राहुल गांधी के हाथरस दौरे में निशाने पर तो योगी ही हैं, अखिलेश पर भी कोई असर होगा क्या?

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राहुल गांधी ने हाथरस पहुंचकर हादसे के पीड़ितों का दर्द बांटने की कोशिश की, सांत्वना दी और घटना को दुखद बताया. 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे.

ये सत्संग भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल जाटव के नाम पर आयोजित किया गया था. हादसा तब हुआ जब नारायण साकार हरि सत्संग खत्म करने के बाद जा रहे थे, और वहां आये लोग उनका चरण-रज लेने के लिए उनकी गाड़ी के पीछे दौड़े. इसी दौरान हुई भगदड़ में लोगों मारे गये. पुलिस की नौकरी छोड़ बाबा बने सूरजपाल के सत्संग के लिए जितने लोगों की परमिशन ली गई थी, करीब उसका तीन गुणा लोग पहुंच गये थे - और भीड़ प्रबंधन का कोई खास इंतजाम नहीं था.

राहुल गांधी ऐसे ही 2020 में गैंग रेप की एक घटना के बाद हाथरस जा रहे थे तो पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. हालांकि, अगले दिन वो अपनी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ पीड़ित परिवारों के पास पहुंच कर मिल पाये थे.

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हादसे को लेकर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही की बात तो पहले से ही चल रही थी, राहुल गांधी ने भी उसी बात को उठाया है, और कहा है कि पता लगाया जाना चाहिये. राहुल गांधी ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से खुले दिल से पीड़ितों को मुआवजा देने की अपील की, और ये भी बताया कि वो इस मुद्दे को संसद में भी उठाएंगे.

हाथरस में कही गई राहुल गांधी की बातों से ये समझना मुश्किल हो रहा है कि एक तरफ तो वो ये मुद्दा संसद में उठाने की बात कर रहे हैं, और ऐन उसी वक्त वो ये भी कहते हैं कि वो इस मामले के राजनीतिकरण के पक्ष में नहीं हैं - भला ऐसा कैसे हो सकता है?

राहुल गांधी का 'गैर-राजनीतिक' हाथरस दौरा

हाथरस में पीड़ित परिवारों से मुलाकात के दौरान राहुल गांधी के साथ कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेता भी पहुंचे हुए थे. यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय भी मौके पर मौजूद थे. हाथरस सत्संग के दौरान हुई भगदड़ की घटना के बारे में राहुल गांधी ने पीड़ित परिवार से जानकारी ली, और उनको आश्वस्त किया कि कांग्रेस परिवारों के साथ है.

राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, इस हादसे में बहुत से परिवारों को नुकसान हुआ है... काफी लोगों की मौत हुई है, लेकिन मैं इस घटना को राजनीतिक नजरिये से नहीं देख रहा हूं... प्रशासन में कमी तो है... गलतियां हुई हैं... इसका पता लगाना चाहिये.

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राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या बीजेपी सरकार का नाम तो नहीं लिया, लेकिन प्रशासन की तरफ से हुई लापरवाही की बात जरूर उठायी. बोले, पुलिस का जो इंतजाम होना चाहिये था, वो नहीं हुआ.

कांग्रेस नेता का इस बात पर खास जोर था कि लोगों को मुआवजा सही मिले, और वो जल्दी मिले. बोले, ये गरीब परिवार हैं... और मुश्किल समय है. बहुत दुख में हैं, सदमे में हैं.

राहुल ने कहा, मैं यूपी के मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि मुआवजा दिल खोल कर मिलना चाहिये... इस समय इसकी जरूरत है... देर नहीं होनी चाहिये... 6 महीने या एक साल बाद दिया गया तो किसी को फायदा नहीं होगा.

राहुल गांधी ने ये बात जोर देकर कही कि वो मामले का राजनीतिकरण नहीं करना चाहते, लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि वो इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे और राजनीति नहीं होगी. अभी कितने दिन हुए, राहुल गांधी ने लोकसभा में एक अग्निवीर के परिवार को कोई भी आर्थिक मदद न मिलने का मुद्दा जोर शोर से उठाया था - और उस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब भी दिया था.

और उसके बाद कांग्रेस और बीजेपी दोनों तरफ से एक दूसरे पर झूठ बोलने के आरोप लगाये जाने लगे. पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे पर संसद को गुमराह करने का आरोप लगाया, और अब ये मामला स्पीकर ओम बिरला के पास भी पहुंचा है. बीजेपी की तरफ से राहुल गांधी के खिलाफ शिकायद दर्ज कराई गई है.

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असल में, राहुल गांधी ने अग्निवीर के पिता के बयान का वीडियो दिखाते हुए कोई भी आर्थिक मदद न मिलने का आरोप लगाया था, उसके बाद सेना का बयान आ गया, जिससे राजनाथ सिंह के बयान की पुष्टि हो रही थी. हाथरस पीड़ितों की ही तरह पंजाब में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी अग्निवीर के परिवार से भी मिलने गये थे - और उनसे हुई बातचीत के आधार पर ही मामला संसद में उठाया था.

अब वो मामला काफी तूल पकड़ चुका है, क्योंकि एक ही मुद्दे पर सच तो कोई एक ही बोल सकता है. जाहिर है, अगले सेशन में ये चर्चा तो होगी ही कि राहुल गांधी और राजनाथ सिंह में से झूठ कौन बोल रहा है - तो क्या इसीलिए शुरू से ही राहुल गांधी का इस बात पर जोर है कि वो हाथरस हादसे का राजनीतिकरण नहीं चाहते हैं.

हाथरस पर राजनीति कैसे नहीं होगी?

ये हादसा और राहुल गांधी का हाथरस दौरान ऐसे वक्त हुआ है, जब उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दल उपचुनावों की तैयारी कर रहे हैं. एक विधायक को अदालत से सजा हो जाने और और 9 विधायकों के लोकसभा पहुंच जाने की वजह से यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं.

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हाथरस हादसे पर तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं, लेकिन घटना को लेकर निशाने पर आये 'भोले बाबा' यानी सूरजपाल जाटव को सीधे सीधे कोई जिम्मेदार नहीं बता रहा है. यहां तक कि पुलिस की एफआईआर में भी सूरजपाल का नाम नहीं है. मुख्य आरोपी पुलिस की पकड़ के बाहर है, लेकिन करीब आधा दर्जन लोग गिरफ्तार किये गये हैं.

घटना को लेकर हर कोई स्थानीय प्रशासन के सिर पर ठीकरा फोड़ रहा है, और राहुल गांधी भी उनमें शामिल हैं - लेकिन घायलों को सही इलाज न मिल पाने की भी शिकायतें सुनने को मिल रही हैं. बताते हैं कि घायलों को अस्पताल पहुंचाये जाने के बाद डॉक्टरों से लेकर ऑक्सीजन तक की भी कमी देखी गई, लेकिन ऐसी बातें तो सरकार की तरफ से पहले भी खारिज की जाती रही हैं - योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही महीने बाद 2017 में गोरखपुर के अस्पताल में बच्चों की मौत का मुद्दा तो याद ही होगा.

राहुल गांधी भले ही अपने दौरे के गैरराजनीतिक होने का दावा करें, लेकिन राजनीति तो पहले ही दिन शुरू हो गई थी जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बगैर किसी का नाम लिये सूरजपाल जाटव के साथ फोटो का जिक्र किया. असल में हाथरस की घटना के कुछ ही देर बाद सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें शेयर की जाने लगीं. तस्वीरों में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव हैं, और वो नारायण साकार हरि की जय जयकार करते हुए तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर चुके हैं. उनकी पोस्ट के स्क्रीनशॉट ही शेयर किये जा रहे हैं.

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बाद में अखिलेश यादव की भी प्रतिक्रिया आई, बीजेपी के लोग सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें चलवा रहे थे, ये इनकी पुरानी आदत है... अभी आधा हारे हैं, और आगे पूरा हार जाएंगे... किसी पर आरोप लगाने से कोई फायदा नहीं होगा... सबको मालूम होता है कि ऐसे कार्यक्रमों में जितने लोग बुलाए जाते हैं, उससे कई गुना ज्यादा लोग आते हैं... ऐसे में ये जिम्मेदारी प्रशासन की है कि सुरक्षित तरीके से कार्यक्रम संपन्न हो.

अब जबकि राजनीति योगी आदित्यनाथ बनाम अखिलेश यादव के रूप में शुरू हो चुकी है, राहुल गांधी चाहकर भी इसे गैरराजनीतिक नहीं रख सकते. बल्कि, उनकी अपनी अलग ही और खास दिलचस्पी होगी.

ऐसे सारे ही बाबाओं के पक्ष में लोगों की भक्ति खड़ी हो जाती है. और बाबाओं के पीछे लोगों के खड़े हो जाने के बाद राजनीतिक दलों की भी दिलचस्पी जग जाती है, क्योंकि वो बड़े वोट बैंक को प्रभावित करते हैं. हरियाणा का सजायाफ्ता राम रहीम इस बात की जीती जागती मिसाल है, वरना बार बार उसे जेल से बाहर आने का इंतजाम कहां से मुमकिन हो पाता - और बलात्कारी राम रहीम के मुकाबले तो सूरजपाल बेकसूर ही लगता है.

राहुल गांधी अभी भले ही परहेज कर रहे हों, लेकिन संसद पहुंचते पहुंचते योगी आदित्यनाथ पूरी तरह उनके निशाने पर आ चुके होंगे - और जाहिर है, बाबा के भक्तों में बड़ा सा वोट बैंक देखकर राहुल गांधी की दिलचस्पी होगी ही, और ऐसा होने पर अखिलेश यादव की भी चिंता तो बढ़ेगी है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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