बुलडोजर को फिर से मुद्दा बनाना अखिलेश यादव की बड़ी गलती, यूपी उपचुनाव में भारी पड़ सकते हैं योगी

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बुलडोजर एक्शन पर तो रोक लगी है, लेकिन बहस तेज हो गई है. एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक जरूर है, लेकिन बहस भला क्यों रुके. वो भी तब जब उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हों.

बुलडोजर को तो यूपी में बीजेपी डबल इंजन सरकार में सख्त प्रशासन के सिंबल के तौर पर प्रचारित करती आई है - और ऐसी ही तस्वीर समय समय पर बीजेपी शासित अन्य राज्यों में भी दिखाने की कोशिश रहती है.

बुलडोजर को लेकर एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव आमने सामने भिड़े हुए हैं. दोनो नेताओं को 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों से पहले भी एक दूसरे के खिलाफ ऐसे ही आक्रामक अंदाज में देखा गया था.

ये बहस शुरू हुई है बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद. देश भर में कई जगह हुए बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी की थी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच ने का कहना था, किसी का घर महज इसलिए कैसे गिराया जा सकता है, क्योंकि वो किसी केस में आरोपी है?

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बुलडोजर यूपी विधानसभा चुनाव में तो मुद्दा बना ही, लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक विरोधियों को भरपूर निशाना बनाया. प्रधानमंत्री मोदी ने एक चुनावी रैली में कहा था, सपा और कांग्रेस वाले अगर सरकार में आये, तो रामलला को फिर से टेंट में भेज देंगे... और राम मंदिर पर बुलडोजर चलवा देंगे.

लोकसभा चुनाव में तो बुलडोजर का बिलकुल भी असर नहीं हुआ, लेकिन उसके दो साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में तो बुलडोजर का खासा प्रभाव देखा गया था - और इसीलिए ऐसा लगता है कि यूपी में होने जा रहे उपचुनाव भी बुलडोजर विमर्श के असर से नहीं बचने वाले हैं.

अखिलेश यादव ने यूं ही मुद्दा बना दिया

यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 'बुलडोजर बाबा' कह कर बुलाया जाने लगा था, और इसके लिए काफी हद तक अखिलेश यादव ही जिम्मेदार लगते हैं. अगर चुनावों से पहले वो तूल नहीं दिये होते तो मामला इतना आगे नहीं बढ़ता कि चुनावी मुद्दा ही बन जाये.

सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर एक्शन पर आदेश के बाद योगी आदित्यनाथ तो मौके के इंतजार में बैठे हुए थे, जैसे ही अखिलेश यादव का रिएक्शन आया बहस चालू हो गई. अखिलेश यादव भी कहां छोड़ने वाले थे, पहले की ही तरह शुरू हो गये.

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2021 में अखिलेश यादव ने कहा था, योगी जी के कहने पर पुलिस लोगों के घर पर बुलडोजर चला देती है... हमारी सरकार आएगी तो हम भी चलवाएंगे.

और एक बार फिर अखिलेश यादव ने बिलकुल उसी लहजे में कहा है, अगर 2027 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो बुलडोजर का रुख गोरखपुर की ओर होगा. अखिलेश यादव के इस बयान पर मीडिया की तरफ से सवाल हुआ, तो बोले - गलत क्या कहा?

मीडिया का अगला सवाल था, गोरखपुर में कुछ अवैध है क्या? तो अखिलेश यादव ने कोर्ट कचहरी की तरफ मामले को बढ़ाते हुए सवाल टाल दिया.

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सलाह देते हुए अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर कहा है, अगर आप और आपका बुलडोजर इतना ही सफल है तो अलग पार्टी बनाकर बुलडोजर चुनाव निशान लेकर चुनाव लड़ जाइये... आपका भ्रम भी टूट जाएगा और घमंड भी.

अपनी पोस्ट में बगैर किसी का नाम लिये, बीजेपी नेतृत्व से योगी आदित्यनाथ के टकराव पर अखिलेश यादव का कहना है, वैसे भी आपके जो हालात हैं... उसमें आप बीजेपी में होते हुए भी नहीं के बराबर ही हैं... अलग पार्टी तो... आपको आज नहीं तो, कल बनानी ही पड़ेगी.

मीडिया के साथ बातचीत में अखिलेश यादव ने समझा रहे थे, बुलडोजर में दिमाग नहीं होता है... उसमें स्टीयरिंग होता है, जिससे वो चलता है... उत्तर प्रदेश की जनता कब किसका स्टीयरिंग बदल दे... या दिल्ली वाले कब किसका स्टीयरिंग बदल दें.’

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बेशक लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अब तक के सबसे अच्छे प्रदर्शन के बाद अखिलेश यादव आत्मविश्वास से लबालब हैं, लेकिन उपचुनावों में भी वही दांव चलेगा, इस बात की क्या गारंटी है. और वैसे भी बीजेपी की हार की तोहमत से उबरने के लिए योगी आदित्यनाथ ने उपचुनावों के लिए पहले से ही कमर कस रखी है.

योगी आदित्यनाथ तो मौके को भुनाने लगे हैं

सवाल ये है कि बुलडोजर पर बहस से किसे फायदा, और नुकसान किसे हो सकता है?

कहीं ऐसा तो नहीं कि अखिलेश यादव को लगने लगा हो कि जैसे अयोध्या में राम मंदिर बन जाने का भी लोकसभा चुनावों में कोई असर नहीं हुआ, तो बुलडोजर मुद्दे की भी मियाद खत्म हो चुकी है. अयोध्या की जीत के बाद अखिलेश यादव को ऐसा लगना स्वाभाविक है, लेकिन अयोध्या के बाद मिल्कीपुर से लेकर करहल तक बीजेपी की जीत योगी आदित्यनाथ किस हद तक मेहनत कर रहे हैं, अखिलेश यादव भी देख ही रहे होंगे.

अखिलेश यादव के बयान पर योगी आदित्यनाथ का भी रिएक्शन आ गया है, और अंदाज भी पहले जैसा ही है. कहा है, बुलडोजर पर हर एक व्यक्ति के हाथ फिट नहीं हो सकते... इसके लिए दिल और दिमाग दोनों चाहिये.

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बीजेपी के पुराने हथियार 'मुल्ला मुलायम' वाले लहजे में ही अखिलेश यादव को टारगेट करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा है, बुलडोजर जैसी क्षमता और दृढ़ प्रतिज्ञा जिसमें हो, वही इसे चला सकता है... दंगाइयों के आगे नाक रगड़ने वाले लोग बुलडोजर के सामने वैसे ही पस्त हो जाएंगे.

अव्वल तो बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद खामोशी छा जानी चाहिये थी, लेकिन ये तो बहस और भी तेज हो गई है - बुलडोजर एक्शन और बुलडोजर पर बहस बिलकुल अलग अलग चीजें हैं, लेकिन दोनो के मूल में एक ही बात है. राजनीति. बल्कि, चुनावी राजनीति.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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