हैं. छोटे नेताओं की संख्या तो कई दर्जन में है.सुप्रीम कोर्ट लगातार उनके खिलाफ टिप्पणी कर रहा है. इन सबके बीच इस्तीफे की पेशकश करके वो अपने सबसे पसंदीदा पुलिस कमिश्नरको भी बचाने का जुगाड़ कर ली हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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