राहुल गांधी की विदेश यात्राओं पर क्यों हमलावर हो जाती है बीजेपी? 5 वजह...

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी के विदेश पहुंचते ही बीजेपी नेता उन पर हमलावर हो जाते हैं. उनकी एक-एक कदम में खामियां निकालने की कोशिश की जाती है. भाजपा की ओर से इन यात्राओं पर तीखी प्रतिक्रियाएं यह संकेत देती हैं कि पार्टी राहुल की विदेश यात्राओं से किस तरह महसूस करती है.पर यह भी सत्य है कि राहुल गांधी विदेश में जाकर भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के विरोध में कई बार ऐसी बातें कह जाते हैं जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी होती है.हालांकि राहुल की यात्राओं से बीजेपी को फायदा भी होता है. पार्टी को कुछ हफ्तों के लिए मसाला मिल जाता है जिससे पार्टी लगातार कांग्रेस और राहुल गांधी को राष्ट्रविरोधी करार देने का काम करती है.

राहुल गांधी ने टेक्सास (अमेरिका) में नौ सितंबर को भारतीय समयानुसार सुबह सुबह दो कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. इस दौरान राहुल गांधी अपनीपूर्ववर्ती यात्राओं की तरह यहां भी बीजेपी और आरएसएस पर हमलावर रहे. राहुल गांधी ने कहा बीजेपी भारत के संविधान पर हमला कर रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी का डर समाप्त हो गया है. यह भारत के लोगों की उपलब्धि है जिन्होंने बताया कि हम भारत के संविधान पर किसी हमले को स्वीकार नहीं करेंगे. जाहिर है इस तरह की बातें भारतीय जनता पार्टी को कड़वी लगी ही होंगी. राहुल के भाषण के पहले इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने राहुल गांधी का परिचय इस तरह कराया था कि 'वो पप्पू नहीं है.'भारतीय जनता पार्टी ने इस बात कोलपक लिया.बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है, कल्पना कीजिए कि कोई राहुल गांधी का परिचय इस तरह से करा रहा हो कि वो पप्पू नहीं हैं और सैम पित्रोदा ने यह कर दिखाया है.

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1-राहुल के पप्पू वाला नरेटिव कमजोर पड़ता है

भाजपा अक्सर यह तर्क देती रही है कि राहुल गांधी के पास नेतृत्व की क्षमता का अभाव है और वो देश की समस्याओं को हल करने में सक्षम नहीं हैं.आम तौर देश में बहुतेरे लोग कमोबेश यही समझते हैं कि राहुल गांधी अपरिपक्व नेता हैं. लेकिन जब राहुल गांधी विदेश यात्राओं के दौरान विभिन्न मुद्दों पर अपने विचारों को स्पष्ट और तार्किक ढंग से रखते हैं, तो आम भारतीय के मन में बैठा बीजेपी का नैरेटिव कमजोर पड़ता है. जिस देश में अंग्रेजी बोलने वाले को बुद्धिमान और योग्य समझा जाता है, उस देश के लोग जब किसी को विदेशी विश्वविद्यालयों में बोलते हुए सुनते हैं तो लगता है कि यह कोई बड़ा बुद्धिमान शख्स ही होगा. राहुल गांधी को पप्पू समझने वाले लोगों का भ्रम शायद दूर न हो जाए.

शायद यही कारण है कि इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने टेक्सास में राहुल गांधी का परिचय कराते हुए कहा कि राहुल गांधी के पास एक विज़न है. ये उस बात के विपरीत है जिसके लिए बीजेपी ने करोड़ों रुपये ख़र्च किए हैं. वो पप्पू नहीं हैं. वो काफ़ी शिक्षित इंसान हैं और बहुत कुछ पढ़ा है. वो एक रणनीतिकार हैं जिसके पास किसी भी मुद्दे पर गहरा विचार है.

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2-विदेशी मीडिया में राहुल के बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ दुष्प्रचार से सरकार परेशान होती है

राहुल गांधी अपनी विदेश यात्राओं के दौरान केवल भारतीय प्रवासियों से ही नहीं मिलते, बल्कि वह अंतरराष्ट्रीय संगठनों, विश्वविद्यालयों और प्रमुख लोगों के साथ भी मिलते हैं और विचार-विमर्श करते हैं. जब राहुल गांधी विदेशी मीडिया में मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं तो यह भाजपा के लिए एक चुनौती बन जाता है. विदेशी मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर राहुल की आलोचना के चलते भाजपा सरकार की नीतियों की वैश्विक स्तर पर भी जांच होती है.

एक उदाहरण टेक्सास का ही लीजिए. राहुल गांधी ने आज कहा, कि आरएसएस मानता है कि भारत एक विचार है, जबकि हम मानते हैं कि भारत कई विचारों से मिलकर बना है. हम अमेरिका की तरह मानते हैं कि हर किसी को सपने देखने का अधिकार है, सबको भागीदारी का मौक़ा मिलना चाहिए और यही लड़ाई है. राहुल गांधी के इस भाषण का मर्म विदेशों में यही निकलाता है कि भारत में सबको समान भागीदारी का मौका नहीं मिल रहा है. क्योंकि मोदी सरकार यह करने नहीं दे रही है.

राहुल गांधी कहते हैं कि भारत के संविधान में भाषा, धर्म, परंपरा और जाति हर किसी के सम्मान की बात की गई है. संविधान आधुनिक भारत की बुनियाद है. चुनाव के दौरान मैंने देखा कि लोग स्पष्ट तौर पर समझ रहे थे कि बीजेपी हमारी परंपरा, भाषा, राज्य और इतिहास पर हमला कर रही है. जाहिर है कि इसे संविधान पर हमले के तौर पर ही पूरी दुनिया जानेगी. दुनिया को ऐसा लगेगा कि भारत में कोई कानून नाम की चीज नहीं रह गई है. 2023 में भी राहुल गांधी ने अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में ऐसी कई बातें की थीं जो भारतीय लोकतंत्र पर सवाल खड़ा करता था.भाजपा ने इस यात्रा को देशद्रोह तक करार दिया था.

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3-राहुल की बढ़ती वैश्विक पहचान से भी चिंतित होती है बीजेपी

राहुल गांधी का भारत में एक मजबूत विपक्षी नेता के रूप में उभरना और उनकी विदेश यात्राओं के दौरान दी जाने वाली सार्वजनिक भाषणों की लोकप्रियता भाजपा के लिए चिंता का विषय हो जाता है. जब भी राहुल गांधी विदेश में भारतीय प्रवासी समुदाय से संवाद करते हैं या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की समस्याओं पर बात करते हैं, वे एक प्रभावशाली वैश्विक नेता के रूप में उभरते हैं. उनके भाषण अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छाए रहते हैं, जिससे उनका राजनीतिक कद और अधिक बढ़ता है.

भाजपा, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार, वैश्विक स्तर पर अपनी छवि को लेकर बेहद संवेदनशील है. मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की ताकत और विकास की कहानी को सामने रखा है. ऐसे में राहुल गांधी का विदेशों में जाकर भारतीय लोकतंत्र, मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलना भाजपा को असहज करता है. दूसरे कांग्रेस राहुल गांधी के इन विदेश यात्राओं के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में पेश करती है.

4-राहुल की यात्राओं से विपक्ष में राहुल के प्रति भरोसा बढ़ता है

राहुल गांधी के विदेश दौरों से विपक्षी दलों में उनकी साख बढती है. कांग्रेस जानती है कि देश में अभी पूर्ण बहुमत लेकर सरकार बनाना काफी कठिन है.सहयोगी दलों के साथ ही मिलकर भविष्य में बीजेपी को सत्ता से हटाया जा सकता है. पर विपक्ष में भी कई पीएम पद के दावेदार हो जाते हैं. विपक्ष में भी बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें राहुल गांधी पर पीएम पद संभालने लायक योग्यता नहीं दिखती है. राहुल गांधी की सफल विदेश यात्राओं से विपक्ष का भरोसा उनको लेकर बढता है.राहुल के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और उनके विदेश दौरों के दौरान बढ़ती लोकप्रियता के कारण, विपक्षी दलों को एक स्पष्ट संकेत मिलता है कि राहुल गांधी मोदी सरकार के खिलाफ एक मजबूत नेतृत्व कर सकते हैं.जाहिर है कि राहुल के नेतृत्व में विपक्ष का एकजुट होना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती की तरह है.

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5-राहुल गांधी का नई पीढ़ी से जुड़ाव भी है बीजेपी के लिए चिंता का कारण

राहुल गांधी की विदेश यात्राओं का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वह वहां पढ़ने और काम करने वाले भारतीय युवाओं से जुड़ते हैं. इन युवाओं के विचार और दृष्टिकोण वैश्विक होते हैं, और वे भारतीय राजनीति में पारंपरिक सोच से इतर बदलाव की उम्मीद करते हैं. राहुल का युवा भारतीय प्रवासियों के साथ जुड़ाव उन्हें एक प्रगतिशील और आधुनिक नेता के रूप में प्रस्तुत करता है. जो भाजपा की राष्ट्रवादी और पारंपरिक राजनीति के विपरीत होते हुए भी नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में उन्हें खड़ा करता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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