टेरर फंडिंग के आरोपी सांसद इंजीनियर राशिद के चुनाव प्रचार से किसे फायदा और किसे नुकसान होगा?

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बारामूला के निर्दलीय सांसद इंजीनियर राशिद को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कैंपेन के लिए अंतरिम जमानत मिल गई है. बिलकुल वैसे ही जैसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में मिली थी.

नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला को आम चुनाव में हराने वाले इंजीनियर राशिद के नाम से मशहूर शेख अब्दुल राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) भी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले रही है - जेल में बंद होकर भी चुनाव जीत लेने वाले राशिद को मिली जमानत से उमर अब्दुल्ला तो भड़के ही हैं, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती उनकी अवामी इत्तेहाद पार्टी को बीजेपी का का प्रॉक्सी बता रही हैं.

चुनाव कैंपेन के लिए टेरर फंडिंग के आरोपी को जमानत मिलना

इंजीनियर राशिद को चुनाव कैंपेन के लिए जमानत मिलना भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और खूबसूरती की बेहतरीन मिसाल है, और ऐन उसी वक्त NIA यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी की कमजोरी का बड़ा सबूत भी है.

इंजीनियर राशिद को 2016 में जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग के आरोप में UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिनका नाम तब सामने आया जब एनआईए कश्मीरी कारोबारी जहूर वताली से जुड़े केस की जांच कर रही थी, जिसे घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों के लिए फंडिंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. राशिद को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट से टेरर फंडिंग मामले में 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत मिली है. इंजीनियर राशिद को इससे पहले अदालत ने सांसद के तौर पर शपथ लेने के लिए भी छोड़ा था.

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इंजीनियर राशिद ने जेल में रहते हुए ही जम्मू-कश्मीर की बारामूला सीट से 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है. खास बात ये रही कि इंजीनियर राशिद ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को हरा कर चुनाव जीता है.

राशिद को जमानत मिलने पर पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा है, 'जेल में बंद किसी गरीब व्यक्ति के माता-पिता को उससे मिलने की इजाजत नहीं है, लेकिन कुछ लोग जेल से चुनाव लड़ रहे हैं... पार्टियां बना रहे हैं... उन्हें गाड़ी और सुरक्षा मुहैया करायी जा रही है... जब वे हमारे उम्मीदवार पर हमला करते हैं, तो पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करती... चुनाव आयोग हमारे उम्मीदवार को नोटिस भेजता है.'

पीडीपी नेता कहती हैं, 'जेल के अंदर से चुनाव लड़ने वाले शख्स के बारे में इससे पता चलता है कि वो किसकी तरफ से हैं.'

अब्दुल्ला और मुफ्ती की बढ़ सकती है मुसीबत

महबूबा मुफ्ती की बातों का उमर अब्दुल्ला भी सपोर्ट कर रहे हैं. कहते हैं, 'ये अच्छा है कि महबूबा ने खुले तौर पर वह बात कह दी... जिससे बहुत सारे लोग इत्तेफाक रखते हैं.'

उमर अब्दुल्ला का इस मामले में पहला रिएक्शन होता है, 'मुझे पता था... ऐसा ही होगा.' और कहते हैं, महबूबा मुफ्ती ने तो खुलकर कहा है कि इंजीनियर राशिद बीजेपी के कहने पर काम कर रहे हैं.

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भले ही उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती अलग अलग चुनाव लड़ रहे हों, लेकिन इंजीनियर राशिद सहित ऐसे कई मामले हैं, जिन पर वो एक दूसरे से इत्तफाक रखते हैं - और राशिद को मिली जमानत पर बारामूला के लोगों के लिए अफसोस की बात कहते हैं.

उमर अब्दुल्ला का आरोप है, इंजीनियर राशिद को जमानत बारामूला के लोगों की खिदमत के लिए नहीं मिली है... न ही संसद में मौजूद रहने और सांसद के तौर पर काम करने के लिए ही मिली है... इंजीनियर राशिद को जमानत सिर्फ वोट के लिए मिली है.

नेशनल कांफ्रेंस नेता का कहना है कि इंजीनियर राशिद को फिर से तिहाड़ भेज दिया जाएगा, और उत्तर कश्मीर के लोगों की नुमाइंदगी करने वाला कोई नहीं होगा.

राशिद की रिहाई से नफा-नुकसान किसे होगा

लोकसभा चुनाव के दौरान इंजीनियर राशिद का कैंपेन उनके बेटों अबरार राशिद और असरार राशिद ने मैनेज किया था, और अब वो अपने भाई खुर्शीद अहमद के लिए चुनाव प्रचार करने जा रहे हैं.

खुर्शीद अहमद, अवामी इत्तेहाद पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उत्तरी कश्मीर की लंगेट सीट से जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. इंजीनियर राशिद 2008 और 2014 के चुनाव में निर्दलीय विधायक रह चुके हैं.

इंजीनियर राशिद का बारामूला से चुनाव जीत जाना, एक तरीके से उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती वाली राजनीतिक लाइन का प्रभाव कम हो जाना है, और यही वजह है कि दोनो ही नेता इंजीनियर राशिद को जमानत मिलने का ठीकरा बीजेपी पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

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जम्मू-कश्मीर की जिन दो सीटों से उमर अब्दुल्ला चुनाव लड़ रहे हैं, उनमें से एक बड़गाम विधानसभा सीट, असल में बारामूला लोकसभा क्षेत्र में ही आता है. असल में बड़गाम, बारामूला का वो इलाका है जहां उमर अब्दुल्ला, इंजीनियर राशिद से ज्यादा वोट पाये थे. उमर अब्दुल्ला अपनी खानदानी सीट गांदरबल से भी चुनाव लड़ रहे हैं.

अब अगर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को इंजीनियर राशिद की वजह से थोड़ा भी नुकसान होता है, तो फायदा तो बीजेपी को ही मिलेगा - और इसी कारण अब्दुल्ला और मुफ्ती, राशिद के बहाने बीजेपी के खिलाफ अपनी भड़ास निकाल रहे हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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