जवाहर सरकार के इस्तीफे में लिखी बातें ममता बनर्जी के गंभीर मुसीबत में फंस जाने का अलर्ट हैं

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ममता बनर्जी को जवाहर सरकार ने आईना दिखाने की कोशिश की है, बशर्ते अब भी मुद्दे की बात उनको समझ में आ जाये. और ये मुद्दा वही है जिसकी वजह से अभिषेक बनर्जी भी खफा बताये जा रहे थे.

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भेजे इस्तीफे में कोलकाता रेप-मर्डर केस को हैंडल करने में उनके स्टैंड को गलत बतायाहै - ध्यान देने वाली बात ये है कि ममता बनर्जी ने खुद फोन करके जवाहर सरकार को मनाने की कोशिश की है, लेकिन वो टीएमसी छोड़ देने के अपने फैसले पर अडिग बताये जा रहे हैं. जवाहर सरकार का कहना है कि 11 सितंबर को दिल्ली जाकर वो अपना इस्तीफा राज्यसभा के उपसभापति को भी सौंप देंगे.

आज तक से बातचीत में जवाहर सरकार का कहना था, मैं करीब एक महीने तक एक अनुशासित सांसद की तरह सब कुछ देखता रहा, और शांत रहा... मुझे लगता है... हालात को संभालने में बहुत सारी गलतियां हो रही हैं, और अब ये मामला बहुत अधिक जटिल हो गया है... मैंने पार्टी नेतृत्व से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी.

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जवाहर सरकार को ममता बनर्जी ने दिल्ली के मोर्चे पर लगाया था, और वो अपनी ड्यूटी भी पूरी शिद्दत से निभाते आ रहे थे, लेकिन लगता है कोलकाता रेप-मर्डर केस ने उनको भी अंदर से झकझोर कर रख दिया है. हो सकता है, ये उनकेसियासी एहसास का भी हिस्सा हो - लेकिन ये सब ममता बनर्जी के लिए तो मुश्किलें बढ़ाने वाला ही है.

1. जवाहर सरकार से ममता को ये उम्मीद नहीं रही होगी

नौकरशाह से राज्यसभा सांसद बने जवाहर सरकार से ममता बनर्जी को ऐसी उम्मीद तो बिलकुल नहीं रही होगी, लेकिन उनके पत्र से तो लगता है कि ममता बनर्जी ने खुद उनकी उम्मीदें तोड़ डाली है. अपने पत्र में जवाहर सरकार लिखते हैं कि उनको उम्मीद थी कि आरजी करअस्पताल में हुई दरिंदगी को लेकर ममता बनर्जी फौरन कोई कड़ा कदम उठाएंगी.

जवाहर सरकार को लग रहा था कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री 'पुरानी ममता बनर्जी' की तरह ही कोलकाता रेप-मर्डर केस में एक्शन लेंगी, लेकिन एक तो कोई ठोस कदम उठाया भी नहीं, दूसरे जो भी कदम उठाये बहुत देर से उठाये गये.

जवाहर सरकार ने लिखा है, 'आरजी कर अस्पताल में हुई भयानक घटना के बाद से पीड़ित हूं... और ममता बनर्जी की पुरानी शैली में आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर के साथ आपके सीधे हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहा था... लेकिन ऐसा नहीं हुआ.'

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जवाहर सरकार ने एक ऐसी बात भी कही है जिसे अभिषेक बनर्जी की नाराजगी की वजह भी माना जा रहा था. अभिषेक बनर्जी, ममता बनर्जी के भतीजे हैं, और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव भी हैं. कोलकाता रेप-मर्डर केस में शुरू से ही वो ममता बनर्जी के साथ खड़े नहीं देखे गये.

जवाहर सरकार ने लिखा है, 'मैं कुछ चीजों को स्वीकार नहीं कर सकता, जैसे भ्रष्ट अधिकारियों या डॉक्टरों को प्रमुख और शीर्ष पद मिलना.' अभिषेक बनर्जी को लेकर भी खबर यही आई थी कि वो आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की नई नियुक्ति और उसके खिलाफ एक्शन न लिये जाने से खफा थे.

जवाहर सरकार ने अपने पत्र में कहा है कि जो भी हालात समझ में आ रहे हैं, वो तृणमूल कांग्रेस सरकार के 'कुछ पसंदीदा लोगों और भ्रष्ट लोगों के अनियंत्रित दबंग रवैये' के खिलाफ जनता के गुस्से का प्रतिबिंब है.

माना गया था कि ममता बनर्जी की टीम के सीनियर अफसरों, जिनमें कुछ डॉक्टर भी शामिल हैं, ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल रहे संदीप घोष को बचाने के लिए मुख्यमंत्री को गुमराह किया - सवाल भी यही है, ममता बनर्जी ने खुद से तथ्यों को समझने की कोशिश क्यों नहीं की?

2. राज्यपाल ने भी ममता को लिखा है

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी ममता बनर्जी को बेहद सख्त लहजे में एक पत्र लिखा है. वैसे राज्यपाल कोलकाता कांड को लेकर पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक से मिलकर अपनी रिपोर्ट सौंप चुके हैं.

कोलकाता रेप-मर्डर केस और भ्रष्टाचार मामले को लेकर गवर्नर सीवी आनंद बोस ने ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार को कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग बुलाने के निर्देश दिये हैं.

राज्यपाल का कहना है कि कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को बर्खास्त किया जाना चाहिये. राज्य सरकार को राज्यपाल ने लिखा है, सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकती है... शुतुरमुर्ग जैसा रवैया नहीं चलेगा... राज्य को संविधान और कानून के शासन के तहत काम करना चाहिये.

3. कौन हैं जवाहर सरकार

जवाहर सरकार 1975 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, और वो केंद्र सरकार में कई अहम पदों पर रह चुकेहैं. 2012 में यूपीए सरकार में जवाहर सरकार को प्रसार भारती का सीईओ बनाया गया था, लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही जवाहर सरकार ने 2021 में इस्तीफा दे दिया.

अगस्त, 2021 में ममता बनर्जी ने जवाहर सरकार को राज्यसभा भेजा था, और तभी से वो केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार हमला बोलने की अपनी ड्यूटी निभाते आ रहे हैं - लेकिन अब उनका निशाना तत्काल प्रभाव से बदल गया है.

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और एक बार फिर राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही जवाहर सरकार ने इस्तीफे का फैसला कर लिया है.

4. क्या जवाहर सरकार काकदम राजनीतिक है?

ये मामला जवाहर सरकार की बातों से ही समझा जा सकता है. वो कहते हैं, 'मैं अपने सिद्धांतों पर अड़ा हुआ हूं... राज्यसभा सांसद के रूप में पद छोड़ रहा हूं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं अपने सिद्धांतछोड़ रहा हूं.'

जवाहर सरकार ने ममता बनर्जी को ये भी याद दिलाने की कोशिश की है कि वो केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों, खासकर पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगातार लगाते रहे हैं, लेकिन कोलकाता कांड को हैंडल किये जाने के तरीके के साथ साथ भ्रष्टाचार उनको बर्दाश्त नहीं हो रहा है. कहते हैं, 'भ्रष्टाचार की बीमारी बंगाल को जकड़ चुकी है... और बंगाल इसे स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है.'

जवाहर सरकार ये भी बताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनको लगा था कि पहले की ही तरह ममता बनर्जी एक्शन भी लेंगी और आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों से सीधे बात करेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

जवाहर सरकार का मानना है कि अगर राज्य सरकार भ्रष्ट डॉक्टरों के गठजोड़ को तोड़कर जिम्मेदार अधिकारियों पर एक्शन लेती तो पश्चिम बंगाल में बहुत पहले ही सामान्य स्थिति बहाल हो चुकी होती.

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देखा जाये तो जवाहर सरकार ने भी ममता बनर्जी पर उनके राजनीतिक विरोधियों वाले अंदाज में ही हमला बोलते हुए कठघरे में खड़ा कियाहै, लेकिन ये अंदाज बीजेपी के ज्यादा करीब है, या कांग्रेस के अभी थोड़ा इंतजार करना होगा.

5. ममता बनर्जी गंभीर संकट में हैं. लेकिन...

कोलकाता रेप-मर्डर केस को लेकर जवाहर सरकार से पहले भी टीएमसी के कई नेता आवाज उठा चुके हैं. ऐसे पहले नेता तो अभिषेक बनर्जी ही माने जाएंगे, लेकिन वो सुखेंदु शेखर रॉय, शांतनु सेन या जवाहर सरकार की तरह सामने नहीं आये थे. न ही किसी ने जवाहर सरकार की तरह पार्टी ही छोड़ी है.सुखेंदु शेखर रॉय को तो सरकार की आलोचना करने पर पुलिस का नोटिस भी आ गया था, जिसके लिए उनको हाई कोर्ट जाना पड़ा है.

ट्रेनी डॉक्टर से रेप और उसकी हत्या के मामले को देखें तो जवाहर सरकार, ममता बनर्जी का साथ छोड़ने वाले तीसरे नेता हैं. पहले भी कई नेताओं ने ममता बनर्जी का साथ छोड़ा है, लेकिन हर बार वो और भी मजबूत होकर उभरती आई हैं. शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय तो गवाह भी हैं, और मिसाल भी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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