उर्वरक जिहाद.. भूमि जिहाद...बाढ़ जिहाद, क्या योगी से आगे निकलने की होड़ में हैं हिमंता

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता और राजनीति में उनकी बढ़ती ताकत को आम तौर पर लोग उनके हिंदुत्व के पोस्टर बॉय वाली छवि को मानते हैं. उनकी नकल करने की कोशिश आजकल पूरे देश में होती है. असम के मुख्यमंत्री हिमन्ता बिस्व सरमा भी योगी की राह के अनुयायी रहे हैं. पर अब सरमा के क्रियाकलाप बताते हैं कि वो जल्दी ही योगी से आगे निकलने की होड़ में हैं या उनके कड़े प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरने की कोशिश कर रहे हैं. योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ कड़ा कानून बनाया तो हिमंता ने भी असम में कुछ ऐसा ही करने का मन बनाया. पर अब हिमंता का टार्गेट लव जिहाद से आगे का है. हिमंता असम में और भी कई तरह के जिहाद की बातें करने लगे हैं. हिमंता को लगता हैकि राज्य में मुसलमानों को जमीन की बिक्री पर अंकुश लगाने की जरूरत है. उनका मानना है कि भूमि जिहाद को रोकने के लिए सरकार ऐसे कानून ला सकती है कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच भूमि के लेनदेन के लिए मुख्यमंत्री की सहमति अनिवार्य हो. असम में घटी हर घटना में उन्हें एक अलग किस्म का जिहाद नजर आता है. पिछले दिनों उन्होंने असम में उर्वरक जिहाद का भी जिक्र किया था. फिलहाल बाढ़ जिहाद के चलते अभी सरमा के टार्गेट पर एक बंगाली मुस्लिम का शिक्षण संस्थान है. सरमा ने कहा है कि इस संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों को असम की सरकारी नौकरियों में जगह नहीं मिल सकेगी. इसके लिए हिमंता जल्दी ही कोई कानून भी ला सकते हैं.

1- हिमंता के कितने जिहाद

हिमंता के लिए हिंदुत्व का पोस्टर बॉय बनने की धुन आज की नहीं है. भारतीय जनता पार्टी जॉइन करने के बाद से ही उन्होंने हार्डकोर हिंदुत्व की राह पकड़ ली थी. मुस्लिम आबादी को लेकर लगातार बयान,चाइल्ड मैरेज के नाम पर मुस्लिम शादियों में रुकावट डालने की कोशिश या सीएए और एनआरसी की बात रही हो, हिमंता मुस्लिम समुदाय के खिलाफ इस तरह से आग उगलते हैं जिसका मुकाबला खांटी भाजपाई भी नहीं कर सकते. अब तो यह हाल है कि हिंदुत्व के पोस्टर बॉय योगी आदित्यनाथ को भी वो पीछे छोड़ने की तैयारी में हैं. बुधवार को निजी स्वामित्व वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेघालय (यूएसटीएम) पर उन्होंने अपना हमला तेज कर दिया. सरमा ने कहा कि उनकी सरकार इस संभावना पर विचार कर रही है कि विश्वविद्यालय से स्नातक करने वाले छात्र असम सरकार द्वारा विज्ञापित पदों के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए पात्र नहीं होंगे.

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इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि यूएसटीएम की रैंकिंग एनआईआरएफ के तहत शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में से एक है. यह संस्थान असम के एक बंगाली-मुस्लिम महबुबुल हक के स्वामित्व वाले फाउंडेशन द्वारा संचालित है, जो संस्थान के चांसलर भी हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार इस महीने, हक को सरमा की ओर से कई हमलों का सामना करना पड़ा है. सरमा का आरोप है कि इस परिसर के निर्माण के लिए वनों और पहाड़ियों की कटाई का ही नतीजा है कि गुवाहाटी को अचानक बाढ़ का सामना करना पड़ा. सरमा का कहना है ये सब असम के खिलाफ बाढ़ जिहाद के कारण हुआ है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण विश्वविद्यालय की वास्तुकला, मुख्य दरवाज़े पर तीन गुम्बदों का होना है जो जिहाद का प्रतीक है.

सरमा ने गुवाहाटी में आई बाढ़ का कारण पहाड़ियों में वनों की कटाई को बताया है. इसके लिए उन्होंने वहां मेडिकल कॉलेज के लिए परिसर में चल रहे निर्माण कार्य की ओर इशारा किया.उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यूएसटीएम मालिक ने जिहाद शुरू कर दिया है. हम भूमि जिहाद की बात करते हैं, उन्होंने असम के खिलाफ बाढ़ जिहाद शुरू कर दिया है. वरना कोई भी इतनी बेरहमी से पहाड़ नहीं काट सकता.

सरमा ने पहले बंगाली-मुस्लिम किसानों पर "उर्वरक जिहाद" का आरोप लगाया था और कहा था कि सब्जियां उगाने में उर्वरक के अनियंत्रित उपयोग के कारण लोगों में बीमारी हुई है. उन्होंने राज्य में मुसलमानों पर भूमि जिहाद का आरोप लगाते हुए उन्हें जमीन की बिक्री पर अंकुश लगाने के फैसले की भी घोषणा की और कहा है कि सरकार लव जिहाद के लिए आजीवन कारावास की सजा वाला एक कानून लाएगी.

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असम सरकार ने गुरुवार को ही मुसलमानों के विवाह और तलाक को पंजीकृत करने के कानून को निरस्त करने के लिए एक विधेयक पेश किया, जिसमें कहा गया कि इसमें समुदाय के नाबालिगों के विवाह की अनुमति देने की गुंजाइश है.

2-योगी का हिंदुत्व सरमा के सामने शर्मा जाएगा

योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व के फायरब्रांड लीडर रहे हैं. इसके लिए वो भारतीय जनता पार्टी के मोहताज भी नहीं रहे हैं. योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी में आने से पहले गोरखपुर में अपनी हिंदू युवा वाहिनी बनाई हुई थी. पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपने आक्रामक हिंदुत्व के चलते ही वे बीजेपी के दुलारे बन गए.बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके टोन में आक्रामकता कुछ कम हो गई थी. चीफ मिनिस्टर बनने के बाद तो वो बिल्कुल राजधर्म की बात करने लगे थे. पर लोकसभा चुनावों में यूपी में मिली करारी शिकस्त के चलते पिछले कुछ दिनों से योगी की राजनीति में उनका पुराना रूप देखा जा रहा है.

जुलाई महीने के अंत में, राज्य सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया, जिससे उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 को और अधिक सख्त बना दिया गया. यूपी विधानसभा ने 30 जुलाई को संशोधन विधेयक पारित किया, जिसमें लव जिहाद को खत्म करने के अपने इरादे को फिर से रेखांकित किया गया.
कांवड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे विक्रेताओं और दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर अपना नाम प्रदर्शित करने का आदेश पारित किया. बांग्लादेश संकट और पड़ोसी देशों में हिंदुओं की स्थिति पर भी उन्होंने चर्चा की. योगी ने कहा कि बांग्लादेश के हिंदुओं की रक्षा करना और संकट के समय में उनका समर्थन करना हमारा कर्तव्य है और हम हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे. परिस्थितियां कैसी भी हों, हमारे मूल्य अटल रहते हैं. बांग्लादेश में हिंदू होना कोई गलती नहीं बल्कि एक आशीर्वाद है.अयोध्या रेप केस में आरोपी के मुसलमान होने को उन्होंने मुद्दा बनाया और सख्त एक्शन भी लिए.

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राजनीतिक विश्लेषक सौरभ दुबे कहते हैं कि योगी के सभी एक्शन में हिंदुओं की सुरक्षा वाली भावना दिखती है. जबकि हिमंता के फैसलों में एक विशेष समुदाय के प्रति अच्छी भावना नहीं दिखती है. शायद यह योगी से आगे निकलने की होड़ ही है.

3-क्यों होड़ लगी है हिंदुत्व पर जोर देने की

2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को मिली शिकस्त से पार्टी ने बहुत कुछ सीखा है. सबसे बड़ी बात यह समझ में आ गई है कि मुस्लिम समाज का उन्हें वोट बिल्कुल भी नहीं मिलने वाला है. दूसरी बात यह भी है कि जिस तरह कांग्रेस लगातार जातीयजनगणना, आरक्षण के कोटे को 50 प्रतिशत से बढाने की बात कर रही है उसका मुकाबला करने के लिए बीजेपी को सिर्फ हिंदुत्व का उभार ही नजर आ रहा है. सरकार जिस तरह से वक्फ बोर्ड संशोधन कानून को लाने के लिए उत्साहित नजर आ रही है उसका भी कारण यही है. हिंदुत्व का ध्रुवीकरण होने पर विपक्ष के सारे तीरों से निपटने की बीजेपी को ताकत मिल जाएगी. दूसरी बात पार्टी के अंदर दूसरे नेताओं और दूसरेगुटों से मिली चुनौती से निपटने का भी है. हिंदुत्व इसके लिए एक बड़े हथियार के रूप में यह काम कर रहा है. अगर कोई नेता हिंदुत्व को लेकर बहुत आक्रामक है तो पार्टी में उसके विरोधी शांत रहते हैं.

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जैसा अभी उत्तर प्रदेश में हुआ है. योगी आदित्यनाथ के हिंदुत्व को लेकर उनके तीखे तेवरों ने उनके खिलाफ सर उठा रहे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को शांत कर दिया है. पिछले हफ्ते कम से कम 2 मौकों पर केशव प्रसाद मौर्य ने योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की है. हिमंता बिस्व सरमा को भी पार्टी में सर्वाइव करने के लिए या सबसे आगे निकलने के लिए हिंदुत्व का पोस्टर बॉय बनना ही होगा. वैसे असम का मामला भी देश के अन्य हिस्सों से अलग है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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